अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने भारत की सराहना की

वॉशिंग्टन – पूरा विश्व आर्थिक मंदी के साए में है और ऐसी स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन चमकते तारे की भांति प्रकाशमान हैं, इन शब्दों में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने भारत की सराहना की। लेकिन, दस ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था का ध्येय हासिल करने के लिए भारत को रचनात्मक सुधार करने पडेंगे, ऐसी सलाह मुद्राकोष की प्रमुख आर्थिक सलाहकार ने दी। तथा अपने विशाल देश की गरीब जनता को सहायता प्रदान देने के लिए भारत की योजना यानी ‘लॉजिस्टिक मार्वेल’ अर्थात सप्लाई क्षेत्र का चमत्कार है। इससे अन्य देशों ने सीखना चाहिए, ऐसा मुद्राकोष ने कहा है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोषयूक्रेन युद्ध की वजह से निर्माण हुई स्थिति का बुरा असर पूरे विश्व पर पड़ा है। अनाज और ईंधन की किल्लत एवं उत्पादन की सप्लाई चेन बाधित होने की वजह से विश्वभर के प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाएं खतरे में हैं। बिल्कुल अमरीका जैसी महासत्ता को भी मंदी का सामना करना ही पडेगा और अन्य देश भी आर्थिक मंदी के भंवर में फंसेंगे, ऐसा इशारा आर्थिक विशेषज्ञ दे रहे हैं। लेकिन, ऐसी स्थिति में भारत किसी चमकते तारे की तरह प्रकाशमान है और भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन कर रही है, ऐसा खुलासा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के प्रमुख आर्थिक सलाहकार पेरी-ऑलिवर गॉरिन्चास ने किया। पहले भी मुद्राकोष ने प्रमुख देशों में भारतीय अर्थव्यवस्था ही अगले वित्तीय वर्ष में सबसे अधिक तेज़ी से प्रगति करेगी, ऐसा अनुमान लगाया था।

फिलहाल भारत ब्रिटेन आगे बढ़कर विश्व में पांचवें क्रमांक की अर्थव्यवस्था बना है। लेकिन, अपनी अर्थव्यवस्था दस ट्रिलियन डॉलर्स तक बढ़ाने के लिए भारत को अपनी आर्थिक नीति में रचनात्मक सुधार करने पड़ेंगे, ऐसा स्पष्ट बयान पेरी-ऑलिवर गॉरिन्चास ने किया। इनमें से कुछ सुधार भारत ने शुरू किए हैं। लेकिन, आनेवाले समय में यह प्रक्रिया अधिक गतिमान करनी पडेगी। भारत १० ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था होने की क्षमता रखता है, यह भी पेरी-ऑलिवर गॉरिन्चास ने कहा। खास तौर पर डिजिटाईज़ेशन के क्षेत्र में भारत ने की प्रगति की गॉरिचास ने सराहना की।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोषअगले वर्ष भारत ‘जी-२०’ परिषद का आयोजन कर रहा है। वर्तमान में विश्वभर में भू-राजनीतिक गतिविधियों के मद्देनज़र इस परिषद का आयोजन उतना आसान नहीं होगा, इसका अहसास पेरी-ऑलिवर गॉरिन्चास ने कराया। लेकिन, प्रमुख देशों को इस परिषद के माध्यम से एकजुट करने में भारत ने सफलता पाई तो यह एक बहुत बड़ी बात मानी जाएगी, यह विश्वास भी गॉरिन्चास ने व्यक्त की। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के ‘फिस्कल अफेअर्स डिपार्टमेंट’ के उप-संचालक पाओलो माउरो ने भारत ने गरीबों को सीधे सहायता करने के लिए अपनायी कल्याणकारी योजना यानी ‘लॉजिस्टिक मार्वेल’ अर्थात सप्लाई के क्षेत्र में चमत्कार है, ऐसी खुले दिल से सराहना की।

‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर’ (डीबीटी) यानी कल्याणकारी योजना जिनके लिए है उन तक इसके लाभ सीधे पहुँचाने के लिए भारत ने उचित कदम उठाए। इन लाभार्थियों के बैंक खातों में सहायता सीधी पहुँचती है और इससे पारदर्शिता रखी जाती है और मध्यस्थों द्वारा होने वाला गबन टाला जाता है, ऐसा पाओलो माउरो ने कहा।

सन २०१३ से अब तक भारत सरकार ने २४.८ लाख करोड़ रुपयों की रकम कल्याणकारी योजनाओं के ज़रिये अपनी जनता तक पहुँचाई है। सन २०२१-२२ के वित्तीय वर्ष में ६.३ लाख करोड़ रुपयों की सहायता भारत ने ज़रूरतमंदों तक पहुँचाई। महिलाएं, बूजुर्ग और किसानों के लिए चलाई गई इन कल्याणकारी योजनाओं का सीधा लाभ ज़रूरतमंदों को मिल रहा है। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले बड़े देश में इस तरह की सहायता प्रदान करना एक चमत्कार ही है। भारत ने प्रगत तकनीक इस्तेमाल करके इसे मुमकिन कर दिखाया। इसके लिए आधार कार्ड जैसे ‘युनीक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम’ का इस्तेमाल किया, ऐसा कहकर इससे अन्य देशों को सिखना चाहिए, ऐसा पाओलो माउरो ने कहा।

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