तुर्की ‘अलेप्पो’ के एहसानों का बदला चुकायेगा

 तुर्की के प्रधानमंत्री के द्वारा सिरिया में लष्करी हस्तक्षेप के संकेत

syria turkey Davutoglu

‘पहले विश्वयुद्ध में अलेप्पो के बांधवों ने रशियन लष्कर से तुर्की की रक्षा की थी। आज यह ऐतिहासिक कर्ज़ा चुकाने का समय आया होकर, तुर्की अलेप्पो के बांधवों के लिए यक़ीनन ही दौड़ा चला जायेगा’ ऐसे सूचक शब्दों नें तुर्की के प्रधानमंत्री अहमत दावूतोग्लू ने, तुर्की द्वारा सिरिया में लष्करी हस्तक्षेप किये जा सकने के संकेत दिये। तुर्की सिरिया की सीमा में सेना घुसाने की तैयारी कर रहा होने का आरोप करके रशिया ने पिछले हफ़्ते ही इस संदर्भ में सबूत पेश किये थे।

सिरियन लष्कर ने गत कुछ दिनों से अलेप्पो स्थित ‘आयएस’ के अड्डों पर हमलें शुरू किये हैं। सिरियन लष्कर की इस कार्रवाई को रशियन लड़ाक़ू विमानों की सहायता मिल रही होकर, ‘आयएस’ के आतंकी पीछे हट रहे होने का दावा किया जा रहा है। सिरियन लष्कर द्वारा की जा रही इस कार्रवाई की दुनियाभर से आलोचना की जा रही होकर, इस संघर्ष में अलेप्पो की सिरियन जनता भी निर्वासित हुई होने का आरोप किया जा रहा है। ये निर्वासित तुर्की की सीमारेखा तक पहुँच चुके होकर तुर्की में प्रवेश करने की माँग कर रहे हैं। लेकिन लगभग ३० हज़ार से भी अधिक संख्या रहनेवाले इन सिरियन निर्वासितों के लिए तुर्की ने अब तक सीमारेखा खुली नहीं की है।

इस पार्श्वभूमि पर तुर्की के प्रधानमंत्री दावूतोग्लू ने अलेप्पो की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की बात ज़ाहिर की। इसके समर्थन में, अलेप्पो तथा तुर्की का पुराना रिश्ता होने का सबूत दावूतोग्लू ने पेश किया। पहले विश्वयुद्ध में रशिया और मित्रदेशों के लष्कर ने तुर्की के ‘सानलीउर्फा’, ‘गाझाअन्तेप’ और ‘काहरामनमरास’ इन तीन शहरों पर हमले किये थे। उस समय अलेप्पो स्थित बांधवों ने इन शहरों की सुरक्षा के लिए तुर्की के लष्कर की सहायता की थी, ऐसा दावा दावूतोग्लू ने किया। इस ऐतिहासिक सहयोग को चुकता करने की घड़ी आ गयी है, ऐसा तुर्की के प्रधानमंत्री ने कहा।

लेकिन रशिया के कुछ विश्लेषकों ने, तुर्की के प्रधानमंत्री द्वारा किये गये इन विधानों पर तीख़ी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की है। ‘ऑटोमन साम्राज्य की महत्त्वाकांक्षा के कारण तुर्की पहले विश्वयुद्ध में खींचा गया था। सोव्हिएत रशिया के ‘ओदेसा’ बंदरगाह पर तुर्कों के द्वारा हमला किया जाने पर, रशियन लष्कर ने दिये हुए प्रत्युत्तर में तुर्कों की पराजय हुई थी, इसकी याद रशिया के विश्लेषक दिला रहे हैं। साथ ही, दावूतोग्लू द्वारा नमूद किये गये तीन शहरों में आर्मेनियन वंश के तथा अन्य अल्पसंख्यांक रह रहे थे। उस समय तुर्की के कट्टरपंथियों ने इन अल्पसंख्यांकों का हत्याकांड किया था और आज भी तुर्की इस हत्याकांड की ज़िम्मेदारी का स्वीकार नहीं कर रहा होने की याद रशिया के विश्लेषक दिला रहे हैं।

syria turkey border tanks

पिछले हफ़्ते ही रशियन रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मेजर जनरल इगोर कोनाशेंकोव्ह ने, तुर्की सिरिया में सेना घुसाने की तैयारी में होने का आरोप किया था। सिरिया के सार्वभौमत्व पर हमला करने तुर्की के टँक सिरिया की सीमा के पास दाख़िल हुए हैं, ऐसा रशियन लष्कर ने कहा था।

उसीके साथ, अलेप्पो के ‘रेहानअली’ इस सीमाचौकी में से शस्त्र-अस्त्रों की तस्करी शुरू रहने का आरोप भी रशियन लष्कर के प्रवक्ता ने किया था। तुर्की के सीमाप्रांत के ज़रिये शस्त्र-अस्त्र तथा आतंकवादी सिरिया में दाख़िल हो रहे होने की तस्वीरें कोनार्शेकोव्ह ने माध्यमों के लिए प्रकाशित की थीं। जिस इलाक़े से तस्करी होती है, वह इलाक़ा ‘आयएस’ के कब्ज़े में है। इसलिए ‘आयएस’ के आतंकी तथा तुर्की में सहकार्य रहने का आरोप रशिया ने किया था।

इसी दौरान, दावूतोग्लू ने ज़ाहिर कियेनुसार, यदि तुर्की के लष्कर ने सिरिया में घुसपैंठ की, तो अपनी सार्वभौमता की सुरक्षा के लिए सिरिया तुर्की के लष्कर पर हमला कर सकता है। फिर तुर्की यह नाटो का सदस्यदेश रहने के कारण, तुर्की की सुरक्षा के लिए नाटो सिरिया पर आक्रमण कर सकता है। एक बार यदि नाटो इस संघर्ष में सहभागी हो जाता है, तो फिर रशिया और इराक़ भी इस संघर्ष में पूरी तरह सहभागी हो जायेंगे और फिर सिरिया स्थित संघर्ष और भी भड़केगा, ऐसा डर दुनियाभर के निरीक्षक ज़ाहिर कर रहे हैं।

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