अमरिका ‘ड्रोन’ युद्धपोत के ‘फ्लिट’ का निर्माण करेगी

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवॉशिंगटन – अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान, इराक, ईरान, येमेन, सोमालिया और सीरिया में आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में ड्रोन्स को मिली सफलता के पश्चात अमरिका ने ‘ड्रोन लड़ाकू जहाज’ का बेड़ा तैनात करने के लिए गतिविधियां शुरू की है| अमरिका के नौसेना ने ट्रम्प शासन के पास यह मांग करने की जानकारी सामने आई हैं| समुद्री पहरे के साथ ही टॉर्पेडो के साथ सज्ज इन ड्रोन लड़ाकू जहाज़ों का बेड़ा समुद्री युद्ध में बड़ी भूमिका निभाएगा, ऐसा दावा अमरिका के लष्करी विशेषज्ञ कर रहे हैं|

कुछ महीनों पहले ही अमरिका के नौसेना में ‘युएसएस सी हंटर’ शामिल हुई हैं| वर्तमान में प्रशांत महासागर की हवाई द्वीप पर तैनात होनेवाले हंटर का आखिरी परीक्षण पूर्ण करते हुए अमरिका के पश्चिम किनारे की समुद्री क्षेत्र की गश्त की जिम्मेदारी इस ड्रोन लड़ाकू जहाज पर सौंपी गई हैं| ‘सी हंटर’ लड़ाकू जहाज पनडुब्बीभेदी तंत्रज्ञान से सज्ज हैं| इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन की पनडुब्बियों के विरोध में अमरिका ने वर्णित ड्रोन लड़ाकू जहाज विकसित करने का कहा जाता है|

‘सी हंटर’ के परीक्षण को मिली सफलता के पश्चात अमरिकी नौसेना ने ‘युएसएस सी हंटर’ इस ड्रोन लड़ाकू जहाज का स्वतंत्र बेड़ा निर्माण करने की मांग की हैं| परंतु ‘सी हंटर’ का आकार १३२ फुट लंबा होते हुए वर्णित ड्रोन लड़ाकू जहाज का भार भी लगभग १४० टन हैं| परंतु अमरिका की नौसेना ने ३०० फुट लंबा और २००० टन भारी ड्रोन लड़ाकू जहाज निर्माण करने की मांग करने का दावा किया जाता हैं| उसी के साथ ड्रोन लड़ाकू जहाजों में रडार सेंसर्स की सीमा बढ़ाकर समुद्री क्षेत्र में गश्त सक्षम करने की मांग अमरिकी नौसेना ने की हैं|

उसी के साथ इन ड्रोन लड़ाकू जहाजों पर ड्रोन विमान तैनात करने के बारे में भी अमरिकी नौसेना विचार कर रही हैं| ‘सी हंटर’ लड़ाकू जहाज पर हेलीकॉप्टर उतारने की सुविधा हैं| इस कारण अमरिकी नौसेना की कक्षा विस्तृत होगी, ऐसा दावा अमरिकी विशेषज्ञ तथा सुरक्षा क्षेत्र से जुड़े माध्यम कर रहे हैं|

अमरिका के विमान वाहक लड़ाकू जहाजों पर ड्रोन विमानों के उड़ान का हाल ही में परीक्षण हुआ था| इसमें ‘नॉर्दन ग्रुमन’ के ‘एक्स-४७बी’ इस स्टेल्थ ड्रोन ने टेकऑफ तथा लैंडिंग की थीं| यह ड्रोन विमान भी अमरिकी नौसेना के प्रस्तुत ड्रोन लड़ाकू जहाजों पर तैनात करने के विषय में गंभीरता से विचार किया जा रहा हैं| ऐसा हुआ तो अमरिकी विमान वाहक युद्ध नौकाओं को सुरक्षा प्रदान करने का काम भी इस लड़ाकू ड्रोन जहाज पर सौंपा जाने वाला हैं|

इन ड्रोन लड़ाकू जहाजों के साथ अमरिकी सुरक्षा दल ने ड्रोन पनडुब्बियों के निर्माण की भी गति बढ़ाई हैं| रशिया और चीन ने इस फ्रंट पर ऊंचा स्तर प्राप्त करते हुए आर्कटिक समुद्री क्षेत्र में रशिया ने ड्रोन पनडुब्बियों के द्वारा संशोधन शुरू किया हैं| साथ ही इस समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए रशियन नौसेना ने ड्रोन पनडुब्बियां गुप्त रूप से तैनात करने का भी दावा किया जाता हैं| कुछ वर्षों पहले चीन ने ‘साउथ चायना सी’ में ड्रोन पनडुब्बी तैनात करने का दावा अमरिका के विशेषज्ञों ने किया था| इस पृष्ठभूमि पर अमरिका ने भी ड्रोन पनडुब्बियों का निर्माण करने की गतिविधियां बढ़ाई हैं|

दौरान, ड्रोन लड़ाकू जहाज और ड्रोन पनडुब्बियों के साथ अमरिका के सुरक्षा दल ने हवाई कार्रवाई में उलझे अमरिका के ड्रोन्स के लिए इंधन प्रदान करने वाले ड्रोन विमान विकसित करने की तैयारी की हैं| बोइंग कंपनी ने इसलिए ‘एमक्यू-२५ स्टींगरे’ यह परियोजना प्रस्तुत करते हुए आने वाले चार सालों में अमरिका को पहला इंधन वाहू ड्रोन तैनाती के लिए सज्ज होगा, ऐसा दावा किया जाता हैं|

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