पाकिस्तान की आतंकी नीति पर अमरीका का हमला

वॉशिंग्टन, दि. ९ (वृत्तसंस्था) – पाकिस्तान से निर्यात हो रहे आतंकवाद का मुद्दा भारत द्वारा आक्रामक रूप से रखा जाने के बाद, अब अमरीका की ओर से भी इसे अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है| अमरिकी विदेश मंत्रालय ने पिछले तीन दिन से लगातार की हुई माँग की वजह से पाकिस्तान पर बड़े पैमाने पर दबाव बढ़ने लगा है, ऐसा दिखाई दे रहा है|

bob crocker- आतंकवाद का मुद्दा

पाकिस्तान आतंकी संगठनों पर कड़ी कार्रवाई करें और मुंबई पर हुए २६/११ के आतंकी हमले में जिनकी मौत हुई है, उन्हें इन्साफ़ दिलाएँ, ऐसा अमरीका के विदेश मंत्रालय ने कहा था| इसके बाद अमरीका द्वारा पाकिस्तान की और भी कड़ी आलोचना शुरू हुई है| यह देश आतंकवाद का केंद्र बना है, ऐसा इल्ज़ाम ‘सीआयए’ के पूर्व अधिकारियों और अमरिकी लोकप्रतिनिधियों द्वारा लगाया जा रहा है|

अमरिकी संसद की ‘फॉरेन रिलेशन्स कमिटी’ के अध्यक्ष बॉब क्रॉकर ने, पाकिस्तान की आतंकी नीति की कड़ी आलोचना की है| पाकिस्तान को अब तक अमरीका तक़रीबन ४३ अरब डॉलर का कर्ज़ा दे चुका है| लेकिन आतंकवादविरोधी जंग के लिए की गई इस सहायता का पाकिस्तान ने नाजायज़ फ़ायदा उठाया है| अमरीका ने वायव्य पाकिस्तान के दुर्गम इलाक़े में जिन आतंकवादियों पर हमला किया, उन आतंकवादियों को पाकिस्तान ने पनाह दी| यही नहीं, बल्कि इन आतंकवादियों को दवादारु आदि सुविधा देने की ज़िम्मेदारी भी पाकिस्तान ने उठाई है| इनमें से कुछ आतंकी पाकिस्तान के उपनगरों में रहते थे, ऐसा इल्ज़ाम क्रॉकर ने लगाया|

‘अफगानिस्तान में तैनात अमरिकी सैनिकों पर हमलें करनेवाला हक्कानी गुट कहाँ छिपा है, यह पाकिस्तान को भली-भाँति मालूम है| यही नहीं, बल्कि हक्कानी गुट को पाकिस्तान से अभय मिल रहा है’, ऐसा बड़ा इल्ज़ाम क्रॉकर ने लगाया| पाकिस्तान के इस झूठेपन से अमरीका और भी निराश बन रहा है और दोनों देश के बीच के संबंध बनाए रखना, यह एक चुनौति बनती जा रही है, ऐसी आलोचना क्रॉकर ने इस समय की|

Grenierअमरीका की खुफिया एजन्सी ‘सीआयए’ के पूर्व अधिकारी रॉबर्ट ग्रेनर ने, अमरिकी संसद के फॉरेन रिलेशन कमिटी के सामने हुई सुनवाई में, पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र बनता जा रहा है, ऐसी आलोचना की| सन १९९३ और १९९४ को अमरीका ने तैयार किए आतंकवाद-समर्थक देशों की सूचि में पाकिस्तान का नाम दर्ज़ हो ही चुका था, ऐसी जानकारी ग्रेनर ने इस समय दी|

पिछले पाच दशकों से अमरीका पाकिस्तान द्वारा अपनायी जा रहीं नीतिओं को नज़रअंदाज़ करते आ रहा है| इनमें से कुछ बाते राष्ट्रीय सुरक्षा से जुडी हुई हैं; फिर भी अमरिकी प्रशासन उन्हें अनदेखा करते आ रहा है| इस वजह से पाकिस्तान के साथ के संबंधों में सुधार आने के बजाए ये संबंध बिगड़ रहे हैं| सन १९८० में पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को अनदेखा किया जाना, इस बात का उदाहरण इस समय ग्रेनर ने दिया|

अफगानिस्तान में रशिया का प्रभाव रोकने के लिए अमरिका ने पाकिस्तान को सहायता की और बड़े पैमाने पर आर्थिक सहायता और लष्करी सामग्री खैरात के तौर पर पाकिस्तान को दी| ९/११ के आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान में होनेवाली कार्रवाई और अल-कायदा के खिलाफ़ का संघर्ष, इनमें इस देश की सहायता हासिल करने के लिए अमरीका ने पाकिस्तान की आतंकवादसंबंधी नीति को नज़रअंदाज़ किया था|

अमरीका की ओर से यह सहायता हासिल करने के बाद भी पाकिस्तान ने अपनी नीति में बदलाव नहीं किये हैं| अपनी आतंकी नीति और आतंकवाद का पुरस्कार करने के कारनामें बरक़रार रखने में ही अपना राष्ट्रीय हित शामिल है, ऐसी ग़लतफ़हमी पाकिस्तान को हुई है| अभी भी पाकिस्तान अपनी नीति पर कायम है| यह नीति अव्यवहारिक और आत्मघाती है, ऐसा अमरीका का कहना है और इसके लिए पाकिस्तान को सज़ा देने की अमरीका की तैयारी होने के बावजूद भी पाकिस्तान की भूमिका में बदलाव नहीं आयेगा, ऐसा खुलासा इस समय ग्रेनर ने किया|

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