विश्व में भूखमरी से पीड़ित लोगों की संख्या ७९ करोड़ हुई – संयुक्त राष्ट्र संघ की रपट

संयुक्त राष्ट्र – पिछले वर्ष दुनियाभर में लगभग २.४ अरब लोगों को अन्न की आपूर्ति नियमित नहीं हुई। दुनियाभर में अब ७८ करोड़ लोग भूखमरी का सामना कर रहे हैं। इसी बीच अपर्याप्त अन्न की वजह से करीबन १५ करोड़ बच्चों के विकास में बाधाएं निर्माण हुई है। रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से अनाज़ की आपूर्ति बाधित हुई है और इसा सीधा असर अनाज़ की कीमत पर हो रहा है। इसे रोकने के लिए शीघ्रता से कदम उठाएं नहीं तो भूखमरी की समस्या बढ़कर बड़े खतरनाक स्तर पर जा पहुंचेगी, ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनी नई रपट के ज़रिये दी है। 

भूखमरीकोरोना की महामारी के कारण वैश्विक सप्लाइ चेन बाधित हुई। इससे अनाज़, खाद की आपूर्ति बाधित हुई थी। इस महामारी से विश्व पुरी तरह से संभलने से पहले ही रशिया-यूक्रे युद्ध शुरू हुआ। इस वजह से पिछले पिछले वर्ष से पौष्टिक भोजन और स्वास्थ्य वर्धक आहार की सप्लाई बाधित हुई है। रशिया-यूक्रेन के अनाज़ और खाद पर निर्भड़ देश पिछले १५ महीने इस संकट का सामना कर रहे हैं, इस ओर संयुक्त राष्ट्र संघ के ‘फूड ॲण्ड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन’ (एफएओ) के प्रमुख कू डोंग्यू ने ध्यान आकर्षित किया। 

संयुक्त राष्ट्र संघ के पांच संगठनों ने इस संकट पर बनाई रपट ध्यान आकर्षित कर रही है। ‘२०२३ स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी ॲण्ड न्यूट्रिशियन’ में वैश्विक भूखमरी पर बयान किया गया है। वर्ष २०२१ और २०२२ के दौरान दुनियाभर के अधिकांश देशों में अनाज़ का संकट उभरा था, इसकी याद इस रपट ने ताज़ा की है। पश्चिम एशिया, अफ्रीका और कैरेबियन देशों की जनता को भूखमरी का सबसे अधिक सामना करना पड़ रहा हैं, ऐसा इस रपट में कहा गया है।

वर्ष २०२१ में विश्व की कुल ४२ प्रतिशत जनता को पौष्टिक आहार भी प्राप्त नहीं हो सका है। वर्ष २०१९ में यही संख्या १३.४० करोड़ थी। कोरोना के दौर में बाधित हुई सप्लाई चेन की वजह से दुनियाभर में ज़रूरतमंदों तक अनाज़ की सप्लाई नहीं पहुंच सकी है, यह बात भी इस रपट में रेखांकित की गई है। स्वास्थ्य के लिए हानिकारक अन्न का सेवन कर रहे लोगों की संख्या बढ़ रही हैं और इसे काबू करना कठिन हो रहा है, यह चिंता भी इस रपट में जताई गई है। इस वजह से पिछले वर्ष दुनिया में ६९ से ७८ करोड़ लोग कुपोषित पाए गए हैं और यह बात बहुत चिंताजनक है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष २०३० का अनुमान दर्ज़ करते समय इससे भी खतरनाक हालात का अहसास कराया है। इस दशक के अन्त तक दुनियाभर में ६० करोड़ लोग कुपोषित रहेंगे और निमें बच्चों की संख्या बड़ी होगी, ऐसा इशारा संयुक्त राष्ट्र संघ ने दिया था। इसकी याद भी ‘एफएओ’ के प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञ मॉक्सिमो टोरेरो ने करायी।

इसी बीच यूक्रेन युद्ध के दौरान अनाज़ की किल्लत बेकाबू ना होने देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने १४.२ डॉलर का निधी खड़ा किया था। इससे दुनिया में १६ करोड़ लोगों को अनाज़ की आपूर्ति करना मुमकिन हुआ। लेकिन, पहले के दौर में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से प्राप्त हुई आर्थिक सहायता में कटौती हो सकती है। ऐसा हुआ तो भूखमरी, कुपोषण और इससे होने वाली मौत का संकट अधिक तीव्र हो सकता है, ऐसी चेतावनी राष्ट्रसंघ के वरिष्ठ अधिकारी दे रहे हैं।

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