युक्रेन से बाहर निकलने वाले शरणार्थियों के समूह, यह दूसरे विश्वयुद्ध के बाद युरोप पर का सबसे बड़ा संकट है – संयुक्त राष्ट्र संगठन की चेतावनी

किव्ह/ब्रुसेल्स – रशिया-युक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद महज 10 दिनों में युक्रेन के 15 लाख से अधिक नागरिक युरोपीय देशों में शरणार्थियों के रूप में दाखिल हुए हैं। ये झूँड यानी दूसरे विश्वयुद्ध के बाद का युरोप पर आया सबसे बड़ा संकट है, ऐसी चेतावनी ‘युएन हाय कमिशन फॉर रिफ्युजीज्’ (युएनएचसीआर) के प्रमुख फिलिपो ग्रॅन्डी ने दी। रशिया से यूक्रेन पर होने वाले हमले अभी भी जारी होकर, अगले कुछ दिनों में दो लाख से अधिक युक्रेनियन नागरिक शरणार्थियों के रूप में बाहर निकलने के संकेत दिए गए हैं।

पिछले महीने के अंत में रशिया ने युक्रेन के विरोध में लष्करी कार्रवाई शुरू की थी। उसके बाद हर दिन रशिया द्वारा हमलों की तीव्रता बढ़ रही होकर, युक्रेनी नागरिकों की देश छोड़ने के लिए भागादौड़ी शुरू हुई है। राजधानी कीव समेत खारकीव्ह, मारिपोल, ओडेसा इन प्रमुख शहरों से बाहर निकलने के लिए नागरिक कोशिश कर रहे हैं। कार तथा रेलवे समेत हजारों किलोमीटर पैदल चलते हुए युक्रेनी नागरिक युरोपीय देशों में दाखिल हो रहे हैं।

युक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमिर झेलेन्स्की ने जनता को रशिया के विरोध में लड़ने के लिए सिद्ध होने का आवाहन किया था। आम नागरिकों को बड़े पैमाने पर हथियारों की राशि प्रदान करके रशिया को रोकने की तैयारी शुरू है। लेकिन रशिया के निर्णायक हमले के डर से यूकन नागरिक लाखों की तादाद में देश छोड़कर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। पोलैंड, हंगेरी, स्लोव्हाकिया, रोमानिया और मोल्दोव्ह की सीमाओं पर युक्रेनी नागरिकों की कतारें लगना शुरू हुआ है। अकेले पोलैंड में दस लाख से अधिक युक्रेनियन नागरिक शरणार्थी के रूप में दाखिल हुए हैं, ऐसी जानकारी पोलिश यंत्रणाओं ने दी।

इन देशों के साथ ही ब्रिटेन, फ्रान्स तथा जर्मनी में भी युक्रेनियन शरणार्थी दाखिल होने की शुरुआत हुई है। युक्रेन से निश्चित रूप में कितने नागरिक बाहर निकलेंगे, इसका हालांकि अंदाजा नहीं है, फिर भी अमरिकी और युरोपीय अधिकारियों ने दावा किया है कि यह संख्या 50 लाख तक जा सकती है। पिछले दशक में अफ्रीका और खाड़ी क्षेत्र के देशों से 15 लाख से अधिक शरणार्थी युरोप में दाखिल हुए थे। उसके गंभीर आर्थिक और सामाजिक परिणाम युरोपीय देश आज भी भुगत रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर, ‘युएन हाय कमिशन फॉर रिफ्युजीज्’ के प्रमुख ने दी चेतावनी गौरतलब साबित हो रही है।

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