भारतीय सेना की भारत-म्यानमार सीमा पर आतंकवादियों के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई

भारतीय सेना

मणिपुरस्थित चांडेल में लष्कर की टुकड़ी पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेना ने भारत-म्यानमार सीमा पर, आतंकियों के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई शुरू की होने की ख़बर आयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहगार अजित डोवल ने लष्करी कार्रवाई को हरी झंड़ी दिखाने के बाद लष्कर ने यह मुहिम हाथ में ली है। आतंकवादी गुटों के साथ कई जगहों पर लष्कर की मुठभेड़ हुई होने का समाचार है। लेकिन इस बारे में अधिक तफ़सील ज़ाहिर नहीं किया गया है।

पिछले रविवार को मणिपुरस्थित चंडेल में ‘आसाम रायफ़ल’ के गश्त पथक पर आतंकवादी हमला हुआ था। उसमें एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ साथ छ: लोग मारे गये थे। उसके बाद, आतंकवादियों को मुँहतोड़ जवाब दिया जायेगा, ऐसा सेना द्वारा स्पष्ट किया गया था। लष्करप्रमुख दलबिर सिंग सुहाग ने मंगलवार को चांडेल का दौरा किया। उसके बाद उन्होंने वरिष्ठ सेना-अधिकारियों के साथ चर्चा भी की थी। उसी दौरान, आतंकियों के विरोध में कार्रवाई की योजना बनायी गयी। उसके बाद २६ मई को दिल्ली लौटे लष्करप्रमुख ने लष्कर की योजना की जानकारी रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर को दी। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहगार अजित डोवल को भी योजना की जानकारी दी गयी। प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहगार द्वारा योजना को हरी झंडी दिखायी जाने के बाद शुक्रवार से म्यानमार सीमा पर ज़ोरदार कार्रवाई की शुरुआत की गयी है।

आसाम रायफ़ल के पथक पर हुए आतंकवादी हमले की ज़िम्मेदारी का ‘कोरकॉम’ (कोअर कमिटी) ने स्वीकार किया है। यह संगठन मणिपुर में कार्यरत रहनेवाले आतंकवादी गुटों का संयुक्त संगठन होकर, ‘नॅशनल सोशलिस्ट कौन्सिल ऑफ़ नागालँड़-खपलांग’ (एनएससीएन-के) और ‘उल्फ़ा’ जैसे संगठनों का इसमें समावेश है।

‘एनएससीएन-के’ इस संगठन ने ही पिछले साल चांडेल में ही लष्कर के पथक पर हमला किया था। इसमें १८ जवान शहीद हुए थे। कोरकॉम ने रविवार को, आतंकवादी हमला करनेवाले आतंकियों के गुट की तस्वीर भी प्रकाशित की है।

प्रधानमंत्री एवं रक्षामंत्री द्वारा हरी झंड़ी दर्शायी जाते ही म्यानमार सीमा पर ज़ोरदार कार्रवाई हाथ में ली गयी। हालाँकि कुछ स्थानों में मुठभेड़ें हुई हैं, इस बारे में कोई भी तफ़सील ज़ाहिर नहीं किया गया है। पिछले साल भी, चांडेल के हमले के बाद इसी प्रकार की कार्रवाई हाथ में ली गयी थी। म्यानमार की सहायता लेते हुए म्यानमार में घुसकर ‘एनएससीएन-के’ के अड्डे ध्वस्त किये गये थे। उस समय भी लष्कर द्वारा मारे गये आतंकियों की संख्या तथा अन्य तफ़सील ज़ाहिर नहीं किये गये थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.