चीन और रशिया के ‘ए२/एडी ज़ोन्स’ की दिशा में अमरीका करेगी हायपरसोनिक मिसाइलों की तैनाती – अमरिकी संसद की रपट

वॉशिंग्टन – चीन और रशिया के ‘एण्टी-एक्सेस/एरिया डिनायल ज़ोन्स’ (ए२/एडी ज़ोन्स) को लक्ष्य करने के लिए अमरीका ने हायपरसोनिक मिसाइलों का प्रयोग करने की योजना बनाई है, अमरिकी संसद की रपट में यह दावा किया गया है। अमरिकी संसद के ‘काँग्रेशनल बजट ऑफिस’ ने हाल ही में एक रपट जारी की है और इसमें अमरीका के हायपरसोनिक मिसाइलों के अलावा अन्य प्रगत मिसाइलों के इस्तेमाल करने से संबंधित जानकारी प्रदान की गई है। इसमें चीन और रशिया द्वारा अमरिका के हमले नाकाम करने के लिए ‘ए२/एडी ज़ोन्स’ विकसित करने की चेतावनी दी गई है। यह ज़ोन्स नाकाम करने के लिए अमरीका को हायपरसोनिक मिसाइल और मध्यम दूरी के बैलेस्टिक मिसाइल तैनात करने पडेंगे, ऐसी योजना रक्षा विभाग ने बनाई है, ऐसा वर्णित रपट में दर्ज़ है।

रशिया-यूक्रेन युद्ध और चीन एवं उत्तर कोरिया की पैसिफिक क्षेत्र में हरकतों की पृष्ठभूमि पर अमरीका विश्वभर में अपनी तैनाती फिर से बढ़ाने लगी है। रशिया से यूरोपिय देशों पर होने वाले संभावित हमलों का खतरा ध्यान में रखते हुए अमरीका ने यूरोप में नए लड़ाकू विमान और मिसाइल यंत्रणा तैनात करना शुरू किया है। साथ ही पैसिफिक क्षेत्र में जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भी अमरीका ने लंबी दूरी के मिसाइल तैनात करने के संकेत दिए हैं।

कुछ दिन पहले जापान के प्रधानमंत्री ने अमरीका का दौरा किया था। इस दौरे में राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने अमरीका से मध्यम और लंबी दूरी के मिसाइल तैनात करने के मुद्दे पर चर्चा की, ऐसा दावा जापानी अखबार ने किया। अमरीका के हायपरसोनिक मिसाइलों की तैनाती के लिए भी जापान अनुकूल है, ऐसा इस अखबार ने कहा है। साल २०२७ तक जापान अमरीका से ५०० मिसाइल खरीद सकता है। इनमें १००० किलोमीटर मारक क्षमता के मिसाइलों का भी समावेश होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।

यह वृत्त अमरीका के संसदीय रपट में दर्ज़ जानकारी से मेल कर रहा है। अमरिकी ‘काँग्रेशनल बजट ऑफिस’ ने रक्षा विभाग की योजनाओं का ज़िक्र करते हुए हायपरसोनिक मिसाइलों की अहमियत रेखांकित की है। युद्ध शुरू होने के बाद शुरूआते दौर में इन मिसाइलों का इस्तेमाल प्रभावी हो सकता है, ऐसा वर्णित रपट में कहा गया है। हायपरसोनिक मिसाइल को रोकना असंभव होने के कारण इसका इस्तेमाल अहमियत रखता है, यह भी ‘काँग्रेशनल बजट ऑफिस’ ने कहा है।

इसी रपट में अमरीका के प्रतिद्वंद्वी रशिया और चीन ने ‘एण्टी एक्सेस/एरिया डिनायल ज़ोन्स’ (ए२/एडी ज़ोन्स) विकसित किए हैं, इस पर भी ध्यान आकर्षित किया गया है। चीन ने साउथ चाइना सी क्षेत्र में ‘डीएफ-१६’, ‘डीएफ-१७’ जैसे हायपरसोनिक मिसाइल, ‘डीएफ२१-डी’, डीएफ-१०ए’ और ‘डीएफ-१०० सुपरसोनिक’ जैसे मिसाइलें तैनात की हैं। वहीं, रशिया ने बाल्टक एवं ‘ब्लैक सी’ क्षेत्र में भारी मात्रा में हायपरसोनिक मिसाइलों की तैनाती करने की बात कही जा रही है।

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