राजनैतिक चर्चा से ही युक्रेन की समस्या हल होगी – भारत का आवाहन

संयुक्त राष्ट्रसंघ – राजनैतिक स्तर पर बातचीत ही युक्रेन की समस्या का हल निकालने का एकमात्र व्यवहार्य मार्ग है। युद्ध और रक्तपात से कुछ भी हासिल नहीं होगा, ऐसा भारत ने पुन: ज़ोर देकर कहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में युक्रेन के बारे में निर्धारित किए गए प्रस्ताव पर बोलते समय भारत के राजनैतिक अधिकारी प्रतीक माथुर ने स्पष्ट शब्दों में भारत की भूमिका रखी। अपने युरोप दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग इन्हीं शब्दों में अपने विचार रखे थे।

रशिया ने युक्रेन पर हमला करने के बाद छिडे हुए युद्ध में युक्रेन का विघटन हुआ है। ऐसी परिस्थिति में भी अमेरिका एवं नाटो के अन्य कुछ सदस्यदेश युक्रेन इस युद्ध में रशिया को अंत:ग्रस्त रखे, इसकी कोशिश में लगे हुए हैं। इसके लिए अमेरिका ने युक्रेन को अधिकाधिक शस्त्रास्त्र एवं पैसों की आपूर्ति करने की तैयारी की है। युक्रेन का युद्ध दीर्घकाल तक चलेगा ऐसी संभावना अमेरिका एवं ब्रिटेन के नेता और अधिकारी व्यक्त कर रहे हैं। तो इस युद्ध के कारण निर्माण हुई ईंधन की किल्लत एवं महंगाई तथा अनाज की किल्लत को झेलनेवाले कुछ युरोपिया देश यह युद्ध खत्म करना चाहते हैं। मगर अपनी सुरक्षा की पुष्टी हुए बगैर रशिया युक्रेन से पीछे नहीं हटेगी, ऐसी घोषणा रशिया ने की है। तो, अमेरिका एवं नाटो के प्रमुख राशिया की मांग स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हैं।

ऐसी परिस्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में युक्रेन के बारे में प्रस्ताव पेश किया गया। इसमें बोलते समय भारत के राजनैतिक अधिकारी प्रतीक माथुर ने राजनैतिक स्तर पर बातचीत ही युक्रेन की समस्या का हल निकालने का एकमात्र मार्ग होने की बात जोर देकर कही। युद्ध एवं रक्तपात से कुछ भी हासिल नहीं होगा और इससे कोई भी प्रश्न हल नहीं होगा, ऐसा माथुर ने आगे कहा। युक्रेन का युद्ध छिडने के बाद भारत रशिया के खिलाफ अपनी भूमिकारे ऐसा अमेरिका एवं पश्चिमी देश भरसक कोशिश कर रहे हैं। भारत ने इस बात को दाद नहीं दी। इसलिए अमेरिका ने भारत के खिलाफ जोरदार गतिविधियां शुरु करने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।

हाल ही में हुई भारत और अमेरिका की टू प्लस टू चर्चा में भी इसका प्रतिबिंब दिखाई दिया। तत्पश्चात भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन के अमेरिका के दौरे में भी युक्रेन के मुद्दे पर भारत को घेरने की कोशिश अमेरिकी माध्यमों ने की थी। पर अपने मित्रराष्ट्रों को कमज़ोर करने की कोशिश करके उनसे सहयोग की उम्मीद नहीं की जा सकती, इसका अहसास वित्तमंत्री सीतारामन ने अमेरिका को कराया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में किए हुए युरोपिय देशों के दौरे में उन्होंने युक्रेन के बारे में अपनी भूमिका दृढता से रखी थी। युक्रेन का युद्ध तुरंत रोककर राजनैतिक चर्चा शुरु करो, भारत की इस बात को फ्रान्स, जर्मनी जैसे युरोप के महत्वपूर्ण देशों ने भी उठाई थी।

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