अफ़गानिस्तान फिर से आतंकवाद का केंद्र बन रहा है – ब्रिटिश गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआई५’ के प्रमुख का इशारा

terror-centre-afghan-1लंदन – तालिबान के नियंत्रण में अफ़गानिस्तान फिर से आतंकवाद का केंद्र बन रहा है। छह महीने पहले पश्‍चिमी देशों की वापसी के बाद आतंकी अफ़गानिस्तान में फिर से अपना नेटवर्क स्थापित कर रहे हैं। ब्रिटेन समेत विश्‍वभर के आतंकी और चरमपंथी अफ़गानिस्तान पहुँच रहे हैं और ब्रिटेन की सुरक्षा के लिए इससे गंभीर खतरा बनता है, यह इशारा ब्रिटिश गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआई५’ के प्रमुख केन मैकलम ने दिया।

तालिबान द्वारा अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा किए जाने की घटना को छह महीने हाल ही में बीते हैं। इस दौरान अफ़गानिस्तान में अल कायदा और आयएस का नेटवर्क मज़बूत हो रहा है, यह आरोप अमरिकी सैन्य अधिकारियों ने लगाया था। कुछ हफ्ते पहले ही अमरीका ने अफ़गानिस्तान में मौजूद आयएस के कमांड़र के सिर पर ईनाम का ऐलान किया। इस दौरान संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी अफ़गानिस्तान में आतंकी संगठनों के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता जताई थी। इसके कुछ ही दिन बाद ‘एमआई५’ के प्रमुख का यह इशारा प्रसिद्ध हुआ है।

पिछले साल सितंबर में ही केन मैकलम ने, अफ़गानिस्तान फिर से आतंकवाद का केंद्र बन सकता है, इस ओर ध्यान आकर्षित किया था। तालिबान की सरकार बनने से आतंकी और चरमपंथियों का उत्साह और उन्माद बढ़ने का दावा मैकलम ने किया था। अब कुछ घंटे पहले ब्रिटीश अखबार ‘डेली मेल’ से बातचीत करते समय भी मैकलम ने यह इशारा दिया। पश्‍चिमी देशों को परास्त करके तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा किया, ऐसा सोचनेवाले ब्रिटेन स्थित चरमपंथी अफ़गानिस्तान जाने की कोशिश कर रहे हैं, यह जानकारी भी मैकलम ने साझा की। इन चरमपंथियों को साथ लेकर अफ़गानिस्तान के आतंकी संगठन अधिक ताकतवर होंगे और ब्रिटेन पर हमले की साज़िश रचेंगे, यह दावा मैकलम ने किया।

terror-centre-afghan-2कुछ साल पहले सीरिया में ‘आयएस’ ने शुरू किए संघर्ष में ब्रिटेन के सैंकड़ों चरमपंथी यूवा-युवतियां शामिल हुए थे। इससे ब्रिटेन की सुरक्षा को बड़ा खतरा निर्माण हुआ था। अफ़गानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापित होने के बाद भी यही स्थिति निर्माण होने के आसार दिखाई दे रहे हैं, ऐसा मैकलम ने कहा। अफ़गानिस्तान में जमावड़ा कर रहे यह आतंकी अल कायदा की तरह बड़े हमलों को अंजाम दे सकते हैं, यह इशारा मैकलम ने दिया। इसके लिए ब्रिटीश गुप्तचर यंत्रणा के प्रमुख ने सन २००६ में हिथ्रो हवाईअड्डे पर हुए हमले का दाखिला दिया।

कोरोना की वजह से पूरे विश्‍व में हुआ जान का नुकसान भी अल कायदा और अन्य आतंकी संगठनों को जैविक हमलों के लिए उकसा सकता है, यह दावा मैकलम ने किया। कुछ महीने पहले ‘आयएस’ के आतंकियों ने ऐसे जैविक हमले करने के इशारे दिए थे। इस पृष्ठभूमि पर ब्रिटिश गुप्तचर यंत्रणा के प्रमुख के इशारे की गंभीरता बढ़ी है। इसी बीच, अपनी भूमि का इस्तेमाल अन्य किसी देश पर आतंकी हमला करने के लिए नहीं होगा, यह ऐलान तालिबान ने सत्ता स्थापित करते ही किया था। लेकिन, तालिबान इन वादों को पूरा करेगा, इसकी गारंटी अब किसी को नहीं रही। तालिबान के अलग अलग गुटों की वजह से तालिबान के नेताओं के हाथों में अब अपने ही संगठन पर पूरा नियंत्रण नहीं रहा। ऐसी स्थिति में पश्‍चिमी देशों पर आतंकी हमले होने से रोकने की क्षमता एवं इच्छाशक्ति भी तालिबान के पास ना होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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