आर्थिक मंदी की संभावना की पृष्ठभूमि पर यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने की ब्याजदर में अभूतपूव ०.७५ प्रतिशत बढ़ोतरी

आर्थिक मंदीब्रुसेल्स – महंगाई में उछाल और घटती हुई उत्पादन क्षमता के कारण यूरोपीय महाद्वीप को आर्थिक मंदी नुकसान पहुँचाने की संभावना है। मंदी के इस खतरे के बावजूद यूरोपिय महासंघ की सेंट्रल बैंक ‘यूरोपियन सेंट्रल बैंक’ ने ब्याजदर में अभूतपूर्व ०.७५ प्रतिशत बढ़ोतरी की है। इसकी वजह से यूरोपिय महासंघ का ब्याजदर अब ०.७५ प्रतिशत हुआ है। इस बढ़ोतरी की गूंज यूरोपियन शेअर बाज़ारों में सुनाई देने लगी है और प्रमुख निदेशांकों की गिरावट शुरू होने का वृत्त है।

कोरोना की महामारी, वैश्विक सप्लाई चेन में बाधाएँ और रशिया-यूक्रेन युद्ध के गंभीर परिणाम यूरोपिय अर्थव्यवस्था पर होने लगे हैं। कोरोना और सप्लाई चेन के संकट से बचने के लिए महासंघ ने भारी मात्रा में आर्थिक सहायता का ऐलान किया था। इससे अर्थव्यवसथा संभलने की उम्मीद जतायी गई थी। लेकिन, रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर स्थिति बहुत बिगड़ने लगी है।

आर्थिक मंदीरशिया पर लगाए गए प्रतिबंध और ईंधन सप्लाई रोककर रशिया ने इस पर दिए जवाब के कारण यूरोप में ईंधन और बिजली की कीमतें रिकॉर्ड उछाल पर हैं। इससे उत्पादन पर भी असर पड़ा है और यूरोप का महंगाई निदेशांक नौं प्रतिशत पर पहुँचा है। आने वाले समय में इसमें अधिक उछाल की संभावना है और यूरोपियन जनता पर ईंधन एवं बिजली की रेशनिंग का समय मंडरा रहा है। पर्याप्त ईंधन उपलब्ध नहीं हुआ तो यूरोप का कुछ हिस्सा ठंड़ से जमने का ड़र भी जताया गया है।

आर्थिक मंदीइस सबका असर यूरोपिय अर्थव्यवस्था पर दिखाई देने लगा है और जर्मनी, फ्रान्स और इटली जैसे प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाएं मंद पड़ रही हैं। इन देशों के उत्पादन और सेवा क्षेत्र को बड़ा नुकसान पहुँचा है और इस क्षेत्र के निदेशांक निचले स्तर पर पहुँचे हैं। जर्मन अर्थव्यवस्था इस तीमाही से मंदी में रहेगी, ऐसे संकेत इस देश की सरकारी यंत्रणा के साथ आर्थिक विशेषज्ञों ने दिए हैं। अमरीका और अन्य देशों के विश्लेषक एवं वित्तसंस्थाओं ने भी इसकी पुष्टि की है। जर्मनी यूरोप की प्रमुख अर्थव्यवस्था होने से इसकी गूंज यूरोप के अन्य देशों में भी सुनाई देगी, यह कहा जा रहा है।

यूरोप की इस संभावित मंदी की पृष्ठभूमि पर यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने ब्याजदर में बढ़ोतरी करना ध्यान आकर्षित कर रहा है। यूरोपिय देशों में बढ़ती हुई महंगाई को रोकने के लिए यह कदम उठाए जाने का बयान बैंक ने किया।

ब्याजदर की बढ़ोतरी के बाद ‘रिफायनान्सिन्ग’ के ब्याजदर भी बढ़ाए गए हैं और इसे १.२५ प्रतिशत किया गया है। यह साल २०११ के बाद सबसे अधिकतम ब्याजदर साबित होता है। यह बढ़ोतरी की शुरूआत है और अगले कुछ महीनों में ब्याजदर अधिक बढ़ाए जाएँगे, ऐसा बैंक ने अपने निवेदन में कहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.