युद्धाभ्यासों के आयोजन के द्वारा भारत का चीन को संदेश

नई दिल्ली – ‘क्वाड’ के सदस्य होनेवाले अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया समेत फ्रान्स और युएई इन देशों की नौसेनाओं के अभ्यास का आयोजन भारत ने किया है। अप्रैल महीने की शुरुआत से इस अभ्यास का आरंभ होगा। बंगाल की खाड़ी में शुरू होनेवाला यह अभ्यास चीन को रोकने के लिए है और इसके द्वारा इस अभ्यास में सहभागी हुए देश अपने नौसेना-सामर्थ्य का प्रदर्शन करेंगे, ऐसे दावे किए जाते हैं।

हिंद महासागर क्षेत्र के साथ बंगाल की खाड़ी में भी चीन अपनी नौसेना की आवाजाही बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। यह बात भारत की सुरक्षा की दृष्टि से घातक साबित हो सकती है। इस पृष्ठभूमि पर, भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में भी युद्धाभ्यासों का आयोजन करके चीन को उचित संदेश देने का काम समय समय पर किया था। अप्रैल महीने की शुरुआत से इस युद्धाभ्यास के द्वारा भारत चीन को नई चेतावनी देने के संकेत मिल रहे हैं।

इस अभ्यास में ‘क्वाड’ के सदस्य देशों के साथ फ्रान्स और युएई भी सहभागी होनेवाले हैं, यह बात गौरतलब साबित होती है। अप्रैल महीने के अंत में भारत, फ्रान्स और युएई की नौसेनाओं का ‘वरूणा नौसेना अभ्यास’ संपन्न होनेवाला है। पर्शियन खाड़ी और ओमान की खाड़ी में यह अभ्यास होगा, ऐसा बताया जाता है। ये दोनों अभ्यास चीन को संदेश देनेवाले हैं, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

पिछले कुछ हफ्तों से चीन की आक्रामकता में बढ़ोतरी होने की बात दुनियाभर के निरीक्षकों ने दर्ज़ की है। यदि समय पर ही नहीं रोका गया, तो चीन की इस आक्रामकता की कीमत सारी दुनिया को चुकानी होगी, ऐसी चेतावनियाँ जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश दे रहे हैं। इसकी गंभीर दखल युरोपिय देशों ने ली होकर, फ्रान्स और ब्रिटन ने चीन को रोकने के लिए साऊथ चायना सी क्षेत्र में अपने युद्धपोत रवाना करने का फैसला किया है।

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