अंतरिक्ष का लष्करीकरण हो रहा है; वायुसेना स्पेस फोर्स का गठन करने का विचार करें – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग

नई दिल्ली – अंतरिक्ष का लष्करीकरण बहुत तेजी से हो रहा होकर, यह भविष्य में बड़ी चुनौती साबित होनेवाला है। अंतरिक्ष से होनेवाले हमलों का प्रतिकार करने के लिए और अंतरिक्ष में छोड़े हुए भारतीय उपग्रह, अंतरिक्ष यान तथा अन्य यंत्रणाओं की रक्षा के लिए देश को पूरी तरह सुसज्जित होना पड़ेगा। अंतरिक्ष क्षेत्र के इन खतरों को मद्देनज़र रखकर, वायु सेना अपना रूपांतरण ‘एरोस्पेस फोर्स’ में करने के लिए बदलाव करवायें, ऐसा आवाहन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने किया है।

‘परिवर्तन यह निसर्ग का नियम है और यह नियम युद्ध के लिए भी लागू होता है। इसलिए हमें भविष्यकालीन युद्ध तंत्र का पूर्वानुमान निरंतर लगाते रहना पड़ेगा’, ऐसा कहते हुए, भारत विरोधी देश अंतरिक्ष का लष्करी इस्तेमाल करने की दृष्टि से तेज़ी से कदम उठा रहे हैं, इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने गौर फरमाया। अंतरिक्ष के हो रहे लष्करीकरण से भारत का हित भी खतरे में पड़ सकता है। अंतरिक्ष की और जमीन पर होने वाली भारतीय संपत्ति को इससे खतरा है, ऐसी चेतावनी रक्षा मंत्री ने दी।

इसलिए भविष्यकालीन सुरक्षाविषयक चुनौतियों को पहचानकर, उसके लिए पूरी तरह सुसज्जित होने की आवश्यकता है, ऐसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने जताया। रक्षा मंत्री ने हालांकि किसी भी देश का उल्लेख नहीं किया है, फिर भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग का रूख चीन की और होने की बात स्पष्ट है। ‘एअर मार्शल पीसी लाल मेमोरिअल’ में आयोजित व्याख्यान में रक्षा मंत्री बात कर रहे थे। इस समय वायुसेनाप्रमुख एअर चीफ मार्शल व्ही. आर.चौधरी भी उपस्थित थे।

अंतरिक्ष से हो सकनेवाले हमले से देश की और अंतरिक्ष में होनेवाली देश की संपत्ति की रक्षा करने के लिए तकनीक का विकास करें, उसमें कुशलता प्राप्त करें, मानव संसाधन का व्यवस्थापन करें, ऐसा आवाहन रक्षा मंत्री ने किया। वायु सेना इसके लिए अपना रूपांतरण ‘एरोस्पेस फोर्स’ में करके, भविष्यकालीन चुनौतियों का सामना करने की तैयारी करें, ऐसा राजनाथ सिंग ने कहा है।

चीन अंतरिक्ष में जो सेटेलाइट, अंतरिक्ष यान छोड़ रहा है, वे संशोधन और निगरानी के साथ ही लष्करी कारणों के लिए होने के आरोप लगातार हो रहे हैं। चीन अंतरिक्ष में वर्चस्व जताने के लिए अंतरिक्ष का लष्करीकरण कर रहा होने की रिपोर्ट पिछले साल अमेरिकी गुप्तचर संस्था ने जारी की थी। अंतरिक्ष के उपग्रह छेदने के लिए ‘डायरेक्टेड एनर्जी सिस्टिम’ ऐसी तकनीक चीन के पास है, ऐसा इस रिपोर्ट में कहा गया था।

अमरीका ने इससे पहले ही अपने स्पेस फोर्स का गठन किया है। रशिया के पास भी स्पेसफोर्स होकर, 3 साल पहले नाटो ने ‘अंतरिक्ष’ को पांचवा युद्ध क्षेत्र घोषित किया था। उसके बाद फ्रान्स, ब्रिटेन, जर्मनी इन देशों ने भी भविष्यकालीन अंतरिक्ष के खतरों का सामना करने के लिए स्पेसफोर्स का गठन किया है। इस पृष्ठभूमि पर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने वायु सेना को की हुई सूचना बहुत ही अहम साबित होती है।

इसी बीच, भविष्यकालीन युद्ध कैसा होगा, यह सिरिया, इराक, अफगानिस्तान और अब युक्रेन के युद्ध से ध्यान में आएगा। इन युद्धों का सांकेतिक रूप में अध्ययन करके, उसे स्थानीय खतरे के साथ जोड़कर तैयारी करनी होगी। इसके लिए भारतीय रक्षा बलों को आधुनिक तकनीक की सप्लाई और भविष्यकालीन युद्ध के लिए विशेष प्रशिक्षण देने का सरकार का संकल्प है, ऐसा इस समय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने कहा।

उसी समय, महंगी शस्त्र यंत्रणा हमें विजय दिला देगी इसकी गारंटी नहीं है। नई तकनीक के हथियार इकट्ठे किए जा सकते हैं, लेकिन ये हथियार विजय की गारंटी नहीं दे सकते। बल्कि इन शस्त्रों और यंत्रणाओं की तैनाती किस प्रकार की जाती है, उस पर यह निर्भर करता है कि युद्ध में हमें उसका कैसे फायदा होगा। तकनीक महत्त्वपूर्ण ज़रूर है इसके बारे में कोई दोराय नहीं है। लेकिन उचित तैनाती के बिना यह तकनीक और यंत्रणाएँ केवल दिखावटी साबित होंगी, ऐसा राजनाथ सिंग ने स्पष्ट किया।

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