भारत और रशिया में ‘एफजीएफए’ का समझौता होगा

नई दिल्ली, दि. ७ : भारत और रशिया में पाँचवी श्रेणी के अतिप्रगत लड़ाकू विमानों के (फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट-एफजीएफए) संयुक्त निर्माण का समझौता जल्द ही संपन्न होनेवाला है| तीव्र मतभेदों के कारण यह ‘एफजीएफए’ प्रकल्प अटका हुआ था| कुछ दिन पहले यह प्रकल्प खारिज़ कर देने की स्थिति में आने की आशंका जतायी जा रही थी| लेकिन अब इस प्रकल्प का रास्ता साफ हो गया है| इससे भारत और रशिया के बीच रक्षासंबंधित तथा सामरिक सहयोग बढ़ने का सकारात्मक संदेश मिल रहा है|

‘एफजीएफए’अमरीका और चीन ने ‘एफजीएफए’ का निर्माण किया होकर, इन देशों ने उपरोक्त अतिप्रगत लड़ाकू विमानों का परीक्षण यशस्वी होने का दावा किया है| रशिया भी ‘एफजीएफए’ का परीक्षण करके उसके निर्माण के लिये निवेश करने की तैयारी कर रहा है| ऐसे हालात में चीन के पड़ोसी रहे भारत को ‘एफजीएफए’ का निर्माण करना अपरिहार्य बन गया है, इसके लिये भारत ने सन २००७ में रशिया के साथ प्राथमिक समझौता किया था| इसके तहत, दोनो देश ‘एफजीएफए’ के संयुक्त निर्माण पर काम करने वाले थे| सन २०१० में ‘एफजीएफए’ की प्राथमिक योजना के लिये भारत ने करीब ३० करोड़ डॉलर का निवेश करने की तैयारी दिखाई थी|

लेकिन दोनो देशों में इस प्रकल्प से लेकर गंभीर मतभेद हुए थे| रशिया ने ‘एफजीएफए’ की प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करने की तैयारी नहीं दर्शायी, तो हमें इस प्रकल्प में कोई दिलचस्पी नहीं होगी, ऐसा भारत ने साफ कहा था| इससे पहले रशिया के साथ हुए रक्षासंबंधित व्यवहारों में, भारत ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर ज़ोर न देने के कारण बहुत बड़ा नुकसान हुआ था| इस कारण रशियन बनावट के लड़ाकू विमानों की देखभाल-मरम्मत करना भारत के लिए मुश्कील हो गया था| फिर से यह गलती ना होगीं, ऐसा भारत के रक्षा मंत्रालय का कहना था|

इसी मतभेद के पृष्ठभूमि पर, दोनो देश ‘एफजीएफए’ के संयुक्त निर्माण के लिये तैयार हुए है| अब रशिया प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करने के लिए राज़ी हुआ, यही इसका कारण नहीं है, बल्कि इस प्रकल्प में भारत को रशिया जितने ही अधिकार रहेंगे, ऐसी जानकारी भारत के एक वरिष्ठ अधिकारी ने, नाम ना जाहिर करने की शर्त पर दी है| इस प्रकल्प में रशिया जितने ही अधिकार मिलने के कारण, इस विमान के निर्माण से लेकर बिक्री तक सभी गतिविधियों पर भारत का समान अधिकार रहेगा| यह प्रकल्प भारत के रक्षानिर्माण के लिये ऐतिहासिक होगा, ऐसा विश्‍वास भी इस अधिकारी ने जताया है|
आनेवाले कुछ महिनों में रशिया के साथ ‘एफजीएफए’ का समझौता संपन्न होने वाला है, ऐसी जानकारी इस अधिकारी ने दी है|

भारत की वायुसेना में रशियन बनावट के विमानों की तादाद ज्यादा होने के कारण इस क्षेत्र में रशिया का सहयोग भारत के लिए अत्यावश्यक बना था| इस समझौते की वजह से, भारत और रशिया के बीच का पारंपरिक सहयोग बरकरार होने का यक़ीन भी मिल रहा है|

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