रशिया द्वारा आंतरखंडीय क्षेपणास्त्र के साथ ‘हायपरसॉनिक’ यंत्रणा का सफल परीक्षण

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रशिया ने ध्वनि के ५ से १० गुना रफ़्तार रहनेवाली ‘हायपसॉनिक’ यंत्रणा के साथ ही विकसित क्षेपणास्त्र का भी सफल परीक्षण किया है। रशिया की सरकारी वृत्तसंस्था ‘इंटरफ़ॅक्स’ ने इस वृत्त की पुष्टि की है। रशिया द्वारा किया गया यह परीक्षण, यह अमरीका के सामने खड़ी हुई नयी चुनौती है, ऐसी चिंता अमरिकी अधिकारी एवं नेताओं ने व्यक्त की है। रशिया द्वारा हायपरसॉनिक यंत्रणा का परीक्षण किये जाने की यह दूसरी धटना है।

पिछले हफ़्ते रशिया की सेना के ‘स्ट्रॅटेजिक मिसाईल फ़ोर्सेस्’ ने कझाकस्तान की सीमा के नज़दीक रहनेवाले ओरेनबर्ग् प्रांत से ‘आरएस १८ए’ इस आंतरखंडीय क्षेपणास्त्र का परीक्षण किया। यह परीक्षण करते समय ‘हायपरसॉनिक ग्लाईड व्हेहिकल’ का इस्तेमाल किया गया। प्रतिघंटा कम से कम चार हज़ार मील और ज़्यादा से ज़्यादा ८ हज़ार मील की रफ़्तार रहनेवाला यह “हायपरसॉनिक व्हेहिकल’ परमाणुअस्त्र एवं पारंपरिक क्षेपणास्त्रों को दागने के लिए विकसित किया गया है।

रशिया की सरकारी वृत्तसंस्था ‘इंटरफ़ॅक्स’ ने इस परीक्षण की पुष्टि की है। रशिया द्वारा विकसित की गयी यह हायपरसॉनिक यंत्रणा जल्द ही, विद्यमान एवं भविष्यकालीन लाँग रेंज क्षेपणास्त्रों पर तैनात की जायेगी, ऐसी जानकारी इसमें दी गयी है। अमरीका के रक्षाविभाग की प्रवक्ता मिशेल बाल्डान्झा ने, इस परीक्षण की जानकारी प्रसारमाध्यमों द्वारा ही मिली होने का दावा किया है।

रशिया ने सन २०१३ में हायपरसॉनिक यंत्रणा और क्षेपणास्त्रों को विकसित करने पर ज़ोर देने के संकेत दिए थे। सन २०१५ में रशिया ने अपने ‘हायपरसॉनिक ग्लाईड़ व्हेहिकल’ का पहला सफ़ल परीक्षण किया था।

russia-testfires-hypersonic-icbmहायपरसॉनिक यंत्रणा का इस्तेमाल किया जाने पर भारी मात्रा में ऊष्मा और दबाव निर्माण होता है। इस कारण उसे लक्ष्य बनाना मुश्किल हो जाता है।  दुनिया में फिलहाल उपलब्ध रहनेवालीं क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणाएँ इस प्रकार के लक्ष्यों को उड़ाने के लिए सक्षम नहीं हैं। इसलिए रशिया जैसे देश द्वारा हायपरसॉनिक यंत्रणा का सफल परीक्षण किया जाना, यह अमरीका के लिए चिंता का कारण बन चुका है।

अमरीका के वरिष्ठ सांसद माईक रॉजर्स एवं ‘पेंटॅगॉन’ के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी मार्क श्नायडर ने, रशिया का हायपरसॉनिक परीक्षण यह नया ख़तरा रहने की चेतावनी दी। रशिया एवं चीन जैसे देश हायपरसॉनिक यंत्रणाएँ विकसित कर रहे होते समय, अमरीका इस मामले में पिछाड़ी पर पड़ रहा है, ऐसी नाराज़गी रॉजर्स ने प्रदर्शित की। वहीं, श्नायडर ने, रशिया हायपरसॉनिक शस्त्र एवं यंत्रणा विकसित करने के लिए व्यापक कार्यक्रम बना रहा है, इस बात का एहसास करा दिया। रशियन प्रसारमाध्यमों ने, रशिया ‘हायपरसॉनिक क्रूझ मिसाईल’ विकसित करने के संदर्भ में ख़बर दी होने की ओर भी उन्होंने ग़ौर फ़रमाया।

रशिया द्वारा किये गए सफल परीक्षण से पहले, चीन ने भी ‘डीएफ़-झेड़एफ़’ नामक हायपरसॉनिक यंत्रणा का परीक्षण किया होने का दावा किया जाता है। वहीं, अमरीका ने सन २०१४ में किया हायपरसॉनिक क्षेपणास्त्र का परीक्षण असफल हुआ था। उसके बाद रक्षा विभाग नया ‘हायपरसॉनिक वेपन’ विकसित कर रहा होने की जानकारी भी दी गयी थी।

One Response to "रशिया द्वारा आंतरखंडीय क्षेपणास्त्र के साथ ‘हायपरसॉनिक’ यंत्रणा का सफल परीक्षण"

  1. Rajendra Shinde   April 27, 2016 at 4:58 am

    Very helpful information.

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