अमरिकी डॉलर का अन्त शुरू हुआ है – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन

सेंट पीटर्सबर्ग -‘दो देशों के कारोबार में डॉलर का इस्तेमाल कम होने लगा है और चीन के युआन का इस्तेमाल बढ़ रहा है। ईंधन उत्पादक देश भी अमरिकी डॉलर के बजाय अब अन्य मुद्राओं का विकल्प अपनाने के लिए तैयार हो रहे हैं। यह अमरीका के डॉलर के अन्त की शुरुआत हैं’, ऐसा दावा रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने किया। लेकिन, डॉलर का अन्त रशिया के कारण नहीं हो रहा हैं। बल्कि अमरीका ने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ के विचार से किए निर्णय की वजह से डॉलर ने आरक्षित एवं अंतरराष्ट्रीय कारोबार के मुद्रा के तौर पर कमाई विश्वासार्हता खो दी है, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने कहा।  

अमरिकी डॉलर का अन्तरशिया के ‘सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनैशनल इकॉनॉमिक फोरम’ (एसपीआईइएफ) में बोलते समय राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने अमरिकी डॉलर की गिरावट शुरू होने का दावा किया। लेकिन, यह रशिया के कारण नहीं हो रहा है, रशिया का इससे कुछ भी संबंध नहीं हैं, यह भी स्पष्ट किया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर डॉलर ने बनाया अपना स्थान छिनने का इरादा रशिया ने नहीं रखा था। यह सब कुछ अमरीका ने स्वयं करवाया हैं। डॉलर का इस्तेमाल हथियार की तरह करके संकीर्ण स्वार्थ प्राप्त करने के लिए अमरीका ने रशिया और अन्य देशों पर प्रतिबंध लगाए। इससे अंतरराष्ट्रीय आरक्षित मुद्रा के तौर पर और दो देशों में हो रहे व्यापार में डॉलर का इस्तेमाल होना कम हुआ। क्यों कि, अमरीका के प्रतिबंधों की वजह से डॉलर को लेकर आशंका बढ़ी है, यह दावा पुतिन ने किया। इस से दो देशों के कारोबार में स्थानिय मुद्रा इस्तेमाल करने की शुरूआत हुई है। ईंधन उत्पादक देश भी डॉलर के विकल्प के तौर पर युआन की ओर देखने लगे हैं। इससे डॉलर के अन्त की शुरूआत होने की बात कहकर रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने यह दावे किए कि, वैश्विक व्यवस्था पहले से ही टुटने की कगार पर पहुंची हैं। पहले के दौर में खराब हुई नए उपनिवेश वाद की व्यवस्था टूट गई हैं और इसकी जगह पर बहुस्तंभीय वैश्विक व्यवस्था खड़ी हो रही है, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने कहा। बहुस्तंभिय वैश्विक व्यवस्था विकसित होना बड़ा ज़रूरी बना हैं, यह अनुमान भी पुतिन ने दर्ज़ किया है।

पिछले कुछ दिनों से अमरीका का डॉलर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा का प्राप्त स्थान खो रहा है, ऐसे दावे रशिया कर रही हैं। अमरीका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने भी डॉलर का प्रभाव कम होने का मुद्दा स्वीकार किया था। डॉलर का प्रभाव कम होने का मतलब अमरीका का विश्व में प्रभाव खत्म होना ही होता है। कुछ अमरिकी आर्थिक विशेषज्ञों ने बायडेन प्रशासन को इससे आगाह किया था। खास तौर पर सौदी अरब जसा ईंधन उत्पादक देश डॉलर के बजाय युआन के ज़रिये अपने ईंधन बिल का भुगतान करने के लिए तैयार हो रहे हैं। यह मुद्दा अमरीका के लिए चेतावनी साबित होगा, ऐसा इन विशेषज्ञों ने आगाह किया था। साथ ही बायडेन प्रशासन ने रशियन डॉलर का इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाकर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ चलाई है, ऐसी तीखीं आलोचना आर्थिक विशेषज्ञों ने की थी। इससे डॉलर के बजाय व्यापार करने के विभिन्न विकल्प तलाश ने का समय रशिया में आया है और इसके लाभ अन्य देश उठा रहे हैं, ऐसा इन आर्थिक विशेषज्ञों का कहना हैं।

‘एसपीआईइएफ’ में बोलते समय रशियन राष्ट्राध्यक्ष इसी मुद्दे को उठाते दिखाई दिए। अमरीका ने स्वयं ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर डॉलर ने प्राप्त किया स्थान खत्म किया, ऐसा दावा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने किया। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी अमरीका को इस मुद्दे पर चेतावनी दी थी। लेकिन, बायडेन प्रशासन अभी तक इस मुद्दे को गंभीरता से देखने के लिए तैयार नहीं। ऐसे में आगे भी अमरीका प्रतिबंध और राजनीतिक उद्देश्य सामने रखकर डॉलर का हथियार की तरह इस्तेमाल करना जारी रखेगी, यह आसार दिख रहे हैं।

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