चीन की अर्थव्यवस्था को वैश्विक महामंदी से भी बड़ा झटका लगने के संकेत

विक्रमी गिरावट के बाद विदेशी चलन रिज़र्व नीचांकी स्तर पर

China-Economic-Collapse

चीन की अर्थव्यवस्था को सन २००८ की वैश्विक महामंदी से भी बड़ा झटका लगनेवाला होने की चेतावनी अग्रसर अमरिकी निवेशक ने दी है। इस झटके में चीन की बँकिंग व्यवस्था गिर जायेगी और युआन के मूल्य में विक्रमी गिरावट आ जायेगी, ऐसा दावा ‘काइल बास’ इस अमरिकी निवेशक ने अपनी चेतावनी में किया है। बास ने सन २००८ के पहले, अमरिकी गृहकर्ज़ संकट का और उसके पश्चात् युरोपीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आ जाने का भविष्यकथन किया था। इसलिए उनकी इस चेतावनी पर भी ग़ौर किया जा रहा है। इस चेतावनी की पार्श्वभूमि पर, चीन के विदेशी रिज़र्व में विक्रमी गिरावट आयी हुई होकर, रिज़र्व एक्स्चेंज की राशि गत चार वर्षों के नीचांक तक आयी होने की ख़बर सामने आयी है।

काइल बास अमरीका की ‘हेमन कॅपिटल मॅनेजमेंट’ कंपनी के संस्थापक होकर, उन्होंने अपने ग्राहकों को लिखे पत्र में चीन की अर्थव्यवस्था के बारे में गंभीर चेतावनी दी है। ‘चीन की अर्थव्यवस्था को जो समस्याएँ परेशान कर रही हैं, उस क़िस्म की समस्याएँ पहले कभी दिखायी नहीं दी थीं। इसलिए चीन सरकार को काफ़ी डटकर उनका मुक़ाबला करना होगा’, ऐसा बास ने अपने पत्र में कहा है।

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‘चीन के युआन चलन के मूल्य में डॉलर की तुलना में ३० प्रतिशत से भी अधिक गिरावट आनेवाली है। सन २००८ में अमरिकी बँकों को लगे झटके के चार गुना बड़ा झटका चिनी बँकों को लगनेवाला होकर, उन्हें पूर्वस्थिति को प्राप्त करने के लिए सरकार को तक़रीबन १० लाख करोड़ डॉलर्स मूल्य रहनेवाले चलन की छपाई करनी होगी’, ऐसी चेतावनी बास ने दी। चीन के पास के वास्तविक विदेशी रिज़र्व, फ़िलहाल बतायी जा रही आँकड़ेवारी की तुलना में बहुत ही कम होने का दावा भी उन्होंने किया।

पिछले साल भर में चीन की अर्थव्यवस्था में जारी रहनेवाली गिरावट की पार्श्वभूमि पर बास की चेतावनी महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है। अमरिकी निवेशक की इस चेतावनी के बाद, चीन के विदेशी चलन रिज़र्व में विक्रमी गिरावट आ रही होने की जानकारी सामने आयी है। जनवरी महीने में चीन के विदेशी चलन रिज़र्व में तक़रीबन १०० अरब डॉलर्स की गिरावट आयी होकर, रिज़र्व चलन राशि ३.२३ ट्रिलियन डॉलर्स तक नीचे गिर गयी है।

सन २०१५ के शुरू में चीन के पास ३.८५ ट्रिलियन डॉलर्स इतनी विदेशी रिज़र्व चलन राशि थी। मग़र सालभर में उसमें पूरे ६०० अरब डॉलर्स की गिरावट आयी होकर, यह राशि ३.२३ ट्रिलियन डॉलर्स तक घटी है। गत दो महीने में तो इस राशि में विक्रमी गिरावट हो रही है। दिसंबर महीने में विदेशी चलन रिज़र्व में पूरे १०८ अरब डॉलर्स की गिरावट आई थी।

इस विक्रमी गिरावट के पीछे, युआन चलन स्थिर करने के प्रयास होने का दावा अर्थविशेषज्ञों ने किया है। चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट शुरू रहने के कारण कई निवेशक देश में से निवेश बाहर ले जा रहे हैं। इस कारण युआन पर दबाव आ रहा होकर, उसका मूल्य सालभर में पूरे पाँच प्रतिशत घटा है। लेकिन चीन युआन को आंतर्राष्ट्रीय चलन के रूप में मज़बूत बनाने के चक्कर में है। इसलिए उसका मूल्य स्थिर रखने के लिए चीन सरकार द्वारा विदेशी रिज़र्व खर्च किये जाने की जानकारी सामने आ रही है।

चीन के पास फ़िलहाल रहनेवाला विदेशी चलन रिज़र्व यह हालाँकि अन्य देशों की तुलना में प्रचंड है, मग़र फिर भी रिज़र्व को होनेवाला नुकसान भी बड़ा रहने की बात गत छः महीनों की आँकड़ेवारी से स्पष्ट हुई है। ऐसे हालातों में, चीन के पास की रिज़र्व चलन की राशि में तेज़ी से गिरावट आकर चिन्ताजनक परिस्थिति निर्माण हो सकती है, ऐसी चेतावनी अर्थविशेषज्ञों द्वारा दी गयी है।

विदेशी चलन रिज़र्व में गिरावट होते समय ही, चीन ने सोने की ख़रीदारी की रफ़्तार भी बढ़ायी है। जनवरी महीने में चीन ने १५.९८ टन सोने की ख़रीदारी की होने की जानकारी ‘पीपल्स बँक ऑफ चायना’ ने दी है। इस ख़रीदारी के बाद, चीन के पास की सोने की राशि १,७७८.४ टनों पर पहुँच चुकी है।

सोने की रिज़र्व राशि में बढ़ोतरी होते समय ही, चीन में सोने की माँग भी बढ़ी होने की जानकारी सामने आयी है। सन २०१५ में चीन में पूरे ९८६ टन इतनी सोने की माँग दर्ज़ की गयी। सन २०१४ की तुलना में इसमें लगभग चार प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, यह स्पष्ट हुआ है। दुनिया का सबसे बड़ा सोने का उत्पादक जाने जानेवाले चीन ने सन २०१५ में पूरे ४५० टन सोने का उत्पादन किया होने की जानकारी भी दी गयी है।

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