ईशान कोण के क्षेत्र में वायुसेना के ‘प्रलय’ युद्धाभ्यास का आयोजन

नई दिल्ली – अगले कुछ दिनों में ईशान कोण के क्षेत्र में वायुसेना के हवाई युद्धाभ्यास की शुरूआत होगी। ‘प्रलय’ नामक इस युद्धाभ्यास में वायुसेना के राफेल और ‘एसयू-३०’ विमान शामिल होंगे। ‘एलएसी’ के करीबी क्षेत्र में चीन की गतिविधियां बढ़ने के बाद वहां के हवाई क्षेत्र पर अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए वायुसेना इस युद्धाभ्यास का आयोजन कर रही है। इससे वायुसेना का यह युद्धाभ्यास यानी चीन के लिए कड़ी चेतावनी समझी जा रही है।

भारत और चीन के संबंध सामान्य नहीं हैं, दोनों देशों में अब भी तनाव कायम होने का अहसास भारत के नेता दिला रहे हैं। विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के विदेश मंत्री ने इस मुद्दे पर किए हुए बयान चीन के जले पर नमक छिडक रहे हैं। क्योंकि, चीन भारत के साथ जुड़ी अपनी सीमा स्थिर होने के दावे करके भारत के साथ अपने संबंध अच्छे होने की बात विश्व को दिखाने की कोशिश कर रहा है। ऐसी स्थिति में भारतीय विदेश मंत्री ने चीन के साथ तनाव पर किए बयान चीन की मुश्किलें बढ़ानेवाले होंगे। साथ ही डोकलाम और गलवान घाटी में चीनी सेना के हमले पर भारतीय सेना के जोरदार प्रत्युत्तर का संज्ञान पूरे विश्व ने लिया, यह बयान भी भारतीय नेता खुलेआम कर रहे हैं।

भारतीय नेताओं द्वारा खुलेआम इन बयानों की वजह से अपने ताकतवर और बलवान देश की छबि को नुकसान पहुँच रहा है, इस मुद्दे को चीन बड़ी गंभीरता से देख रहा है। इसी कारण चीन की सेना ने ९ दिसंबर को एलएसी पर तवांग के यांगत्से क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश की थी। इसके ज़रिये भारत पर अपना वर्चस्व बनाने की साज़िश चीन ने रचि थी। लेकिन, इस बार भी मुस्तैद भारतीय सेना ने चीन की इस साज़िश को नाकाम किया। इस पृष्ठभूमि पर एलएसी पर अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए चीन विभिन्न मार्ग अपना रहा है। इनमें चीन की वायुसेना की हरकतों का समावेश होने की बात स्पष्ट हुई थी।

चीन के ड्रोन्स और हेलीकॉप्टर्स ‘एलएसी’ के करीबी क्षेत्र में मंड़राकर भारत पर दबाव डालने की कोशिश में होने की खबरें प्राप्त हुई ती। इस पृष्ठभूमि पर भारतीय वायुसेना जल्द ही ‘प्रलय’ युद्धाभ्यास का आयोजन करके ‘एलएसी’ के हवाई क्षेत्र में अपना वर्चस्व फिर से साबित करेगी। इस युद्धाभ्यास में भारतीय वायुसेना के प्रमुख लड़ाकू विमान राफेल और एसयू३० शामिल होंगे, यह जानकारी मिल रही है। यह युद्धाभ्यास खत्म होने के बाद अगले महीने ‘पूर्वी आकाश’ नामक और एक युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया है।

इसकी वजह से चीन को एलएसी के करीब हवाई क्षेत्र में किसी भी तरह का अवसर ना देने की तैयारी वायुसेना कर रही है। एलएसी के क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की क्षमता चीन से कहीं अधिक होने के दावे अमरिकी सामरिक विश्लेषकों ने भी किए थे। ऐसे में भारतीय सेना दुर्गम एवं पहाड़ी क्षेत्र के युद्ध में सबसे बेहतर होने की गवाही भी भारत और चीन के संघर्ष में तटस्थ रहे सामरिक विश्लेषकों ने दी थी। इसका प्रभाव एलएसी पर स्पष्ट दिख रहा है। इससे बेचैन हुए चीन द्वारा भारत पर हावी होने की कोशिश जारी है। लद्दाख के एलएसी के करीबी क्षेत्र में चीन के सैनिकों का उत्साह बढ़ाने के लिए राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने सीधे उनसे बातचीत करने की खबरें हाल ही में प्रसिद्ध हुई थीं। लेकिन, अब भी लद्दाख और एलएसी के करीब अन्य क्षेत्रों की प्रतिकूल परिस्थितियों में तैनाती के लिए ज़रुरी जोश और प्रशिक्षण चीनी सेना में नहीं है, यह भी सामने आ रहा है।

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