‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ से युरोप में ‘खिलाफत’ के लिए कोशिश – अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषक

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ब्रुसेल्स – अमरिका यूरोप के साथ दुनियाभर में सिर्फ कट्टरपंथियों की ‘खिलाफत’ यानी हुकूमत स्थापित करने के लिए मुस्लिम ब्रदरहुड इस आतंकवादी संघटना ने जोरदार गतिविधियां शुरू की है| अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाबंदी होनेवाले इस संगठन ने यूरोपीय देशों को अड्डे के तौर पर उपयोग करने की सनसनीखेज जानकारी सामने आ रही है| मुस्लिम ब्रदरहुड की कारवाईयों पर नजर रखनेवाले एक अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषकने यह जानकारी उजागर की है|

पिछले कुछ महीनों में यूरोपीय देशों में कट्टरपंथियों की गतिविधियां बढ़ने की खबर सामने आ रही है| तथा ‘इस्लाम फोबिया’ अर्थात इस्लाम विषय में होनेवाले द्वेष कम करने के लिए कुछ संगठन आगे आ रही हैं| यह दोनों गतिविधियां अलग अलग दिखाई दे रही है, फिर भी इन दोनों का एक दूसरों से संबंध होने का दावा रैमी डैबास इस विश्‍लेषक ने किया है|

यूरोप में कट्टरपंथियों से जुड़े हुए कुल मिलाकर १८० संगठन कार्यरत होकर यूरोप में माध्यमों से सामने आ रहा हैं| इनमें से अधिकतम संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से जुडी हैं| अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस संगठन पर पाबंदी है| फिर भी २०१० वर्ष से इस संगठन ने अलग अलग मार्ग से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ३० करोड़ डॉलर्स से अधिक रकम जमा की है| इसके लिए मानव अधिकार और यूरोप में बढ़ रहे ‘इस्लाम फोबिया’ से लडने के लिए भी यूरोपीय देशों से ही पैसा जमा किया जा रहा है| मुस्लिम ब्रदरहुड इस नीधि का इस्तेमाल दुनिया भर में खिलाफत स्थापित करने के लिए और यूरोप में इस्लामीकरण का विरोध करनेवालों के विरोध में उपयोग कर रहा है, ऐसा दावा डैबास ने किया है|

ब्रदरहुड के एक सदस्य ने ही यह जानकारी देने की बात डैबास ने अपने लेख में कही है| खिलाफत के लिए पैसा जमाने के लिए तथा इस लड़ाई में शामिल होने के लिए यूरोप में इस्लाम धर्मियों का उपयोग किया जा रहा है| इसके लिए सबसे पहले इस्लाम ब्रदरहुड से संबंधित संगठनों से यूरोप में इस्लाम धर्म के समर्थन में आंदोलन शुरू किया जाता है और फिर उन्हें खिलाफत के लिए शुरू मुहिम में खींचा जाता है, ऐसा डैबास ने कहा है|

फिलहाल ब्रिटेन में ऐसी कट्टरपंथी संगठन बड़ी तादात में कार्यरत है और जर्मनी, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम और फ्रान्स इन देशों में भी ब्रदरहुड से संबंधित संगठनों का प्रभाव खतरनाक रूप से बढ़ने की चेतावनी डैबास ने दी है| मुख्य तौर पर यूरोप में सरकार से भी इन संगठनों को आर्थिक सहायता मिलने की वजह से यह संकट अधिक बढ़ने की बात डैबास ने कही है|

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