तवांग के ‘एलएसी’ पर हुए संघर्ष के बाद दलाई लामा का चीन को लेकर अहम संदेश

कांग्रा – यूरोप, अफ्रीका और एशियाई महाद्वीप की स्थिति बदल रही हैं और चीन अधिक लचीलापन दिखा रहा हैं, ऐसा सूचक बयान बौद्ध धर्मियों के गुरु एवं तिब्बती नेता सम्माननीय दलाई लामा ने किया है। लेकिन, चीन में ऐसे बदलाव होने के बावजूद हम चीन लौटने के लिए तैयार नहीं हैं, भारत ही हमारा स्थायी निवास हैं, यहीं रहना हमें पसंत रहेगा, ऐसा दलाई लामा ने स्पष्ट किया।

दलाई लामातवांग के ‘एलएसी’ पर स्थित ‘यांगत्से’ क्षेत्र में भारतीय सेना और चीन के सैनिकों का संघर्ष होने के बाद पहली बार दलाई लामा माध्यमों के सामने आए। ८७ वर्ष उम्र के दलाई लामा ने यूरोप, अफ्रीका और एशियाई महाद्वीप में हो रहे बदलावों पर गौर करके मौजूदा समय में चीन अधिक लचिलापन दिखा रहा हैं, ऐसा बयान किया। तिब्बत का क्षेत्र हथियाकर वहां की जनता को चीन ने प्रताड़ित करना जारी रखा था। तिब्बत की बौद्धधर्मियों की विशेषताओं से भरी विरासत, तिब्बती संस्कृति और भाषा नष्ट करने के लिए चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने दमन का इस्तेमाल किया था। लेकिन, उस समय उभरती आर्थिक शक्ति बने चीन की इन गतिविधियों को पश्चिमी देशों ने अनदेखा किया था। लेकिन, मौजूद चीन के विस्तारवादी रवैये की दाहकता अन्य देशों को भी महसूस होने पर स्थिति में बदलाव हुआ हैं।

इसी का दाखिला दलाई लामा अपने बयान से दे रहे हैं, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। यूरोप, अफ्रीका और एशियाई महाद्वीप के देश चीन का खुलेआम विरोध कर रहे हैं। छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसाकर उनके नैसर्गिक स्रोत हथियाने की चीन की शिकारी अर्थनीति का पूरे विश्व में विरोध होने लगा हैं। यह विरोध करने वालों में यूरोपिय देशों के साथ अफ्रीका और एशियाई देशों का भी समावेश हैं। पूरे विश्व में हो रहे विरोध की वजह से चीन को अपनी नीति में कम से कम कुछ हद तक बदलाव करना आवश्यक महसूस होने लगा हैं। इसका अस्पष्टता   दाखिला दलाई लामा के इस बयान से प्राप्त होता दिख रहा है।

चीन अपनी नीति में लचीलापन दिखा रहा हो, फिर भी हम चीन नहीं लौटेंगे। अब भारत ही हमारा स्थायि घर हैं, यह कहकर भारत हमारे लिए ‘परफेक्ट’ होने का संदेश दलाई लामा ने दिया। दलाई लामा ने साल १९५९ में चीन ने हमला करने के बाद तिब्बेत छोड़ा और भारत में पनाह ली। भारत में रहकर ही दलाई लामा ने तिब्बत पर चीन कर रहें अत्याचारों को विश्व के सामने लाया था। अभी भी चीन के तिब्बतीयों पर हो रहे अत्याचार बंद नहीं हुए हैं। तिब्बती जनता चीन की ओर स्वतंत्रता नहीं, बल्कि स्वायत्तता मांग रही हैं, यह ऐलान करने के बावजूद तिब्बती जनता के कष्ट और हालात बदले नहीं हैं। ऐसी स्थिति में हम चीन  नहीं लौटेंगे, यह कहकर दलाई लामा ने चीन की बुनियादी विचारधारा बदली नहीं हैं, इसका अहसास भी कराया हैं। साथ ही अपने इस बयान से लदाई लामा ने भारत और चीन के बीच मौजूद फरक पुरे विश्व को दिखाया।

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