यूरोप की ईंधन ज़रूरतें अमरीका पूरी नहीं कर सकती – ब्रिटीश अखबार का दावा

वॉशिंग्टन/ब्रुसेल्स – रशियन ईंधन के आयात पर प्रतिबंध लगाकर रशिया को नुकसान पहुँचाने की मंशा रखनेवाले यूरोप के सामने ईंधन संकट अधिक तीव्र होने के संकेत प्राप्त हुए हैं। अमरीका, खाड़ी एवं अफ्रीकी देशों के जोर पर रशियन ईंधन के लिए विकल्प देना मुमकिन होगा, ऐसे दावे यूरोपिय नेता और विशेषज्ञ कर रहे थे। लेकिन, खाड़ी और अफ्रीकी देशों ने इसके लिए कई साल लगेंगे, ऐसा कहकर यूरोप का दबाव खारिज किया था। इस वजह से सारा भार अमरीका पर होने की स्थिति में अमरीका के ईंधन उत्पादकों ने यूरोप की ज़रूरतें पूरी करने में असमर्थता दर्शायी है। ब्रिटेन के शीर्ष अखबार ‘द फाइनान्शियल टाईम्स’ ने इससे संबंधित वृत्त दिया।

रशिया यूरोप का सबसे बड़ा ईंधन निर्यातक देश के रूप में जाना जाता है। यूरोपिय ईंधन की कुल ज़रूरतों में से ३० प्रतिशत से अधिक ज़रूरतें रशिया पूरी करती है। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार यूरोपिय देश रशिया से प्रतिदिन ३५ लाख बैरल्स कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादन आयात करते हैं। साल २०२१ में रशिया ने यूरोपिय देशों को १५० अरब घनमीटर से अधिक नैसर्गिक ईंधन वायु का निर्यात किया था। ईंधन के वैश्विक बाज़ार में रशिया शीर्ष उत्पादकों में से एक है और इस बाज़ार का १० प्रतिशत से अधिक हिस्सा रशिया के पास है।

रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर यूक्रेन को समर्थन दे रहे यूरोपिय देशों ने रशिया से ईंधन आयात कम करने का निर्णय किया था। इसके अनुसार इस साल के अन्त तक रशियन ईंधन का आयात ८० प्रतिशत घटाया जा रहा है। लेकिन, रशियन ईंधन का आयात बंद करने के बाद इसके सक्षम विकल्प की खोजने में यूरोपिय देश नाकाम रहे। कच्चे तेल एवं नैसर्गिक ईंधन वायु का आयात बढ़ाने के लिए यूरोपिय देशों ने खाड़ी देश एवं अफ्रीकी महाद्वीप के देशों से चर्चा शुरू की थी। लेकिन, इन देशों ने रशिया के लिए विकल्प नहीं दे सकते, ऐसी स्पष्ट भूमिका अपनाई है। इस वजह से यूरोप अमरीका के निर्यात पर निर्भर है।

पिछले साल से अमरीका की कई कंपनियों ने ईंधन निर्यात करने के लिए यूरोपिय देशों के साथ समझौते किए हैं। अमरिका के कई जहाज़ यूरोपिय बंदरगाहों में भारी संख्या में दाखिल हो रहे हैं। अमरीका के ईंधन वायु उत्पादन का ७० प्रतिशत से अधिक ईंधन वायु अमरीका ने यूरोप को निर्यात किया है। ऐसे में साल २०२२ के पहले पांच महीनों में यूरोप ने २१ करोड़ बैरल्स से अधिक कच्चे तेल का अमरीका से आयात किया है। पिछले साल की तुलना में इस साल अमरीका से यूरोप को हो रहा ईंधन निर्यात दोगुने से अधिक बढा है।

निर्यात बढ़ने के बावजूद ईंधन का उत्पादन उसी मात्रा में नहीं बढा है, ऐसा अमरीका की कंपनियाँ और विश्लेषकों का कहना है। ‘शेल’ ईंधन के क्षेत्र में निवेश कर रहे उद्यमियों ने इस क्षेत्र को सरकार से विशेष सहायता प्राप्त ना होने की आलोचना की है। ‘फिलहाल अमरीका में जो कुछ उत्पादन हो रहा है इसमें बड़ी बढ़ोतरी होने की संभावना नहीं है। इस वजह से कच्चे तेल या ईंधन वायु की समस्या से अमरीका अपनी रिहाई करेगी, ऐसा विचार यूरोपिय देश ना सोचें, ऐसी चेतावनी अमरिकी निवेषक विल वैन्लोव ने दी।

इसी बीच ऊर्जा संकट को परास्त करने के लिए जर्मनी ने रशियन ईंधन कंपनी ‘रोज़नेफ्ट’ के तीन उपक्रमों पर कब्ज़ा करने का ऐलान किया। अब इन कंपनियों के पास ‘फेडरल नेटवर्क एजेन्सी’ के मालिकाना हक रहेगा और मूल रशियन कंपनी को किसी भी तरह के आदेश देना संभव नहीं होगा, ऐसा जर्मन सरकार ने स्पष्ट किया।

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