मालेगांव एवं समझौता बमविस्फ़ोटों के पीछे पाक़िस्तान का ही हाथ

भारत के खिलाफ़ भारत में ही रची गयी थी साज़िश
ले. कर्नल पुरोहित को बेक़सूर साबित करनेवाले दस्तावेज़ प्रकाशित होंगे

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रक्षा मंत्रालय से प्राप्त हुए महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों के कारण, ‘मालेगांव बमविस्फ़ोट’ प्रकरण में पिछले आठ वर्षों से जेल में सज़ा भुगत रहे लेफ़्टनंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित न्यायालय में बेक़सूर साबित होंगे, ऐसे दावे किये जा रहे हैं। इस प्रकरण में अब, ‘ले. कर्नल पुरोहित को राजनीतिक हेतु से फ़ँसाया गया था’ ऐसा दावा करनेवाले अधिकारी आगे आ रहे होकर, कुछ गवाहों ने भी, ‘पुरोहित को फ़ँसाने के लिए हम पर दबाव डाला गया था’ ऐसा कहा है। उसी के साथ, मालेगांव बमविस्फ़ोट तथा समझौता एक्स्प्रेस में हुए बमविस्फ़ोटों के पीछे पाक़िस्तान का हाथ होने के सबूतों को भी सहूलियतपूर्वक नज़रअंदाज़ किया गया होने की सनसनीखेज़ बात इससे सामने आयी है।

सन २००६ के सितंबर महीने में मालेगांव में बमविस्फ़ोट हुआ था। इस विस्फ़ोट में ३७ लोगों की मौत हुई थी। भारतीय लष्कर में कार्यरत रहनेवाले लेफ़्टनंट कर्नल पुरोहित इस मामले में सहभागी होने का आरोप करके उन्हें तहकिक़ात यंत्रणाओं ने हिरासत में ले लिया था। साथ ही, स्वामी असीमानंद एवं साध्वी प्रज्ञा सिंग इन्हें भी इस मामले में गिरफ़्तार किया गया था और उनके ख़िलाफ़ पुख़्ता सबूत हैं, ऐसा तहकिक़ात यंत्रणाओं ने घोषित किया था।

pg01_samjhouta1इसके अलावा, सन २००७ में पाक़िस्तान से भारत आनेवाली ‘समझौता एक्स्प्रेस’ में हुए बमविस्फ़ोट मामले में भी कर्नल पुरोहित तथा हिंदुत्ववादी ताकतों का हाथ है, ऐसा आरोप भी निरंतर किया जा रहा था। सन २०१० में, ‘भगवा आतंकवाद’ बढ़ रहा होने की बात कर, तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने उसपर चिंता ज़ाहिर की थी। इसका देश की स्थिरता एवं सुरक्षा पर असर होगा, ऐसा डर प्रदर्शित होकर, उसपर देशभर में आक्रामक चर्चाएँ शुरू हुई थी।

इससे देश की आंतर्राष्ट्रीय प्रतिमा को ठेंस पहुँचे बग़ैर नहीं रहेगी, ऐसा भी कहा जा रहा था। लेकिन मालेगांव बमविस्फ़ोट और समझौता एक्स्प्रेस के बमविस्फ़ोट के लिए, देश में उदयित हुआ आतंकवाद ज़िम्मेदार नहीं था, बल्कि उसके पीछे पाक़िस्तान का कारस्तान था, यह इस मामले में चल रही तहकिक़ात में से बहुत पहले ही स्पष्ट हुआ था।

महाराष्ट्र के आतंकवादविरोधी पथक ने मालेगांव बमविस्फ़ोट प्रकरण में की हुई तहकिक़ात के शुरुआती दौर में ही पाकिस्तान का हाथ स्पष्ट हुआ था। कुछ समय बाद इस तहकिक़ात को ‘राष्ट्रीय तहकिक़ात यंत्रणा’ (एनआयए) के पास सौंपा गया और ‘एनआयए’ ने ले. कर्नल पुरोहित के खिलाफ़ पुख़्ता सबूत हैं, ऐसा घोषित किया था। लेकिन आठ साल गुज़र जाने के बाद भी ‘एनआयए’ ले. कर्नल पुरोहित पर आरोपपत्र दाख़िल नहीं कर सका है।

