रशिया ने किया ‘जिहादी एव्हिएशन ड्रोन्स’ का निर्माण

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरमास्को: रशियन सेना ने शत्रु और शत्रु से जुडे लक्ष्य पर विस्फोटकों के साथ हमला करनेवाले घातक ‘स्वार्म ड्रोन्स’ का निर्माण शुरू किया है| ड्रोन्स के इस दल को रशिया ने ‘जिहादी एव्हिएशन’ यह नाम दिया है| खाडी के साथ दुनियाभर के आतंकी ड्रोन्स में विस्फोटक भरके इसके जरिए आतंकी हमलें करने का डर कई यंत्रणाओं से व्यक्त किया जा रहा है| इस पृष्ठभूमि पर रशिया की सेना ने इसी तकनीक का इस्तेमाल करने की तैयारी करना सनसनीखेज बात साबित होती है|

कुछ हफ्तें पहले सीरिया में रशिया के एक लष्करी अड्डे पर ‘स्वार्म ड्रोन्स’ के हमलें की कोशिश की गई थी| इस हमले के पीछे आतंकी ‘आईएस’ संगठन होने का आरोप हुआ था| यह हमला रशिया ने नाकाम किया था| उससे पहले गाजा में इस्रायली टैंक पर ड्रोन्स के जरिए विस्फोटक गिराने का व्हिडिओ प्रसिद्ध हुआ था| इसके पीछे पैलस्टाईन की ‘इस्लामिक जिहाद’ यह आतंकी संगठन थी, यह दावा किया गया था|

आतंकी संगठनों से इस तरह ‘ड्रोन्स’ का हो रहा इस्तेमाल रशियन सेना की ‘जिहादी एव्हिएशन’ की नींव साबित हुई है| रशियन कंपनियों ने ‘स्वार्म ड्रोन्स’ के लिए जरूरी ‘मिनिएचर बम’ तैयार करने की शुरूआत करने की बात कही जा रही है| रशियन माध्यमों ने दी जानकारी के नुसार शुरू में ‘स्वार्म ड्रोन्स’ पर कम से कम एक किलो विस्फोटक या बम रखे जाएंगे| इसके बाद २० किलो भार के विस्फोटक या बम की ढुंलाई करनेवाले ‘ड्रोन्स’ का भी निर्माण करने का प्रबंध है|

इन ड्रोन्स का इस्तेमाल जमीन पर या हवा में तय लक्ष्य हो सकते है| साथ ही किसी व्यक्ती को लक्ष्य करने के लिए भी इन ड्रोन्स का इस्तेमाल होने के संकेत रशियन सूत्रों ने दिए है| आतंकी संगठनों से ‘ड्रोन्स’ का बतौर विस्फोटक करते समय १० से १२ ड्रोन्स का इस्तेमाल हुआ था| लेकिन, रशियन सेना बडी संख्या में ड्रोन्स का इस्तेमाल करने पर काम कर रही है| ड्रोन्स की संख्या कम होने से उन्हें लक्ष्य करना संभव है| लेकिन, संख्या अधिक होने पर सभी ड्रोन्स को लक्ष्य करने में कठिनाई होगी और जवाबी हमलें में होनेवाला नुकसान कम करना मुमकिन होगा, यह रशियन सेना का प्लैन है|

पीछले दशक में दुनिया के अधिकांश रक्षा दलों में ‘ड्रोन्स’ का इस्तेमाल बडी तादाद में बढ रहा है| फिलहाल इसका सबसे अधिक इस्तेमाल गश्त एवं खुफिया जानकारी इकठ्ठा करने के लिए हो रहा है, फिर भी अमरिका ने ‘आर्म्ड ड्रोन्स’ का इस्तेमाल भी बडी तादाद में किया है| अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सोमालिया, लीबिया जैसे कई देशों में आतंकविरोधी कार्रवाई के लिए अमरिका ने ड्रोन हमलों का सफल प्रयोग किया है| लेकिन, ड्रोन्स इस्तेमाल करने का गलत लाभ आतंकी संगठन भी उठा रहे है और येमन के हौथी बागियों ने पीछले कुछ महीनों में ड्रोन्स की सहायता से लगातार हमलें किए है|

इसी पृष्ठभूमि पर ड्रोन्स का ‘स्वार्म तकनीक’ के माध्यम से हमलों के लिए हो रहा संभावित इस्तेमाल ध्यान आकर्षित करनेवाली बात साबित हो रही है| इससे पहले अमरिका और चीन ने ‘स्वार्म’ तकनीक पर आधारित ड्रोन्स विकसित करने की जानकारी सामने आ रही है| अमरिका ने ‘स्वार्म ड्रोन्स’ का सफल परीक्षण करने की बात भी स्पष्ट हुई थी| एक ही समय पर हजार स्वार्म ड्रोन्स छोडने की क्षमता हम रखते है, यह दावा भी चीन ने किया था| इसमें अब रशिया से हो रही ‘जिहादी ड्रोन्स’ की तैयारी का इजाफा हुआ है|

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