चीन और खाड़ी देशों के सहयोग से नई वैश्विक ईंधन व्यवस्था आकार प्राप्त कर रही है – यूरोपिय विश्लेषक का दावा

बीजिंग – ‘दिसंबर महीने में चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग और सौदी एवं ‘गल्फ को-ऑपरेशन कौन्सिल’ की हुई बैठक में ‘पेट्रोयुआन’ का उदय हुआ है। चीन और खाड़ी देशों के सहयोग से नई वैश्विक ईंधन व्यवस्था आकार प्राप्त कर रही हैं और २०२३ वर्ष इसमें अहम चरण साबित होगा’, ऐसा दावा यूरोप की प्रमुख वित्तसंस्था ‘क्रेडिट सूस’ के विश्लेषकों ने किया। पिछले शतक में अमरीका के डॉलर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख आरक्षित मुद्रा के तौर पर स्वीकृति प्रदान करने में ईंधन कारोबार का योगदान सबसे प्रमुख झा। इस पृष्ठभूमि पर यूरोपिय विश्लेषकों का यह बयान ध्यान आकर्षित करता है।

वैश्विक ईंधन व्यवस्थायूरोप की प्रमुख वित्तसंस्थाओं में से एक के तौर पर जानी जा रही ‘क्रेडिट सूस’ के प्रमुख विश्लेषक झोल्टन पॉझ्सर ने अपने ग्राहकों को दिए संदेश मे बदलती ईंधन व्यवस्था का ज़िक्र किया है। ‘चीन अपने हितसंबंध सामने रखकर वैश्विक ईंधन बाज़ार के नियम नए से लिखने की कोशिश कर रहा हैं। अगले कुछ सालों में ईंधन कारोबार में काफी बड़ी मात्रा में युआन का इस्तेमाल होगा। इस वजह से वैश्विक ईंधन और ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलाव होंगे’, ऐसा इसारा पॉझ्सर ने दिया है।

वैश्विक ईंधन व्यवस्थावैश्विक ईंधन बाज़ार के प्रमुख ‘ओपेक प्लस’ गुट के रशिया, ईरान, वेनेजुएला इन देशों में ४० प्रतिशत और ‘गल्फ को-ऑपरेशन कौन्सिल’ के सदस्य देशों में ४० प्रतिशत आरक्षित ईंधन भंड़ार हैं। अन्य २० प्रतिशत भंड़ार चीन और रशिया के प्रभावी क्षेत्र के देशों में ही होने के मुद्दे पर यूरोपिय विश्लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया है। चीन ने अपनी मुद्रा युआन को हाँगकाँग और शांघाय में स्थापीत ‘गोल्ड एक्सचेंज’ में सोने में तब्दिल करने की सुविधा भी उपलब्ध करायी है, इसका अहसास भी पॉझ्सर ने कराया। यह मुद्दा युआन के लिए सुरक्षा कवच के तौर पर काम कर सकता है, ऐसा दावा उन्होंने किया। अमरिकी डॉलर्स के बॉण्ड खरीद रहे विदेशी ग्राहकों की संख्या कम हो रही हैं और ऐसे में पेट्रोयुआन का इस्तेमाल गतिमान हुआ तो ‘डिडॉलराइजेशन’ की आग और भी भड़केगी, ऐसी चेतावनी भी पॉझ्सर ने दी।

वैश्विक ईंधन व्यवस्थापिछले शतक में ईंधन उत्पादक देशों ने डॉलर से कारोबार करने की बात मानने से इसका इस्तेमाल बढ़ा और इसे आम तौर पर स्वीकृति आरक्षित मुद्रा के तौर पर अपना स्थान स्थापीत करना मुमकिन हुआ था। लेकिन, पिछले कुछ सालों में चीन भी युआन को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुद्रा के तौर पर स्वीकृति प्रदान कराने के लिए बड़ी कोशिश कर रहा हैं और कई देशों के साथ चीन ने इसी मुद्दे को लेकर समझौते भी किए हैं। कई देशों के द्विपक्षीय व्यापार में चीन ने युआन का इस्तेमाल करने की शर्त रखकर इसका इस्तेमाल वैश्विक कारोबार में युआन का हिस्सा बढ़ाने की सफलता भी प्राप्त की है। खाड़ी देशों ने युआन का इस्तेमाल शुरू किया तो वैश्विक स्तर पर इसे स्वीकृति प्राप्त होगी और इसका इस्तेमाल काफी बढ़ सकता हैं।

चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग का दौरा इसी नज़रिये से बड़ा अहम कदम साबित हुआ था। ‘चीन आगे भी खाड़ी देशों से भारी मात्रा में कच्चे तेल की आयात जारी रखेगा। नैसर्गिक ईंधन वायु का व्यापार भी बढ़ाया जाएगा। इस ईंधन कारोबार के लिए चीन ‘शांघाय पेट्रोलियम ॲण्ड नैशनल गैस एक्सेंज’ का बतैर व्यासपीठ करेगा। इस माध्यम से होने वाले कच्चे तेल और ईंधन वायु के कारोबार में युआन का प्रयोग होगा’, इन शब्दों में चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने आनेवाले समय में अरब देशों के साथ ईंधन कारोबार करने के लिए युआन का मुद्रा के तौर पर इस्तेमाल करने के संकेत दिए थे। चीन और खाड़ी देशों के ईंधन कारोबार में युआन का इस्तेमाल शुरू हुआ तो यह बात अमरिकी डॉलर के वर्चस्व के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हो सकता है।

अंतरराष्ट्रीय ईंधन कारोबार में ‘पेट्रोयुआन’ के इस्तेमाल का मुद्दा वैश्विक स्तर पर अमरीका के महासत्ता पद के लिए भी खतरा बना सकता है, इस ओर विशेषज्ञ और विश्लेषक लगातार ध्यान आकर्षित कर रहे हैं और पॉझ्सर का दावा इसी का हिस्सा बनता है।

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