गत कुछ हफ़्तों से इस प्रकरण ने एक नया ही मोड़ लिया होकर, इस मामले में तहकिक़ात करनेवाले अधिकारी और गवाह भी नाट्यपूर्ण तरीके से, ‘हमपर ले. कर्नल पुरोहित को फ़ँसाने के लिए दबाव डाला गया’ ऐसे आरोप कर रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होने लगा है कि इस पूरे मामले को एक अलग ही रंग में रंगा गया था। ले. कर्नल पुरोहित ने उनके निर्दोष होने का दावा किया होकर, लष्कर के गुप्तचर विभाग के लिए वे कार्यरत थे, ऐसा कहा है। साथ ही, ‘मुझपर ज़ुल्मज़बरदस्ती कर मुझसे इस गुनाह का इक़रारे जुर्म करवाने के प्रयास तहकिक़ात अधिकारियों ने किये थे’ ऐसा आरोप भी कर्नल पुरोहित ने किया है।

सिमी, इंडियन मुज़ाहिदिन तथा नक्षलवादियों के क़ारनामों की गोपनीय जानकारी प्राप्त करने की कोशिश ले. कर्नल पुरोहित कर रहे थे। ये जानकारी देनेवाले मुख़बिर भी उन्होंने तैयार किये थे। इस मुहिम की सारी जानकारी ले. कर्नल पुरोहित ने अपने वरिष्ठों को समय समय पर दी थी। इस संदर्भ में दस्तावेज़ उपलब्ध हो सकते हैं, ऐसा कहकर कर्नल पुरोहित ने ४ अप्रैल को रक्षा मंत्रालय को लिखे पत्र में, इस संदर्भ में रहनेवाले दस्तावेज़ों की माँग रक्षा मंत्रालय के पास की। ‘देश की सुरक्षा के लिए मैंने की हुई सेवा की मुझे सज़ा मिल रही है’ ऐसा खेद ले. कर्नल पुरोहित ने इस पत्र में ज़ाहिर किया था।

रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने, देश की सुरक्षा को ख़तरा न हों ऐसे एहतियात बरतकर, इस संदर्भ में रहनेवाले दस्तावेज़ों की आपूर्ति करने के आदेश लष्कर को दिये थे। ‘इन दस्तावेज़ों से यह सिद्ध होगा कि ले. कर्नल पुरोहित निर्दोष हैं’ ऐसा दावा उनकी वक़ील नीला गोखले ने किया है।

‘समझौता एक्सप्रेस बमविस्फ़ोट’ मामले में ले. कर्नल पुरोहित के ख़िलाफ़ कुछ भी सबूत नहीं है और ऐसा होने के बावजूद भी उसमें उन्हें फ़ँसाया गया, इसपर ‘एनआयए’ के संचालक शरद कुमार ने आश्चर्य व्यक्त किया है। साथ ही, ‘समझौता’ मामले में पाक़िस्तानी नागरिक अरिफ़ कास्मानी तथा ‘लश्कर-ए-तोयबा’ का हाथ था, यह जानकारी भी शरद कुमार ने दी है।

उसी समय, इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण जानकारी को उजागर करते हुए कुछ वृत्तवाहिनियों ने यह दावा किया है कि ‘समझौता एक्स्प्रेस बमविस्फ़ोट’ मामले में गिरफ़्तार किये गए पाक़िस्तानी आतंकी को रिहा किया गया है।’ इस आतंकी के ख़िलाफ़ सबूत रहते हुए भी उसे मुक्त किया गया, ऐसा दावा वृत्तवाहिनियाँ कर रही हैं।

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