‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाइन यानी रशिया की रणनीतिक जीत – अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक का दावा

nord_streams_pipeline-01मास्को – ‘अमरीका के अलावा यूरोपिय देशों के राजनीतिक विरोध के बावजूद ‘नॉर्ड स्ट्री २’ ईंधन पाइपलाइन के प्रकल्प का काम निर्धारित समय में पूरा हुआ। यह रशिया के लिए बड़ी रणनीतिक जीत है’, ऐसा दावा विश्‍लेषक दिमित्रि मरिनशेन्को ने किया है। मरिनशेन्को अंतरराष्ट्रीय ‘फिच रेंटिग्ज्‌’ नामक कंपनी में बतौर वरिष्ठ संचालक कार्यरत हैं।

शुक्रवार के दिन रशिया के ‘गाज़प्रोम’ कंपनी ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाइन का निर्माण कार्य पूरा होने का ऐलान किया था। इसी बीच युक्रैन और पोलैण्ड ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ इंधन पाइपलाइन का विरोध आगे भी जारी रहेगा, यह संकेत दिए हैं।

अमरीका, यूरोपियन कमिशन एवं कई यूरोपिय देशों ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ इंधन पाइपलाइन के मुद्दे पर नकारात्मक भूमिका अपनाकर कार्रवाई के संकेत दिए थे। इसके बावजूद इस प्रकल्प का निर्माण कार्य पूरा हुआ। ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाइन राजनीतिक नहीं, बल्कि पेशेवर प्रकल्प ही है, ऐसा इस प्रकल्प के निर्माता जर्मनी और रशिया दोनों ने लगातार कहा था। यह भूमिका ही इसका निर्माण कार्य पूरा करने के लिए सहायक साबित हुई’, ऐसा दावा दिमित्रि मरिनशेन्को ने किया।

nord_streams_pipeline-02‘यूरोपिय महासंघ के कुछ दिशानिर्देशों के कारण यह प्रकल्प तुरंत कार्यरत होने के आसार नहीं हैं। लेकिन, कुछ मुद्दों पर रशियन कंपनी पर दबाव ड़ालकर महासंघ संबंधित बाधाओं को हटा सकता है। ऐसा हुआ तो इस वर्ष के अन्त तक यह र्इंधन पाइपलाइन पूरी क्षमता से कार्यरत होती दिखाई देगी’, यह संभावना भी मरिनशेन्को ने व्यक्त की।

प्रकल्प पूरी क्षमता से कार्यरत होने पर नैसर्गिक ईंधन वायु की आपूर्ति के लिए रशिया और जर्मनी दोनों को युक्रैन पर निर्भर रहने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी और उसकी अहमियत कम होगी, ऐसे संकेत भी विश्‍लेषकों ने दिए।

वर्ष २०१४ में क्रिमिया पर कब्ज़ा करने के बाद युक्रैन के साथ संघर्ष की पृष्ठभूमि पर रशिया ने यूरोप को ईंधन की आपूर्ति के लिए विकल्प की खोज शुरू की थी। इसी से ‘नॉर्ड स्ट्रीम’ ईंधन पाइपलाइन के निर्माण का निर्णय किया गया था। इसका पहला चरण पूरा हुआ है और रशिया और जर्मनी के महत्वाकांक्षी ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ प्रकल्प का निर्माण कार्य भी अब पूरा हुआ है।

nord_streams_pipeline-03तकरीबन १,२३० किलोमीटर लंबी इस ईंधन पाइपलाइन के माध्यम से यूरोपिय देशों की ईंधन आपूर्ति बढ़ाकर अब ११० अरब घनमीटर करने का वादा रशिया ने किया है।

अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने इस ईंधन पाइपलाइन के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाकर प्रतिबंध भी लगाए थे। लेकिन, अमरीका में सत्ता परिवर्तन के बाद रशिया और जर्मनी दोनों ने इस प्रकल्प का काम पूरा करने के लिए तेज़ कदम उठाए थे।

अमरिकी नेतृत्व ने कुछ प्रतिबंध बरकरार रखे हैं, फिर भी इस प्रकल्प को मंजूरी प्रदान करने की बात सामने आयी है। जुलाई में इसी मुद्दे पर अमरीका और जर्मनी के बीच समझौता होने का ऐलान किया गया था। प्रकल्प अंतिम चरण में है और इसे रोकने का अवसर निकल चुका है, यह दावा राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने किया था।

अमरीका का विरोध खत्म हुआ, फिर भी सभी यूरोपिय देशों ने अभी इस ईंधन पाइपलाइन का स्वीकार करने की तैयारी नहीं दर्शायी है। युक्रैन के प्रधानमंत्री ने बीते महीने में ही इस प्रकल्प का ज़िक्र रशिया के हाथ लगा बड़ा खतरनाक ‘जिओ पोलिटिकल वेपन’ यानी ‘रणनीतिक हथियार’ के तौर पर किया था। पोलैण्ड की हुकूमत ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ का ज़िक्र ‘हायब्रिड वेपन’ यानी ‘अतिप्रगत हथियार’ के तौर पर किया है।

पोलैण्ड के नेता और यूरोपियन कौन्सिल के पूर्व प्रमुख डोनाल्ड टस्क ने इस प्रकल्प की आलोचना करते हुए कहा है कि, ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ यानी अक्षम्य भूल है और अहंकारी जर्मनी के हितों का प्रतीक है।

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