‘एच-१बी’ व्हिसा को लेकर भारत के वित्तमंत्री का अमरीका को आवाहन

वॉशिंग्टन/नई दिल्ली, दि. २१: अमरीका स्थित कुशल भारतीय कर्मचारी अमरीका के आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं| इसके आगे भी उन्हें यह अवसर मिलना चाहिए, ऐसा भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अमरीका के वित्तमंत्री के साथ हुई चर्चा में कहा है| ‘एच-१बी’ व्हिसा मामले में अमरीका ने नियम सख़्त कर दिए हैं| इसका असर भारत के आयटी क्षेत्र और इस क्षेत्र के कर्मचारियों पर होनेवाला है| इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका की यात्रा पर आ चुके वित्तमंत्री अरुण जेटली ने यह माँग अमरिकी व्यापारमंत्री के सामने रखी है, ऐसा दिख रहा है| उसी समय, भारत की व्यापारमंत्री निर्मला सीतारामन ने, ‘अमरीकी कंपनियाँ भी भारत में हैं’ इसकी याद दिलायी है|

भारत के वित्तमंत्री

आंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष और जागतिक बैंक की वार्षिक बैठक के लिए अमरीका यात्रा पर आये अरुण जेटली ने अमरीका के व्यापारमंत्री विल्बर रॉस से मुलाकात की| उस समय उन्होंने अमरीका के व्हिसासंबंधित नियमों पर चिंता जतायी और इस मामले में भारत को प्रतीत होनेवाली चिंता साफ शब्दों में रखी| भारतीय कुशल कर्मचारियों ने अमरीका के आर्थिक विकास में योगदान दिया है| आनेवाले समय में भी उन्हें यह अवसर मिलना चाहिए, ऐसा कहकर वित्तमंत्री जेटली ने, ‘भारतीय कर्मचारियों तथा आयटी कंपनियों के हितसंबंधों के विरोध में अमरीका ने फैसला नहीं करना चाहिए’ ऐसा आवाहन किया| इस अवसर पर बात करते हुए अमरीका के व्यापारमंत्री विल्बर रॉस ने, ‘अबतक अमरीका ने इस मामले में अंतिम फैसला नहीं किया है’ ऐसा कहकर वित्तमंत्री अरुण जेटली को आश्‍वस्त किया है|

आनेवाले कुछ सालों में भारत और अमरीका ने ५०० अरब डॉलर के वार्षिक व्यापार के लक्ष्य को पूरा करना चाहिए, ऐसी उम्मीद जताकर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने, अमरीका की नीति इसके लिए ख़तरा पैदा कर सकती हैं, ऐसे संकेत दिये हैं| इसी दौरान, पिछले कुछ हफ्तों से जागतिक स्तर पर वित्तकारण में बड़े बदलाव हो रहे हैं| डोनाल्ड ट्रम्प अमरीका के राष्ट्राध्यक्षपद पर विराजमान होते ही उन्होंने, इसके आगे अमरिकी जनता का रोजगार दूसरे किसी को भी छीनने नहीं देंगे, ऐसा वादा दिया था| इसके तहत ट्रम्प प्रशासन व्हिसासंबंधित नियमों में बदलाव करके अमरिकी जनता का रोजगार बढ़ाने की कोशिश कर रहा है|

लेकिन यह बचावात्मक आर्थिक नीति अमरीका को संकट में धकेलेगी, ऐसी चेतावनी जानकारों द्वारा दी जा रही है| भारत तथा अन्य देशों द्वारा इसपर आ रही प्रतिक्रिया यही दर्शा रही है| अमरीका के साथ साथ ऑस्ट्रेलिया और न्यूझीलैंड इन देशों ने भी अपनी व्हिसासंबंधित नीति में बदलाव करके, देसी युवकों को ही ज़्यादा रोजगार मिलें ऐसे प्रावधान करना शुरू कर दिया है| इसका भारतीय वित्तव्यवस्था पर असर हो सकता है| भारत के सकल राष्ट्रीय उत्पादन में सेवाक्षेत्र का हिस्सा ६० प्रतिशत इतना है| इसपर भारत का २८ प्रतिशत इतना रोजगार निर्भर है| इसके कारण विकसित देशों की इस बदलती नीति से भारत पर बुरा असर पड़ सकता है|

इस मामले में बात करते समय भारत की व्यापारमंत्री निर्मला सितारामन ने, ‘अमरिकी कंपनियाँ भी भारत में हैं और भारत से बहुत बड़ा मुनाफ़ा कमा रही हैं’, इसकी याद उन्होंने कराके दी| अमरीका ने अपना फैसला बदलने से इन्कार किया, तो भारत उसका मुहँतोड़ जवाब दे सकता है, ऐसा साफ़ संदेश सितारामन के इस बयान से अमरीका को दिया जा रहा है|

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