रशिया द्वारा ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ में ईंधन भरने की प्रक्रिया शुरू

मास्को – अमरीका के साथ यूरोपिय महासंघ के प्रमुख देशों के विरोध के बावजूद रशिया ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ का निर्माण कार्य पूरा किया और अब इस ईंधन पाइपलाइन में नैसर्गिक ईंधन वायु भरने की प्रक्रिया भी शुरू हुई है। यूरोप में ‘एनर्जी क्राइसिस’ की स्थिति में सामने आयी यह घटना ध्यान आकर्षित कर रही है। बीते महीने में ही रशिया की ‘गाज़प्रोम’ कंपनी ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ का निर्माण कार्य पूरा होने का ऐलान किया था।

ईंधन भरने की प्रक्रियावर्ष २०१४ में क्रिमिया पर कब्ज़ा करने के बाद युक्रैन के साथ शुरू हुए संघर्ष की पृष्ठभूमि पर रशिया ने यूरोप को र्इंधन की आपूर्ति करने हेतु नए विकल्प की खोज़ शुरू की थी। इसी से ‘नॉर्ड स्ट्रीम’ ईंधन पाइलपाइन के निर्माण का निर्णय किया गया था। इसका पहला चरण पूरा हुआ है और अब रशिया और जर्मनी के बीच महत्वाकांक्षी ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ का काम भी पूरा हुआ है। लगभग १,२३० किलोमीटर लंबाई के इस ईंधन पाइपलाइन के माध्यम से यूरोपिय देशों को अतिरिक्त ११० अरब घनमीटर र्इंधन की आपूर्ति करने का वादा रशिया ने किया है।

ईंधन भरने की प्रक्रियाअमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने इस र्इंधन पाइपलाइन के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाकर प्रतिबंध भी लगाए थे। यूरोपिय महासंघ के फ्रान्स और पोलैण्ड जैसे प्रमुख देशों के साथ युक्रैन ने भी इस पाइपलाइन का जोरदार विरोध किया था। पोलैण्ड ने यूरोपिय महासंघ की कानूनी प्रक्रिया का इस्तेमाल करके इस प्रकल्प को आखिर तक विरोध करने का इशारा भी दिया है। लेकिन, अमरीका में सत्ता परिवर्तन के बाद रशिया और जर्मनी ने इस पाइपलाइन का निर्माण कार्य तेज़ गति से पूरा करने के लिए कदम उठाए थे। अमरीका और जर्मनी की चर्चा के बाद राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के प्रशासन ने इस प्रकल्प को पूरा करने के लिए मंजूरी प्रदान की थी।

इस पृष्ठभूमि पर पिछले महीने में इस प्रकल्प का काम पूरा होना और इसकी पाइपलाइन में र्इंधन भरने की प्रक्रिया शुरू होने की घटना ध्यान आकर्षित कर रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलहाल कच्चे तेल के साथ नैसर्गिक र्इंधन वायु की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। इसी बीच इसकी माँग की तुलना में आपूर्ति सीमित होने के संकेत भी दिए जा रहे हैं। इससे ठंड़ के दिनों में यूरोपिय देशों को र्इंधन की किल्लत का सामना करना पड़ेगा, ऐसी चिंता व्यक्त की जा रही है। ऐसी स्थिति में रशिया ने र्इंधन पाइपलाइन का कार्यान्वयन शुरू करने के लिए शुरू की हुई गतिविधियाँ यूरोप के लिए खतरे की निशानी होंगे, ऐसा विश्‍लेषक कह रहे हैं।

लेकिन, र्इंधन वायु भरने की यह प्रक्रिया तकनीकी परीक्षण के लिए है और इससे यूरोप को र्इंधन की आपूर्ति शुरू नहीं होगी, यह दावा रशियन सूत्रों ने किया है।

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