अमरिका पॅरिस मौसम अनुबंध में फिरसे शामिल होने की संभावना- राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की भूमिका में बदलाव

वॉशिंग्टन: ‘असल में पॅरिस अनुबंध से मुझे कोई भी समस्या नहीं है। मुझे अमरिका के पहले के प्रशासन ने जिस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, उस से आक्षेप है। क्योंकि उन्होंने बहुत ही बुरा अनुबंध किया था। इस वजह से अमरिका फिर एक बार इस अनुबंध में शामिल होने के बारे में विचार कर सकता है’, इन शब्दों में अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने पॅरिस मौसम अनुबंध में अमरिका के सहभाग के संकेत दिए हैं। पिछले वर्ष जून महीने में राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अमरिकी जनता की सुरक्षा और अमरिकी हितसंबंधों के लिए ‘पॅरिस मौसम अनुबंध’ से बाहर निकलने घोषणा की थी।

नॉर्वे के प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग के साथ हुई बैठक के बाद पत्रकार परिषद में बोलते समय ट्रम्प ने ‘पॅरिस मौसम अनुबंध’ के बारे में इस के पहले के निर्णय में परिवर्तन करने के संकेत दिए हैं। ‘अमरिका को पर्यावरण की चिंता है और स्वच्छ पानी, स्वच्छ हवा के बारे में हम आग्रही है। लेकिन उसी समय अमरिका के उद्योगों के लिए प्रतियोगी वातावरण भी मिलना चाहिए’, इन शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने इसके पहले लिए फैसले का समर्थन किया है। ‘पॅरिस’ अनुबंध की वजह से अमरिकी उद्योगों पर प्रचंड बोझ आने वाला था और उस का असर अर्थव्यवस्था पर होने वाला था, ऐसा दावा भी ट्रम्प ने किया है।

ट्रम्प ने पॅरिस अनुबंध में शामिल होने के बारे में दिए हुए संकेत आश्चर्यकारक माने जाते हैं। इस के पहले के अनुबंध की शर्तें अच्छी न लगने की वजह से अमरिका को अपेक्षित प्रावधान अनुबंध में शामिल होने चाहिए इस के लिए यह कोशिश हो सकती है, ऐसा दावा विश्लेषकों ने किया है। राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रचार मुहीम के दौरान ‘ग्लोबल वार्मिंग’ और ‘पॅरिस मौसम अनुबंध’ पर जोरदार टीका की थी। सत्ता पर आने पर पहले १०० दिनों में अमरिका ‘पॅरिस मौसम अनुबंध’ से बाहर निकलेगा, ऐसी घोषणा ट्रम्प ने की थी।

पॅरिस मौसम अनुबंध

जून महीने में, ट्रम्प ने ‘पॅरिस मौसम अनुबंध’ पर टीका करते हुए अमरिका व्यतिरिक्त सभी देशों को इसका फायदा होने की नाराजगी व्यक्त की थी। उसी समय ट्रम्प ने चीन और भारत को खास करके लक्ष्य बनाने की कोशिश की थी। ‘पॅरिस मौसम अनुबंध’ से भारत और चीन को अरबों डॉलर्स मिलने वाले हैं, इन देशों में कोयले पर आधारित परियोजनाओं में बड़ी बढ़ोत्तरी होने वाली है, ऐसा आरोप ट्रम्प ने किया था।

राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘पॅरिस मौसम अनुबंध’ से बाहर निकलने के लिए निर्णय पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीव्र प्रतिक्रिया उमटी थी। यूरोपीय देशों के साथ चीन, कॅनाडा, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अमरिका के फैसले पर जोरदार टीका की थी। अमरिका के उद्योग क्षेत्र ने भी ट्रम्प के फैसले पर जोरदार टीका की थी। लेकिन ट्रम्प ने उस समय अपने निर्णय का जोरदार समर्थन किया था।

पिछले कुछ दशकों से संयुक्त राष्ट्रसंघ की पहल से अंतर्राष्ट्रीय मौसम अनुबंध के लिए कोशिश शुरू थी। सन २०१५ में पॅरिस में हुई बैठक में १९५ देशों ने मौसम अनुबंध पर सहमती व्यक्त की थी। उस के बाद अप्रैल २०१६ में इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। अनुबंध के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तापमान में बढ़ोत्तरी न हो, इसके लिए उपाययोजना की जाने वाली है और इसके लिए कोशिश करने वाले देशों को आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करके दी जाने वाली है।

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