विश्व के ५२ देश दिवालिया होने की दहलीज पर – संयुक्त राष्ट्र संघ की चेतावनी

जिनेवा – वैश्विक अर्थव्यवस्था के सार्वजनिक कर्ज का बोजा बढ़कर ९२ ट्रिलियन डॉलर तक जा पहुंचा है और इसमें ३० प्रतिशत कर्ज विकासशील देशों का है। यह कर्ज पाने वाले देशों में से ५२ देश कर्ज का भूगतान करने की स्थिति में नहीं हैं और यह देश जल्द ही आर्थिक दिवालियां हो सकते हैं, ऐसी गंभीर चेतावनी संयुक्त राष्ट्र संघ ने दी है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के कर्ज का बोजा लगातार बढ़ रहा हैं और प्रगत देशों के साथ प्रमुख गुट विकासशील देशों ने प्राप्त किए कर्ज की पुनर्रचना करें, ऐसी मांग हो रही है। लेकिन, इस मुद्दे पर ‘जी २०’ की बैठक में हुई चर्चा कामयाब नहीं हो सकी।

विश्व के ५२ देश दिवालिया होने की दहलीज पर - संयुक्त राष्ट्र संघ की चेतावनीसंयुक्त राष्ट्र संघ के ‘ग्लोबल क्राइसिस रिस्पान्स ग्रुप’ ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के सार्वजनिक कर्ज की जानकारी प्रदान कर रही रपट हाल ही में जारी की। ‘ए वर्ल्ड ऑफ डेब्ट ए ग्रोईंग बर्डन टू ग्लोबल प्रॉस्परिटी’ नामक इस रपट में पिछले दो दशकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था के सार्वजनिक कर्ज पांच गुना बढ़ने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया। पिछले दो-तीन सालों में कर्ज़ उठाने की मात्रा अधिक बढ़ी हैं और इसके लिए कोरोना की महामारी, ‘कॉस्ट ऑफ लीविंग क्राइसिस’, मौसम के बदलाव जैसी वजह ज़िम्मेदार होने का दावा रपट में किया गया है।

कर्ज़ उठाने की मात्रा बढ़ने के साथ ही ब्याज दर की हुई बढ़ोतरी, मुद्रा के मुल्य की गिरावट और फिसलते विकास दर के कारण कर्ज का भुगतान करने में विकासशील देश असफर हो रहे हैं। विश्व के ५२ देश दिवालिया होने की दहलीज पर - संयुक्त राष्ट्र संघ की चेतावनीइससे यकायक सामने आ रही आपदाओं के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अन्य अहम क्षेत्रों के लिए ज़रूरी प्रावधान संबंधित देश नहीं कर सकते, इस पर भी यह रपट ध्यान खिंच रही हैं। इससे विश्व की तीन अरब से भी अधिक जनसंख्या को नुकसान पहुंचा है, ऐसी चिंता संयुक्त राष्ट्र संघ ने व्यक्त की हैं।

वैश्विक स्तर की आर्थिक यंत्रणा पुरानी हुई हैं और इसका निर्माण उपनिवेशवादियों के दौर में असमान नीति के आधार पर हुई है, ऐसी निंदा संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एन्टोनिओ गुतेरस ने की। विकासशील देशों के कर्ज़ का बढ़ता खतरनाक बोजो यानी व्यवस्था के लिए बने खतरे नहीं बल्कि व्यवस्था की नाकामी होने की आलोचना गुतेरस ने की। विश्व के ५२ देश दिवालिया होने की दहलीज पर - संयुक्त राष्ट्र संघ की चेतावनीमौजूदा व्यवस्था वैश्वि अर्थव्यवस्था को लग रहे अनपेक्षित झटकों के विरोध में सभी देशों को उचित सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकी है, इसपर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया। इस दौरान राष्ट्र संघ के महासचिव ने कोरोना की महामारी के साथ मौसम के बदलाव और रशिया-यूक्रेन युद्ध के परिणामों का भी ज़िक्र किया।

विकासशील देश उन्होंने प्राप्त किए कर्ज़ का भूगतान विदेशी मुद्रा में के ज़रिये करने के लिए मज़बूर होने से उन्हें आर्थिक स्तर पर लगे झटकों का दायरा अधिक बड़ा बना है, इसपर भी राष्ट्र संघ ने ध्यान आकर्षित किया। पिछले दशक में जीडीपी की तुलना में ६० प्रतिशत से अधिक कर्ज़ का भार होने वाले विकासशील देशों की संख्या ढ़ाई गुना बढ़ने का अहसास रपट में कराया गया है। इस बढ़ते कर्ज़ के कारण विकासशील देशों की प्रगति में बाधाएं निर्माण हो रही हैं और यह कर्ज़ उनके लिए फंदा साबित हो रहा है, ऐसी चेतावनी भी संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एन्टोनिओ गुतेरस ने दी है।

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