चीन के सरकारी मुखपत्र की भारत को चेतावनी

बीजिंग – भारत और चीन में यदि संघर्ष हुआ, तो हिमालयीन क्षेत्र के साथ साथ पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अस्थिरता मचेगी और इससे भारत का बहुत बड़ा नुकसान होगा। चीन के साथ सहयोग करने में ही भारत का अधिक हित समाया हुआ है, ऐसी सलाह ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने दी है। उसी समय, फिलहाल लद्दाख में जारी सीमाविवाद भारतीय लष्कर के कारण शुरू हुआ होने का दावा चीन के सरकारी दैनिक अख़बार ने किया है। इससे पहले भी ‘ग्लोबल टाईम्स’ में समय समय पर भारत के विरोध में लेख प्रकाशित हुए थे। इसके ज़रिये चीन हमेशा ही भारत को धमकियाँ और चेतावनियाँ देता रहता है।

इस बार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में छपे संपादकीय लेख में हालाँकि भारत को ठेंठ धमकी देना टाला है, फिर भी इसमें, भारत चीन जैसे ताकतवर देश को मात नहीं दे सकता, ऐसा संदेश दिया गया है। ख़ासकर, अमरीका के बहकावे में आकर चीन से बैर ना मोल लें, ऐसा इस संपादकीय लेख में जताया गया है। साथ ही, इस लेख में भारतीय माध्यमों की भी आलोचना की गयी है। भारतीय माध्यम अपने देश के सामर्थ्य के बारे में अवास्तविक कल्पनाएँ पकड़े हैं, ऐसा ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने इस लेख में कहा है। लद्दाख में भारत और चीन की सेनाएँ एकदूसरे के सामने खड़ीं हुईं होकर, इससे निर्माण हुए विवाद का फ़ायदा उठाने की कोशिश अमरीका कर रही है, ऐसा आरोप ‘ग्लोबल टाइम्स’ के संपादकीय लेख में किया गया है। अमरीका भारत और चीन में संघर्ष चाहती है। उसके लिए अमरीका भारत को उक़सा रही है। ज़रूरत पड़ने पर अमरीका भारत के साथ खड़ी रहेगी, ऐसे संकेत अमरीका द्वारा हालाँकि दिये जा रहे हैं, लेकिन दो देशों में संघर्ष भड़काकर अपना हित कराने की खुदगर्ज़ नीति अमरीका ने आज तक अपनायी थी।

भारत-चीन विवाद में भी अमरीका वही कर रही है, यह भारत को समझ लेना चाहिए। इसी कारण धोख़ाधड़ी से बचने के लिए भारत ने अमरीका पर भरोसा नहीं करना चाहिए, ऐसी चेतावनी ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने दी है। सीमाविवाद में हम चीन को मात दे सकते हैं, ऐसा भारत के कुछ लोग मानते हैं। इसी कारण ऐसे लोगों ने भारत सरकार पर दबाव बनाकर, चीन के विरोध में आक्रमक भूमिका अपनाने पर मजबूर किया है। आक्रमकता दिखाने पर चीन भारत के सामने झुक जायेगा, ऐसा विश्वास इन लोगों को हो रहा है। लेकिन यह उनका भ्रम है। चीन को हालाँकि भारत के साथ शांति और सहयोग अपेक्षित है, फिर भी चीन अपनी इंचभर भी भूमि नहीं छोड़ेगा, ऐसा कहकर ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने इस संपादकीय लेख में, भारत को चीन के लष्करी सामर्थ्य का ख़ौफ़ दिखाने की कोशिश की है।

‘ग्लोबल टाइम्स’ में से हालाँकि चीन के सामर्थ्य की इस प्रकार से मिसालें अक़्सर दीं जाती हैं, फिर भी वास्तव में चीन, पहले कभी भी नहीं था इतने दबाव में आया दिख रहा है। भारत के साथ जब जब सीमाविवाद भड़कता है, चीन अलग अलग मार्गों से भारत को सन १९६२ के पराजय की याद दिला देता है। इस बार चीन से वैसीं कोशिशें नहीं की गयीं हैं। भारत में नियुक्त चिनी राजदूत ने  चर्चा के ज़रिये सीमाविवाद को सुलझाने का आवाहन किया था। लेकिन वैसा करते समय भी, चीन भारत से डरता नहीं, ऐसा संदेश देने के लिए हमेशा की तरह ‘ग्लोबल टाईम्स’ का इस्तेमाल किया गया दिख रहा है।

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