ज़मात-ए-इस्लामी’ के प्रमुख को दी गयी फ़ाँसी को लेकर बांग्लादेश में तनाव

Nizami Bangladeshi Islamist leader hanged_AFP (FT)

सन १९७१ के बांग्लादेश स्वतंत्रतासंग्राम के दौरान वंशसंहार का आरोप लगे हुए ‘ज़मात-ए-इस्लामी’ के प्रमुख मोतिउर रहमान निझामी को बुधवार को फ़ाँसी पर लटका दिया गया। बांग्लादेश के स्वतंत्रतासंग्राम के दौरान सैंकड़ों नागरिकों की हत्या करायी होने का आरोप निझामी पर था। इस संघर्ष में किये हुए युद्ध-अपराध के मामले में फ़ाँसी पर लटका दिये गए निझामी ये बांग्लादेश के चौथे नेता हैं। निझामी की फ़ाँसी के बाद बांग्लादेश के कुछ इलाक़ों में हिंसक प्रदर्शन हुए होकर, पाक़िस्तान एवं तुर्की ने फ़ाँसी की घटना पर नाराज़गी व्यक्त की है।

बांग्लादेश के अग्रसर कट्टरपंथी संगठन के रूप में जानी जानेवाली ‘ज़मात-ए-इस्लामी’ के प्रमुख निझामी की फ़ाँसी यह देश के कट्टरपंथीय गुटों को दिया हुआ बड़ा धक्का माना जाता है। बांग्लादेश की शेख हसिना सरकार ने पिछले कुछ सालों में, सन १९७१ के स्वतंत्रतासंग्राम में स्थानीय बांग्लादेशी जनता पर अत्याचार करनेवालों के विरोध में आक्रामक मुहिम शुरू की है। उसके लिए विशेष न्यायालय की भी स्थापना की गयी होकर, उसके अंतर्गत कई नेताओं एवं कार्यकर्ताओं पर मुक़दमें दायर कर सज़ा सुनायी गयी है।

‘ज़मात-ए-इस्लामी’ यह पाक़िस्तान-परस्त संगठन के रूप में जाना जाता है। इस संगठन के प्रमुख रहनेवाले निझामी ने सन १९७१ के स्वतंत्रतासंग्राम में ‘अल्-बद्र’ इस संगठन का निर्माण कर हज़ारों बांग्लादेशी नागरिकों की हत्या करवायी थी। इन आरोपों को लेकर सन २०१४ में बांग्लादेश के न्यायालय ने निझामी को फ़ाँसी की सज़ा सुनायी थी। निझामी की फ़ाँसी के बाद ‘ज़मात-ए-इस्लामी’ यह संगठन अब लगभग ख़त्म ही होने की क़गार पर है, ऐसा मत स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों ने व्यक्त किया है।

निझामी की फ़ाँसी को लेकर पाक़िस्तान तथा तुर्की में से तीव्र प्रतिक्रिया उठी है। पाक़िस्तान के विदेश मंत्रालय ने, फ़ाँसी की घटना से ज़बरदस्त धक्का लगा, यह कहते हुए शोक व्यक्त किया है। पाक़िस्तान के कराची शहर के साथ साथ कुछ इलाक़ों में निझामी के समर्थन में जुलूस निकाले गये होने की बात सामने आयी है। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने, निझामी का उल्लेख ‘मुजाहिद’ ऐसा करके, निझामी को फ़ाँसी देने के पीछे ग़लत मानसिकता होने की आलोचना की है।

इससे पहले, सन २०१३ में ‘जमात-ए-इस्लामी’ के नेताओं को दी गयी फ़ाँसी के बाद बांग्लादेश में तीव्र हिंसक दंगे हुए थे। इन दंगों में सैंकड़ों नागरिकों की जानें गयी थीं। निझामी की फ़ाँसी के बाद ‘ज़मात-ए-इस्लामी’ ने देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। इस हड़ताल के दौरान ‘ज़मात-ए-इस्लामी’ के समर्थकों के द्वारा हिंसक प्रतिक्रिया उठने की संभावना व्यक्त की है । इस कारण देशभर में सुरक्षाव्यवस्था कड़ी कर दी गयी होकर, कई इलाक़ों में लष्कर तैनात कर दिया गया है ।

गत कुछ महीनों से, कट्टरपंथीय गुटों द्वारा बांग्लादेश के उदारमतवादी लोगों को लक्ष्य बनाया जा रहा होकर, निझामी की फ़ाँसी के बाद ऐसी घटनाओं में बढ़ोतरी होने की आशंका जतायी जा रही है ।

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