पाकिस्तान के ‘लश्‍कर’ और ‘जैश’ के अल कायदा से ताल्लुकात – संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारतीय राजदूत का प्रहार

न्यूयॉर्क – पाकिस्तानी आतंकी संगठन ’लश्‍कर ए तोयबा’ और ‘जैश ए मोहम्मद’ के ‘अल कायदा’ से ताल्लुकात हैं। इसी वजह से अफ़गानिस्तान के आतंकी गुट अधिक ताकतवर बने हैं। इसके साथ ही वर्ष १९९३ के मुंबई में बम विस्फोट करनेवालों को पाकिस्तान में सरकारी सुरक्षा और फाईव स्टार मेहमाननव़ाजी मिल रही है’, ऐसा कहकर भारत के संयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त राजदूत टी.एस.तिरूमुर्ती ने आतंकी पाकिस्तान की पोल खोलदी।

अल कायदा से ताल्लुकातसंयुक्त राष्ट्रसंघ की ‘इंटरनैशनल काऊंटर टेररिज़म कान्फरन्स २०२२’ में बोलते समय तिरुमुर्ती ने पाकिस्तान का आतंकी चेहरा फिर से विश्‍व के सामने लाया। ग्लोबल काऊंटर टेररिज़म काऊंसिल ने आयोजित की हुई इस बैठक में भारतीय राजदूत बोल रहे थे। सन १९९३ के मुंबई बम विस्फोट के प्रमुख आरोपी आतंकी पाकिस्तान में सरकारी सुरक्षा में रह रहे हैं और उन्हें फाईव स्टार मेहमाननवाज़ी मिल रही है, इस ओर ध्यान आकर्षित करके तिरुमुर्ती ने पाकिस्तान का आतंकी चेहरा फिर से विश्‍व के सामने लाया। साथ ही पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से गठबंधन होने की ओर भी तिरुमुर्ती ने ध्यान आकर्षित किया।

आतंकी संगठन ‘आयएस’ की मोडस ऑपरेंडी में बदलाव हुआ है, इस पर भी ध्यान आकर्षित किया गया। आयएस सीरिया और इराक में फिर से अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहा है। इस आतंकी संगठन के एशिया और अफ्रीकी महाद्विप में मौजूद हस्तक इस क्षेत्र में विस्तार कर रहे हैं। इसी बीच अल कायदा संगठन अभी भी उतना ही खतरनाक होने की बात पर राजदूत तिरुमुर्ती ने ध्यान आकर्षित किया।

अफ़गानिस्तान की गतिविधियों के कारण अल कायदा को नयी ताकत प्राप्त हुई है। संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने आतंकी घोषित किए हुए संगठन ‘लश्‍कर’ और ‘जैश’ का अल कायदा के साथ अधिकाधिक सहयोग बढ़ रहा है, इस बड़ी अहम बात पर राजदूत तिरुमुर्ती ने ध्यान आकर्षित किया। सन २००१ में अमरीका में हुए ९/११ के आतंकी हमले के बाद विश्‍व का आतंकवाद को देखने का नज़रिया बदल गया। इस वजह से आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय समस्या बनी है और राष्ट्रसंघ के सभी सदस्य देशों ने एकजुट हुए बिना इस खतरे का सामना नहीं किया जा सकता, यही ९/११ के हमले से रेखांकित हुआ, ऐसा तिरुमुर्ती ने कहा।

एक ठिकाने पर आतंकियों की हरकतें दूसरे स्थान पर शांति और सुव्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं। आपका आतंकी और हमारा आतंकी ऐसा फर्क करने का समय बीत चुका है। कोई भी वजह बताकर अब आतंकवाद का समर्थन नहीं किया जा सकेगा। कोई भी, कहीं भी, किसी भी तरह से आतंकी हमला किया गया तो इसका निषेध सबको करना पड़ेगा। आतंकवाद किसी भी धर्म, देश या समूदाय से जोड़ा नहीं जा सकता, यह भी तिरुमुर्ती ने इस दौरान स्पष्ट किया। इसके साथ ही आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्रसंघ में आवश्‍यक मात्रा में एकजुट ना होने की बात भारत के राजदूत ने पुख्ता शब्दों में स्पष्ट कर दी।

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