वैश्विक मंदी के डर से अंतरराष्ट्रीय शेअर बाज़ारों में आई गिरावट

न्यूयॉर्क/लंडन – अमेरिका के फेडरल रिज़र्व समेत विश्व की कुछ आघाडी की बैंकों ने महंगाई को काबू करने के लिए ब्याजदर बढानी नीति आगे भी बरकरार रखने का निर्णय लिया है। इस निर्णय की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मंदी छाने के आसार नजर आए हैं और निवेशकों में बेचैनी छाई हैं। इस अवस्था के प्रभाव अंतरराष्ट्रीय शेअर बाज़ारों पर पडा है। सोमवार को विश्वभर के प्रमुख शेअर बाज़ारों में आधा प्रतिशत से दो प्रतिशत तक गिरावट आई। इस गिरावट की वजह से विश्व की प्रमुख कंपनियों समेत सामान्य निवेशकों को अरबों डॉलर्स का नुकसान हुआ है।

पिछले सप्ताह अमेरिका के ‘फेडरल रिज़र्व’ ने ब्याजदर में आधा प्रतिशत बढोतरी की। इसलिए फेडरल रिज़र्व के प्रमुखों ने अगले वर्ष भी बढोतरी जारी रहेगी ऐसा कहा था। अमेरिका के साथ-साथ ब्रिटेन की केंद्रीय बैंक ने भी ब्याजदर में बढोतरी की है। युरोप तथा एशिया की कई बैंकों ने इस बात को दोहराने के संकेत दिए हैं। इस बढोतरी की वजह से कर्ज महंगे होंगे और ग्राहकों की क्रय शक्ति घटने की संभावना है। इसलिए घर, गाडियां एवं अन्य उत्पादनों की मांग पर असर पड सकता है। इस सबका प्रभाव व्यापार पर होगा और आर्थिक मंदी को प्रोत्साहन मिलेगा, ऐसा कहा जा रहा है।

विश्वभर की आघाडी कि वित्तसंस्थाओं ने २०२२ की अंतिम तिमाही एवं २०२३ वर्ष में मंदी की संभावना की बात पहले की कही थी। इसलिए निवेशकों में बेचैनी है और वे शेअर बाज़ार से पैसे निकालने लगे हैं। इसका असर विश्व के सभी शेअर बाज़ारों पर पडा है। सोमवार को अमेरिका, युरोप एवं एशिया के सभी शेअर निर्देशांकों में आधे से दो प्रतिशत तक गिरावट आई।

अमेरिका के ‘नैस्डैक’, ‘डो जोन्स’ एवं ‘एसऐण्डपी ५००’ निर्देशांक एक प्रतिशत से अधिक गिरे। तो युरोप के ‘डैक्स’, ‘सीएसी ४०’, ‘रसेल २०००’ निर्देशकों में आधे से एक टक्के की गिरावट आई। एशिया के ‘निक्केई २२५’, ‘हैंग सेंग’ ‘शांघाई कंपोज़िट’ ‘शेन्ज़ेन’, ‘कॉस्पि’ नामक शेअरबाज़ारों में डेढ से दो प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई। ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूज़ीलैंड के निर्देशांक भी कुछ हद तक नीचे उतरने की बात कही जाती है।

पिछले कुछ महीनों से शेअरबाज़ारों में निरंतररूप से गिरावट जारी है और अमेरिका, युरोप तथा चीन के कुछ निर्देशांक वर्षभर के न्यूनतम स्तर पर हैं। कई बडी कंपनियों ने अपने आर्थिक अहवालों में मंदी के संकेत दिए हैं और आर्थिक पलडा संभालने के लिए बडे पैमाने पर कर्मचारियों को घटाया है। इसमें शेअरबाज़ार में सक्रिय ‘गोल्डमन सैक्स’ जैसी आघाडी की कंपनियां चीन जैसे देशों में अपना निवेश घटा रहे हैं और इसका प्रभाव भी शेअरबाज़ार पर दिखाई देता है

इस दौरान, एशिया के चौथे क्रमांक की अर्थव्यवस्था दक्षिण कोरिया ने अगले वर्ष में मंदी के संकेत दिए हैं। विश्व स्तर पर गिरावट की वजह से सन २०२३ में भारत की अर्थव्यवस्था दो प्रतिशत से कम विकासदर दर्ज करेगा, ऐसा दक्षिण कोरिया के वित्तमंत्री चू क्युंग-हो ने आगाह किया है। दक्षिण कोरिया की मध्य बैंक ने अपने अहवाल में अगले वर्ष देश की अर्थव्यवस्था १.७ प्रतिशत दर पर जम जाएगी, ऐसा कहा है।

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