श्रीलंका ने नकारे पाकिस्तान के लड़ाकू विमान

भारत ने जताया था व्यवहार पर ऐतराज़; भारत की राजनीतिक कुशलता की सफलता

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भारत के द्वारा दर्ज़ किये गए ऐतराज़ के बाद श्रीलंका ने पाकिस्तान के साथ किया जा रहा, ‘एफ़-१७’ इस लड़ाकू विमान की खरीदारी का व्यवहार रद कर दिया है। इस कारण, भारत को मात देकर श्रीलंका को लड़ाकू विमान की बिक्री करना चाहनेवाले पाकिस्तान को बहुत बड़ा झटका लगा हुआ दिखायी दे रहा है।

चीन और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप में ‘एफ़-१७’ इस बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान को विकसित किया है। आर्थिक दिवालियापन की कगार पर रहनेवाला पाक़िस्तान इन लड़ाकू विमानों को बेचकर पैसा इकट्ठा करने की कोशिश में है और श्रीलंका इन विमानों को खरीदें इसलिए विशेष प्रयत्नशील है। इस संदर्भ में गत कुछ महीनों से पाक़िस्तान की श्रीलंका के साथ चर्चा चल रही है। श्रीलंका की वायुसेना के प्रमुख गगन बुलाथसिंहला नवम्बर महीने में पाक़िस्तान दौरे पर गए थे। उस समय ‘एफ-१७’ की ख़रीदारी के सिलसिले में अंतिम चर्चा हुई थी। इसके अनुसार पाक़िस्तान ने इस लड़ाकू विमान के लिए ३.५ करोड़ डॉलर्स इतनी कीमत निश्चित की थी। श्रीलंका १० से १२ ‘एफ-१७’ विमान ख़रीदेगा, ऐसा कहा जा रहा था। लेकिन इस व्यवहार के ज़रिये पाक़िस्तान और श्रीलंका के बीच विकसित होनेवाला सामरिक सहकार्य भारत के लिए ख़तरे का कारण बन सकता था। इसपर ग़ौर करके भारत ने इस व्यवहार पर ऐतराज़ जताया था।

पाक़िस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ कुछ दिन पहले श्रीलंका के दौरे पर आये थे। इस दौरे में दोनों देशों के बीच इस लड़ाकू विमान ख़रीदारी का ४० करोड डॉलर्स का समझौता होगा, ऐसी जानकारी पाक़िस्तानी माध्यमों ने दी थी। लेकिन यह बहुचर्चित समझौता हुआ ही नहीं। क्योंकि श्रीलंका ने ‘एफ-१७’ की ख़रीदारी का विचार ही रद किया होने की बात सामने आ रही है। श्रीलंका ने इस पूरे ख़रीदारी व्यवहार को ही रद किया, इसके पीछे ‘भारत द्वारा जताया जानेवाला ऐतराज़’ यह प्रमुख कारण है, ऐसा कहा जा रहा है। साथ ही, ४० करोड़ के इस खरीदारी व्यवहार को लेकर श्रीलंकन सरकार को अंतर्गत विरोध का सामना करना पड़ा था। इसलिए श्रीलंका ने ‘एफ-१७’ का ख़रीदारी व्यवहार ही रद कर दिया।
श्रीलंका को इस प्रकार के हवाई जहाजों की ज़रूरत नहीं है, यह बात भारत ने श्रीलंका को जतायी। साथ ही, इस विमान के इंजन में कई दोष हैं और इस इंजन का सह्निर्माता रहनेवाला चीन भी इस विमान का इस्तेमाल नहीं करता, इस बात पर भी ग़ौर करने के लिए भारत ने श्रीलंका से कहा।

 सबसे अहम बात यह है कि यदि यह ख़रीदारी व्यवहार पूरा हो जाता, तो पाक़िस्तान तथा चीन, इन विमानों की मरम्मत करने एवं प्रशिक्षण देने के बहाने श्रीलंका में अपना डेरा जमाने की कोशिश करते। यह बात भारत के लिए तो ख़तरा बनती ही थी; साथ ही श्रीलंका के हितसंबंधों के लिए भी ख़तरा बन सकती थी। इस बात की ओर भारत द्वारा ध्यान खींचे जाने के बाद, श्रीलंकन सरकार ने इस व्यवहार को रद करके पाकिस्तान के साथ चीन को भी झटका दिया है।

श्रीलंकन सरकार ने लिए हुए इस निर्णय से, भारत का श्रीलंका पर रहनेवाला प्रभाव नये सिरे से अधोरेखित हुआ है। श्रीलंका में राष्ट्राध्यक्ष मैत्रिपाला सिरिसेना की सरकार सत्ता पर आ जाने के बाद, श्रीलंका के चीनपरस्त रवैये में बहुत बड़ी तबदीली आयी होकर, श्रीलंका को उसके बहुत बड़े लाभ मिलने लगे हैं। उसीके साथ, श्रीलंकन सरकार द्वारा स्वीकृत इस नीति का, भारत के साथ के संबंधों पर सकारात्मक परिणाम होने लगा है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहकार्य अधिक ही व्यापक बना है।

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