पाकिस्तान समेत ५४ देशों को शीघ्रता से आर्थिक सहायता की ज़रूरत – संयुक्त राष्ट्रसंघ के विकास कार्यक्रम का इशारा

जिनेवा/लंदन – वैश्विक संकट की वजह से तकरीबन ५४ देशों की अर्थव्यवस्थाए बिखरने की कगार पर हैं और इन देशों को शीघ्र आर्थिक सहायता की ज़रूरत है। पाकिस्तान, श्रीलंका, ट्युनिशिया, चाड और ज़ाम्बिया जैसे विकसनशील देश कभी भी आर्थिक संकट के भंवर में फंस सकते है। समय पर इन देशों की जनता को सहायता नहीं मिली तो संबंधित देशों में गरिबी अधिक बढ़ेगी, ऐसी चेतावनी राष्ट्रसंघ के ‘यूएनडीपी’ विभाग ने दी है।

रशिया-यूक्रेन युद्ध और इससे निर्माण हुई ईंधन की किल्लत के संकट का असर पूरे विश्व में फैल रहा है। अनाज की कीमतें में उछाल आया है और विश्व आर्थिक मंदी की दहलिज पर खडा होने का इशारा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष वैश्विक बैंक दे रही है।

यूरोपिय देशों को ही ईंधन किल्लत की आंच महसूस होने लगी है और स्थानीय नागरिक सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसी खबरें प्रसिद्ध हुई हैं। ऐसी स्थिति में संयुक्त राष्ट्रसंघ के ‘यूएनडीपी’ गुट ने तैयार की हुई रपट में विश्व के ५४ विकसनशील देशों को आर्थिक सहायता की तुरंत आवश्यकता होने का बयान किया गया है।

यह ५४ देश यानी विश्व की आधे से अधिक जनसंख्या गरिबी से झूझ रही है। इन देशों को शीघ्रता से कर्ज़ की आवश्यकता है और अंतरराष्ट्रीय बैंक और वित्तसंस्था इसके लिए पहल करें, यह आवाहन राष्ट्रसंघ ने किया। मुद्राकोष, वैश्विक बैंक एवं अन्य वित्तसंस्था और धनिक पश्चिमी देश इन ५४ देशों का कर्ज़ा पुरी तरह से माफ करें या अधिक बड़ी आर्थिक सहायता का ऐलान करें, ऐसी माँग ‘यूएनडीपी’ ने की। पश्चिमी देश और वित्तसंस्थाओं ने समय पर निर्णय किया तो ही इन देशों का संकट नियंत्रित करना मुमकिन होगा, वरना स्थिति बेकाबू हो सकती है, ऐसी चेतावनी ‘यूएनडीपी’ ने दी।

शीघ्रता से आर्थिक सहायता की ज़रूरत वाले इन ५४ देशों में से लगभग आधे देश अफ्रीकी होने का दावा किया जा रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में इन देशों का योगदान महज़ तीन प्रतिशत ही है, इस पर भी यूएनडीपी ने ध्यान आकर्षित किया।

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