चीन में ‘माओ’ का समर्थन कर रहे ‘मार्क्सवादी’ छात्रों पर कार्रवाई

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

बीजिंग – चीन की भूमि पर समाजवाद का झंडा हमेशा लहरता रहा है, इन शब्दों में चीन में कम्युनिस्ट पक्ष की विचारधारा की प्रशंसा कर रहे राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग इन्होंने इसी विचारधारा का पुरस्कार कर रहे गुटों के विरोध में कार्रवाई करने की मुहीम शुरू की है| चीन में साम्यवादी क्रांती की नींव रखनेवाले ‘माओ त्से तुंग’ इनके जन्मदिन के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन करने में जुटे विद्यार्थी संगठन के प्रमुख की गिरफ्तारी की गई है| यह कार्रवाई मतलब राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ‘माओवाद’ से दूर होकर खुदका श्रेष्ठत्व सिद्ध करने के लिए कर रहे कोशिशों का हिस्सा बनती है|

‘माओ’, समर्थन, माओ त्से तुंग, मार्क्सवादी, छात्र, कार्रवाई, चीन, किऊ झॅन्शुआन

दिसंबर २६ के दिन साम्यवादी क्रांती के जनक ‘माओ त्से तुंग’ इनका १२५ वा जन्मदिन था| इस अवसर पर चीन में विख्यात पेकिंग युनिव्हर्सिटी के ‘मार्क्सिस्ट सोसायटी’ ने कार्यक्रम का आयोजन किया था| जन्मदिन के अवसर पर ‘माओं’ का अभिवादन करना, इस कार्यक्रम का स्वरूप था| इस कार्यक्रम के आयोजक ‘किऊ झॅन्शुआन’ को बुधवार की सुबह चीन की सुरक्षा यंत्रणा ने गिरफ्तार किया|

इस कार्रवाई के दौरान २४ घंटा कब्जे में रखकर पूछताछ करने के बाद गुरूवार के दिन किऊ को रिहा किया गया| लेकिन रिहाई के बाद शाम को पेकिंग युनिव्हर्सिटी ने तुरंत निवेदन जारी करके ‘किऊ’ को ‘मार्क्सिस्ट सोसायटी’ के प्रमुख पद से हटाया जाने का ऐलान किया| यह पद संभालने की उसकी योग्यता नही है, यह कारण भी इस कार्रवाई के समर्थन में आगे किया गया| किऊ को हटाने के साथ ही ‘मार्क्सिस्ट सोसायटी’ पुनर्रचना करने के नाम से वर्तमान के पदाधिकारियों को भी हकाल बाहर किया गया और इन पदों पर सत्तारूढ कम्युनिस्ट पक्ष के सदस्य छात्रों की नियुक्ती की गई|

पेकिंग युनिव्हर्सिटी में इस कार्रवाई से कडी प्रतिक्रिया उमड रही है और कुछ छात्रों ने इस कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन शुरू किया है| ‘मार्क्सिस्ट सोसायटी’ का ढांचा पहले जैसा ही कायम रहे और किऊ की दुबारा नियुक्ती करने की मांग इस दौरान की जा रही है| युनिव्हर्सिटी के निर्णय के विरोध में आवाज उठा रहे इन छात्रों पर भी सुरक्षा यंत्रणा ने कार्रवाई करने की जानकारी सामने आ रही है| इस दौरान कई छात्र जख्मी हुए है, यह दावा छात्रों के गुटों से किया गया है|

आजादी के बाद कई दशक देश में साम्यवादी क्रांती के जनक रहे ‘माओ’ का पुरस्कार कर रहे चीन के सत्तारूढ पक्ष के सदस्यों ने पिछले कुछ वर्षों से यकायक ‘माओवाद’ से दूरी रखना शुरू किया है| कुछ महीनों पहले तो चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग इन्होंने चीन की अगली राह ‘कार्ल मार्स्क’ इनके विचारों पर निर्भर रहेगी, यह संकेत दिए थे|

पिछले कुछ वर्षों में ‘माओ’ और उनकी विचारधारा पर बने कार्यक्रमों को सरकारी स्तर पर ज्यादा तर प्रसिद्धी या स्थान दिया नही जा रहा है| उलटा जिनपिंग यह ‘माओ’ इनके बराबर के, बल्कि उनसे भी श्रेष्ठ नेता है, यह प्रचार शुरू है| इसके लिए जिनपिंग इनके विचारों को कम्युनिस्ट पक्ष के घटना में भी विशेष स्थान दिया गया है| ‘माओ त्से तुंग’ इन्हें विस्मृति में धकेलने के लिए उनके विचारों का प्रसार कर रहे गुटों पर कार्रवाई शुरू है| पेकिंग युनिव्हर्सिटी में हुई कार्रवाई इसी का हिस्सा दिखता है|

चीन का यह अंतर्गत राजनीतिक संघर्ष नजदिकी समय में और भी तीव्र होने की आशंका है और उसका प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दिखाई देगा, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.