जापान के साथ ताइवान को ड्रोन्स की आपूर्ति करके अमरीका चीन को रोकने की तैयारी में – अमरीका के पूर्व सेना अधिकारी का दावा

वॉशिंग्टन – चीन के दस लड़ाकू विमानों ने रविवार को ताइवान की हवाई सीमा में प्रवेश किया। राड़ार यंत्रणा ने चीन के लड़ाकू विमानों की घुसपैठ की जानकारी प्राप्त होते ही ताइवान ने तुरंत ही अपने वायु सेना के विमानों को रवाना किया। इससे पहले ८ जून को भी चीन के लड़ाकू विमानों ने ताइवान की सीमा में घुसपैठ करके वहां के माहौल की गरमाहट बढ़ाई थी। इस तरह से चीन बार बार ताइवान और इस क्षेत्र के अन्य देशों की सुरक्षा को चुनौती दे रहा हैं और तभी अमरीका ने जापान के साथ ताइवान को भी उन्नत ड्रोन्स प्रदान करने की तैयारी दर्शायी है।

ताइवान जल्द ही अमरीका के ‘सी गार्डियन’ गश्ती ड्रोन विमानों की तैनाती के साथ तैयार होगा। कुछ महीने पहले अमरीका ने जापान को आठ ड्रोन्स प्रदान किए हैं। जापान और ताइवान को अमरीका को प्राप्त हो रहे यह ड्रोन्स बड़ी अहम ज़िम्मेदारी निभा सकते है। क्यों कि, इन ड्रोन्स की सहायता से ‘ईस्ट चाइना सी’ से ताइवान की खाड़ी तक के क्षेत्र में चीन की जारी हवाई और समुद्री गतिविधियों पर नज़र रखना आसान होगा। इसकी जानकारी ‘रिअल टाईम’ में अमरीका को भी आसानी से प्राप्त होगी। इश वजह से इस क्षेत्र में चीन की गतिविधियों को रोकने में अमरीका को आसानी होगी, ऐसा दावा अमरीका के पूर्व सेना अधिकारियों ने किया।

तीन दिन पहले ‘फाइनान्शिअल टाईम्स’ नामक ब्रिटीश अखबार ने अमरिकी कंपनी ‘जनरल अटॉमिक्स’ और ताइवान के बीच हुए ६० करोड़ डॉलर्स के समझौते की खबर प्रसिद्ध की। वर्ष २०२० में अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रदान की हुई मंजूरी के अनुसार जनरल अटॉमिक्स ताइवान को चार ‘एमक्यू-९बी सी गार्डियन’ ड्रोन्स प्रदान कर रही हैं। यह ड्रोन्स वर्ष २०२५ तक ताइवान के बेड़े में शामिल होंगे। यह मानव रहित गश्ती विमान कम से कम ३० घंटे के लिए लगातार उड़ान भर सकते हैं। इन ड्रोन्स का इस्तेमाल हवाई एवं समुद्री जासूसी के लिए हो सकता हैं।

यह ड्रोन्स अमरीका या जापान के ‘रिमोटली पायलेटेड एअर क्राफ्ट सिस्टिम’ से जुड़ने के बाद इसकी पुरी जानकारी अमरीका-जापान तक पहुंच सकेगी। इस वजह से इन चार ड्रोन्स की सहायता से अमरीका और जापान ने चीन के पूर्व के पूरे तटीय क्षेत्र पर ‘रिअल टाईम’ गश्त करने की तैयारी रखी होने का दावा अमरीका के पूर्व सेना अधिकारी कर्नल रासमुसेन ने किया। ताइवान के बेड़े में लॉकहिड मार्टिन ने प्रदान किए ‘पी-३सी ओरियन’ जैसे लंबी दूी के पनडुब्बी विरोधी गश्ती विमान मौजूद हैं। यह दोनों विमान ताइवान के जासूसी सामर्थ्य में बढ़ोतरी करेंगे, यह दावा रासमुसेन ने किया।

ताइवान के इन चार ड्रोन्स के साथ ही जापान के ड्रोन्स का दल भी इस जासूसी में सहायका साबित होगा, इसकी याद रासमुसेन ने करायी। पिछले वर्ष नवंबर महीने में जापान की वायु सेना के बेड़े में आठ सी गार्डियन ड्रोन्स शामिल हुए हैं। जापान ने भी ट्रम्प के कार्यकाल में ही इन ड्रोन्स की खरीद की थी। जापान के यह ड्रोन्स भी चीन की हवाई और समुद्री गतिविधियों पर नज़र रख सकते हैं।

इसके अलावा अमरीका दक्षिण कोरिया में ड्रोन्स बनाने का कारखाना लगाने की गतिविधियां करने में लगी होने का दावा किया जा रहा है। दक्षिण कोरियाई कंपनी ने इसके लिए अमरीका के जनरल अटॉमिक्स के साथ समझौता किया है। संभव हो अमरीका दक्षिण कोरिया में हमलावर ‘रिपर ड्रोन्स’ का निर्माण कर सकती है, इसपर भी रासमुसेन ने ध्यान आकर्षित किया।

अप्रैल महीने में अमरीका ने फिलीपीन्स में आयोजित युद्धाभ्यास में रिपर ड्रोन्स को उतारा था। आग्नेय एशिया के हवाई या समुद्री युद्धाभ्यास में पहली बार अमरीका ने रिपर ड्रोन्स का इस्तेमाल किया था।

पिछले कुछ महीनों में अमरीका की इस क्षेत्र की गतिविधियां चीन की कार्रवाईयों को नियंत्रित करने के लिए शुरू होने की बात स्पष्ट हो रही है। ताइवान और जापान को ड्रोन्स प्रदान करके अमरीका ने बड़े कदम उठाए दिख रहे हैं। इसपर चीन की प्रतिक्रिया सामने आने की उम्मीद हैं।

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