भारत और चीन के विदेश मंत्रियों में विवादास्पद मुद्दों पर चर्चा

नई दिल्ली, १४ (पीटीआय) – भारत के दौरे पर आये हुए चीन के विदेश मंत्री वँग ई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिलकर चर्चा की| इसमें विदेश मंत्री स्वराज और वँग ई के बीच क़रीबन तीन घंटे हुई चर्चा में कई महत्त्वपूर्ण विषय उपस्थित हुए होने की ख़बर है| इनमें भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता, मौलाना मसूद अझहर पर की कार्रवाई पर संयुक्त राष्ट्रसंघ में चीन ने किया हुआ विरोध और पाकिस्तान के क़ब्ज़ेवाले कश्मीर से जानेवाला ‘कॉरिडॉर’ प्रकल्प आदि विषय शामिल थे, ऐसा कहा जाता है|

विदेश मंत्रीचीन के विदेश मंत्री के इस भारत दौरे के पीछे रहनेवाले संभाव्य हेतुओं पर भारतीय मीडिया में खबरें छपकर आयी थीं| सितंबर महीने में, चीन में होनेवाले ‘जी -२०’ समिट में ‘साऊथ चायना सी’ पर चर्चा होनेवाली है| इस वक़्त भारत अपने प्रतिस्पर्धी देशों को समर्थन ना दें, ऐसा चीन चाहता है| इसके लिए चीन के विदेश मंत्री अपने इस दौरे में प्रयास करनेवाले हैं, ऐसी खबर आयी थी| साथ ही, भारत और अमरीका के बीच जल्द ही ‘लॉजिस्टिक एक्सचेंज’ समझौता संपन्न होनेवाला है| इससे दोनों देश एकदूसरे का लष्करी अड्डा इस्तेमाल कर सकेंगे| यह बात चीन के लिए ख़तरा मानी जा रही है| विदेश मंत्री ‘वँग ई’ के इस भारत दौरे के पीछे, भारत और अमरिका में संपन्न हुए इस समझौते की पार्श्वभूमि रहने की बात भी सामने आ रही है|

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने, वँग ई के साथ हुई मुलाकात में महत्त्वपूर्ण विषयों पर भारत की भूमिका साफ़ तौर पर प्रस्तुत की| विशेषत: भारत को ‘एनएसजी’ सदस्यता मिलने के मुद्दे पर चीन द्वारा किये गए कड़े विरोध पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तीव्र असंतोष जताया, ऐसा कहा जाता है| इतना ही नहीं, बल्कि ‘जैश-ए-मोहम्मद’ इस आतंकवादी संगठन का प्रमुख मौलाना मसूद अझहर इस आतंकी पर, संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा समिती की कार्रवाई को रोकनेवाले चीन के फ़ैसले पर भी विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने नारा़ज़गी जतायी| साथ ही, पाक़िस्तान के कब्ज़ेवाले कश्मीर भूभाग में से चीन पाकिस्तान के साथ ‘इकौनॉमिक कॉरिडॉर’ प्रकल्प बना रहा है| इस विवादास्पद भूभाग में इस प्रकल्प का भाग होने के चीन के फ़ैसले पर भी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने और एक बार सवाल खड़े किये हैं|

इन महत्वपूर्ण विषयों पर इससे पहले भी भारत ने अपनी नारा़ज़गी जतायी थी| लेकिन भारत के विरोध को अनदेखा करने का फ़ैसला चीन ने किया था| लेकिन अब हालात बदल चुके होकर, उत्तर कोरिया को छोड़कर बाक़ी सभी पड़ोसी देश चीन के विरोध में आक्रामक रवैय्या अपनाने लगे हैं| चीन के विरोध में अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया इन देशों की मदद लेनेवाले वियतनाम और फिलिपाईन्स इन देशों ने, ‘चीन की मग़रूरी बर्दाश्त नहीं करेगें’ ऐसी ठोस नीति अपनायी है| इससे दुविधा में फँसे चीन को भारत की सहायता की ज़रूरत महसूस होने लगी हैं| इसी कारण, ‘भारत के ‘एनएसजी’ में शामिल होने का रास्ता अभी बंद नहीं हुआ है’ ऐसा दावा चीन के सरकारी अख़बार करने लगे हैं| साथ ही, भारत बेवजह ‘साऊथ चायना सी’ के विवाद में ना पड़ें, ऐसी चेतावनी भी चीन के सरकारी अख़बार दे रहे हैं|

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