‘यूएई’ के विदेशमंत्री की तुर्की यात्रा

इस्तंबूल – संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेशमंत्री ‘शेख अब्दुल्ला बिन झायेद अल नह्यान’ ने तुर्की का दौरा करके तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन से मुलाकात की। इस दौरान यूएई और तुर्की के सहयोग को लेकर चर्चा हुई। दोनों देशों ने अपने सभी स्तरों पर सहयोग बढ़ाने का निर्णय किया है। दोनों देशों के बीच फिलहाल हो रहा आठ अरब डॉलर्स का व्यापार अगले समय में बढ़ाकर १० अरब डॉलर्स करने का ऐलान भी किया गया। लेकिन, इस व्यापारी सहयोग से अधिक तुर्की के यूएई और सौदी अरब से नए से विकसित हो रहे संबंध ही चर्चा का मुद्दा बना है।

‘यूएई' के विदेशमंत्रीसौदी अरब और यूएई के प्रभावी देशों की तुर्की ने पिछले कुछ सालों में कड़ी आलोचना की थी। इस्लामी जगत का नेतृत्व कर रहे यह देश अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह से नहीं निभाते हैं, ऐसी आलोचना तुर्की ने की थी। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने बड़ी तीखी भाषा में की हुई इस आलोचना के कारण सौदी-यूएई समेत खाड़ी के अन्य देश नाराज़ हुए थे। इसका इन देशों के तुर्की के साथ जारी द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ा था। लेकिन, इस्लामी जगत का नेतृत्व करने की महत्वाकांक्षा रखनेवाले राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने इस दौरान इसकी परवाह नहीं की थी।

पर, हाल ही के दिनों में स्थिति में पूरा बदलाव आया है। खाड़ी के देशों के साथ ही अमरीका और यूरोपिय देशों के साथ जारी तुर्की के संबंधों में तनाव बना है। इसका असर तुर्की की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। तुर्की की आर्थिक गिरावट राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के नेतृत्व को नुकसान पहुँचानेवाली मानी जा रही है। इस वजह से सावधान हुए तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी विदेश नीति में बड़े बदलाव किए। इस्रायल के साथ खत्म हुए द्विपक्षीय संबंध राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने नए से स्थापित किए हैं।

अब्राहम समझौते के अनुसार इस्रायल के साथ सहयोग कर रहे यूएई और खाड़ी के अन्य देशों पर आग उगलनेवाली तुर्की की नीति में यह बदलाव ध्यान आकर्षित करता है। इसके बाद तुर्की ने सौदी और यूएई के संबंध सामान्य करने के लिए तेज़ कदम उठाए हैं। यूएई के विदेशमंत्री की यह तुर्की यात्रा इस बात की पुष्टि करती है। यूएई और तुर्की सिर्फ द्विपक्षीय सहयोग ही नहीं, बल्कि अन्य देशों के सहयोग को गति प्रदान करेंगे, यह ऐलान इस दौरान किया गया।

खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़नेवाले प्रकल्प को और व्यापक व्यापारी समझौतों को यूएई और तुर्की अहमियत देंगे, यह ऐलान भी इस दौरान किया गया। यह तूर्की और यूएई के सहयोग की काफी अहम बात साबित हो सकती है। तुर्की की खाड़ी देश और इस्रायल संबंधित नीति में यह काफी बड़ा बदलाव है और इन देशों से तुर्की को प्राप्त हो रहा प्रतिसाद इस क्षेत्र की राजनीति गतिमान होती दर्शाता है। पूर्व समय में तुर्की ने ईरान के साथ अपने ताल्लुकात को खाड़ी देशों के सहयोग से ज्यादा अहमियत दी थी। इस वजह से तुर्की की नीति में आया हुआ यह बदलाव निरीक्षकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है।

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