भारत के विदेश सचिव रशिया में दाखिल

नई दिल्ली/मास्को – भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला रशिया में दाखिल हुए हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान हो रहा अपना यह रशिया दौरा दोनों देशों के सहयोग की अहमियत रेखांकित कर रहा है, ऐसा श्रृंगला ने कहा है। अपने इस दौरे में विदेश सचिव श्रृंगला ने रशिया के विदेशमंत्री लैवरोव से भेंट की और साथ ही रशिया के उप-विदेशमंत्री सर्जेई रिब्कोव और इगोर मोर्गुलोव से भी श्रृंगला की भेंट होगी। संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में जारी सहयोग अधिक व्यापक करने के मुद्दे पर भारत और रशिया की सहमति होने की बात भारतीय विदेश मंत्रालय ने कही है।

विदेश सचिव श्रृंगला रशिया की यात्रा पर होते हुए ‘फॉरेन पॉलिसी’ नामक पत्रिका में ध्यान आकर्षित करनेवाला लेख प्रसिद्ध हुआ है। विश्‍लेषक सैल्वेटोर बैबोन के इस लेख में बायडेन प्रशासन को भारत और रशिया से संबंधित काफी अहम सलाह प्रदान की गई है। भारत ने रशिया से ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा की खरीद की है। इस व्यवहार पर प्रतिबंध लगाने की धमकी बायडेन प्रशासन भी दे रहा है। लेकिन, बायडेन प्रशासन ऐसा ना करे और भारत को रशिया से हथियार और रक्षा सामान खरीदने की अनुमति प्रदान करे, यह सुझाव बैबोन ने दिया है।

विदेश सचिवभारत ने अमरीका से नहीं बल्कि रशिया से हथियार और रक्षा सामान खरीदने में अमरीका के हितसंबध हैं, इस बात का अहसास बैबॉन ने अपने लेख से कराया है। अमरीका के प्रतिबंधों का विचार करके भारत ने रशिया से हथियार खरीदना बंद किया तो रशिया चीन के करीब हो जाएगी। यह बात अमरीका के लिए घातक साबित हो सकती है। इसके बजाय भारत के रशिया के साथ जारी पारंपारिक रक्षा संबंधित सहयोग कायम रहे तो रशिया का चीन के साथ होनेवाला सहयोग सीमित रहेगा और इसी में अमरीका का हित है, यह दावा इस लेख में किया गया है।

यह संभावना ध्यान में रखकर ट्रम्प प्रशासन ने भारत पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय नहीं किया था। लेकिन, ऐसी ही सहुलियत भारत को बायडेन प्रशासन से भी प्राप्त होगी, इसकी गारंटी देना मुमकिन नहीं है। लेकिन, अमरीका के विरोध की परवाह किए बगैर भारत ने रशिया से ‘एस-४००’ खरीदने के निर्णय पर कायम रहने का ऐलान किया है। इस पृष्ठभूमि पर बैबोन ने बायडेन प्रशासन को प्रदान की हुई सलाह अहमियत रखती है। नाटो का सदस्य देश तुर्की ने भी रशिया से ‘एस-४००’ की खरीद की है। इसके बाद भी तुर्की नाटो की सदस्यता रखता है और अमरीका ने अभी तक तुर्की के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है, इस ओर भी बैबोन ने ध्यान आकर्षित किया।

इस पृष्ठभूमि पर भारत और रशिया के सहयोग की ओर अमरीका काफी बारिकी से देख रही है, यह बात स्पष्ट हुई है। भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की रशिया यात्रा की अहमियत भी इसी कारण अधिक बढ़ी है।

श्रृंगला के इस दौरे में दोनों देशों में सामरिक स्तर पर सहयोग बढ़ाने के साथ ही अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। भारत को लड़ाकू विमान एवं अन्य शस्त्र और रक्षा सामान प्रदान करने के लिए रशिया उत्सुकता दिखा रही है। फिलहाल रशियन अर्थव्यवस्था संकट में है और रशिया को इस संकट से बाहर निकलने के लिए भारत से सहयोग की उम्मीद होने की बात कही जा रही है।

भारत भी रशिया के संबंधों की ओर कभी भी अनदेखी ना करने का भरोसा रशिया को दे रहा है। साथ ही रशिया को भारत और चीन के संबंधों में संतुलन बनाए रखने की कसरत करनी होगी। लेकिन, ऐसा करते हुए भारत की तरह चीन उतना विश्वसनीय ना होने का अहसास रशिया रखे, यह भारत की उम्मीद है। अमरीका में सत्ता परिवर्तन होने के बाद बायडेन प्रशासन रशिया को लक्ष्य करने की नीति स्वीकारेगा, ऐसे स्पष्ट संकेत प्राप्त हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत जैसे भरोसेमंद मित्रदेश के साथ संबंधों को अधिक मज़बूत करने की रशिया नए से कोशिश कर रही है।

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