पैलेस्टिनी नेताओं की यात्रा पर इस्रायल की नई सरकार ने लगाए प्रतिबंध – संयुक्त राष्ट्र संघ में इस्रायल विरोधी प्रस्ताव का समर्थन करने पर सबक के तौर पर हुई कार्रवाई

तेल अवीव –  जॉर्डन से पैलेस्टिन के वेस्ट बैंक में लौट रहे पैलेस्टिन के विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी को इस्रायली सैनिकों ने सीमा पर ही रोक दिया। उन्हें विशेष राजनीतिक अधिकार बहाल करने वाला ‘व्हीआईपी ट्रैवल कार्ड’ इस्रायली सैनिकों ने जब्त किया है। इस्रायल-पैलेस्टिन विवाद संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाकर इस्रायल को अंतरराष्ट्रीय अदालत में खींचने में पैलेस्टिनी नेता सफल हुए थे। इसके बाद पैलेस्टिनी नेताओं को सबक सिखाने के लिए उनकी विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय इस्रायल की नई सरकार ने किया हैं। रियाद अल-मलिकी का ‘व्हीआईपी ट्रैवल कार्ड’ जब्त करने के पीछे इस्रायली सरकार का यही निर्णय होने की बात सामने आ रही हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघइस्रायल के चुनाव में बहुमत प्राप्त करके सत्ता की बागड़ोर संभालने वाले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू की सरकार ने अपनी नीति पहले की सरकार से काफी अलग होगी, यह संकेत दिए थे। इसके आगे अंतरराष्ट्रीय स्तर से प्राप्त सूचनाओं का पालन इस्रायल नहीं करेगा, इसके बजाय अपने हितसंबंधों की रक्षा करने के लिए इस्रायल अहमियत देगा, यह बयान प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने कुछ ही दिन पहले किया था। इसकी साक्ष देने वाले आक्रामक निर्णय इस्रायल की नई सरकार ने किए हैं। इसके अनुसार पैलेस्टिनी विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी का ‘व्हीआईपी ट्रैव्हल कार्ड’ जब्त किया गया है और पैलेस्टिन के अन्य नेता एवं अधिकारियों की यात्रा पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इस वजह से वेस्ट बैंक की पैलेस्टिनी सरकार का हिस्सा होने वाले नेताओं को और प्रशासकीय अधिकारियों को वेस्ट बैंक से बाहर निकलना और लौट आना अब आसान नहीं होगा।

संयुक्त राष्ट्र संघ में इस्रायल विरोधी प्रस्ताव पेश करके पैलेस्टिनी नेताओं ने अपने देश को अंतरराष्ट्रीय अदालत में खिंचा हैं। इस वजह से पैलेस्टिनी नेताओं पर यह प्रतिबंध लगाए गए हैं यह कहकर इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने इस निर्णय का समर्थन किया। पैलेस्टिनी का हिस्सा होने वाले वेस्ट बैंक और गाझा में इस्रायली सरकार ने ज्यू वंशियों की बस्तियों का निर्माण करने का निर्णय किया था। इसपर पैलेस्टिन ने कड़ी आलोचना की थी। इसकी गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनाई पड़ी और अमरिका एवं यूरोपिय देशों ने भी इस्रायल को इसके विरोध में आगाह किया था। यह मसला संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाया गया था। इस मसले पर पैलेस्टिन का समर्थन करने वाला एवं इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत के सामने रखने का प्रस्ताव राष्ट्र संघ में पारित हुआ था। इसपर इस्रायल ने काफी तीखी प्रतिक्रिया दर्ज़ की थी।

संयुक्त राष्ट्र संघसंयुक्त राष्ट्र संघ में इस्रायली राजदूत ने इसपर राष्ट्रसंघ की नैतिक दिवालिया पुरे विश्व के सामने आया है, यह कहा था। ऐसे में इस्रायली प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का निर्णय स्वीकार ने के लिए हमारा देश प्रतिबद्ध ना होने का इशारा दिया। अपनी ही भूमि में इस्रायली नागरिकों को घुसपैठी साबित करने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ के इस प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने तीखी आलोचना की थी। इसके बाद पैलेस्टिनी नेताओं की विदेश यात्रा पर रोक लगाने का सख्त निर्णय करके इस्रायल की सरकार ने अपनी नीति पहले के प्रधानमंत्री येर लैपिड से काफी अलग होगी, ऐसे संकेत दिए हैं। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय माध्यमों में इसकी गूंज सुनाई पड़ी हैं और आनेवाले समय में इस्रायल की नई सरकार पर इस मामले में पश्चिमी देशों का दबाव आने की संभावना हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ में इस्रायल विरोधी प्रस्ताव के विरोध में अमरीका और यूरोपिय देशों ने मतदान करके हम इस्रायल के पक्ष में होने की बात दिखाने की कोशिश की हैं। लेकिन, वास्तव में इन देशों ने इस्रायल का समर्थन हटाने के कारण ही यह प्रस्ताव राष्ट्रसंघ में पारित होता दिख रहा हैं। इसके पीछे अमरीका के बायडेन प्रशासन और यूरोपिय देशों का इस्रायल की नई सरकार पर दबाव बढ़ाने की कोशिस होने की बात स्पष्ट दिखने लगी हैं।

इस पृष्ठभूमि पर हम किसी के भी दबाव का शिकार नहीं होंगे, यह इशारा प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू अपने आक्रामक निर्णय से दे रहे हैं। इससे इस्रायल की सरकार को एक ही समय पर पैलेस्टिन के साथ ही अपने करीबी सहयोगी देशों के साथ भी राजनीतिक स्तर पर संघर्ष करना होगा, यह भी सामने आ रहा हैं।

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