भारत के विदेश मंत्री ने की अमरीका और रशिया के विदेश मंत्रियों से चर्चा

नई दिल्ली – दुनियाभर में कोरोना वायरस की महामारी ने मचाये हाहाकार के सन्दर्भ में भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने गुरुवार को अमरीका, रशिया, ब्राजिल, सौदी अरब और ओमान के विदेशमंत्रियों के साथ फोन पर बातचीत की। कोरोना वायरस की महामारी और अन्य सियासी गतिविधियों पर विदेशमंत्री जयशंकर ने इन देशों के विदेशमंत्री से बातचीत की हैं।

अमरिका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ के समेत हुई इस बातचीत में, कोरोना वायरस और आंतर्राष्ट्रीय स्थिति का मुद्दा शामिल था। साथ ही दोनों नेताओं की इस बातचीत में अफगानिस्तान की स्थिति का मुद्दा भी अहम रहा। अमरिका और तालिबान के बीच हुआ शांति समझौता ख़तरे में आया है और ऐसे में दोनों देशों में हुई यह बातचीत ग़ौरतलब साबित होती है। रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लॅव्हराव समेत हुई चर्चा में प्रमुख तौर पर कोरोना वायरस का मुद्दा अहम रहा। इसके अलावा, कुछ ही दिनों में होनेवाली ब्रिक्स देशों के विदेशमंत्रियों की बैठक और अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी इस दौरान दोनों नेताओं ने चर्चा की। रशिया भारत का विशेष मित्रदेश है, यह कहकर विदेशमंत्री जयशंतर ने रशिया की अहमियत रेखांकित की है। ब्राजिल के विदेशमंत्री एर्नेस्टो अराजो के साथ हुई बातचीत में, कोरोना वायरस के अलावा जनवरी महीने में ब्राजिल के राष्ट्राध्यक्ष की हो रही भारत यात्रा के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।

विदेशमंत्री जयशंकर ने, सौदी अरब में स्थित भारतीय लोगों का विशेष ध्यान रखने पर विदेशमंत्री सौद अल फजल का शुक्रिया अदा किया। सौदी अरब यह भारत का विश्‍वासू साझेदार रहेगा, यह भरोसा भी जयशंकर ने इस दौरान दिलाया। वहीं, ओमान में मौजूद भारतीय नागरिकों को जरूरी सुविधा प्रदान करने के लिए ओमान के विदेशमंत्री युसूफ अलावी का भी जयशंकर ने शुक्रिया अदा किया। साथ ही, विश्‍वासू साझेदार देश के तौर पर भारत, वर्तमान कोरोना वायरस के संकट के दौरान ओमान को हर तरह की सहायता प्रदान करेगा, यह वादा उन्होंने किया। इसके अलावा विदेशमंत्री जयशंकर ने शुक्रवार के दिन झेक रिपब्लिक और नाइजेरिया के विदेशमंत्री से भी फोन पर बातचीत की। कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए भारत ने अबतक लगभग १०८ देशों को वैद्यकीय सहायता प्रदान की है। इस बड़े कठिन दौर में यह योगदान देने पर आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की सराहना हो रही है। इस वजह से दुनियाभर में भारत का प्रभाव और भी बढेगा, यह विश्‍वास भी व्यक्त किया जा रहा है।

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