अल-सद्र के समर्थकों ने इराक में की हिंसा के दौरान ३० की मौत और ४०० से अधिक घायल

अल-सद्र

बगदाद – अपने समर्थकों ने हिंसा करने से ३० लोगों के मारे जाने और ४०० से अधिक घायल होने के साथ ही, इराक की राजधानी में अराजकता का माहौल बनने पर, मुक्तदा अल-सद्र ने अपने समर्थकों को प्रदर्शन रोकने का आवाहन किया। उससे पहले अल-सद्र के समर्थकों ने इराक के अतिसुरक्षित ‘ग्रीन झोन’ में हथियारों के साथ घुसपैठ करके अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन किया। कुछ ठिकानों पर उनके समर्थकों की, इराक की सुरक्षा यंत्रणा से मुठभेड़ हुई। लेकिन, अल-सद्र ने राजनीति छोड़ने का ऐलान करने पर गुस्साएँ उनके समर्थक इराक की सरकार को खुली चुनौती दे रहे थे। इराक की सरकारी इमारतें, संसद और अहम संस्थाओं के दफ्तर अल-सद्र के समर्थकों ने अपने कब्ज़े में किए हैं। इनमें से कुछ ठिकानों पर श्रीलंका जैसी स्थिति बनी है।

इराक के ग्रीन झोन में अमरीका समेत अन्य देशों के दूतावास और इराक सरकार के विभिन्न दफ्तर हैं। इस वजह से यह क्षेत्र इराक में सबसे सुरक्षित यानी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का है। ऐसी स्थिति में अल-सद्र के सशस्त्र समर्थकों ने यहां पर बड़ी संख्या में घुसपैठ की। रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेडस्‌‍ और आधुनिक मशिनगन्स हाथों में पकड़कर अल सद्र के ये समर्थक इराक की सरकार को इस क्षेत्र में खुलेआम चुनौती दे रहे थे। सुरक्षा यंत्रणाओं के सैनिकों ने उन्हें रोकने की कोशिश करने पर कुछ ठिकानों पर ज़ोरदार गोलीबारी होने के दावे किए जा रहे हैं। इस हिंसा में अबतक ३० लोग मारे गए हैं और घायलों की संख्या चारसौ से भी अधिक हुई है।

अपने नेता ने राजनीति छोड़ने का ऐलान करने के बाद अल सद्र के समर्थकों ने अराज़कता फैलाने की जानकारी सामने आ रही है। सोमवार को अल-सद्र ने यह ऐलान करने पर इराक में बड़ी उथल-पुथल हुई। पिछले साल अक्तूबर महीने में इराक में चुनाव किए गए थे। इराक के बहुसंख्यांक शियापंथियों के उग्र संगठन का नेतृत्व कर रहें मुक्तदा अल-सद्र के दल ने इस चुनाव में सबसे ज़्यादा सीटों पर जीत हासिल की थी। फिर भी इनके दल को सरकार गठित करना मुमकिन नहीं हुआ था। ऐसें में ईरान के समर्थन प्राप्त करनेवाले अन्य राजनीतिक दलों ने साथ मिलकर सरकार गठित की थी।

अल-सद्रइस वजह से आगबबुला हुए अल-सद्र और उनके समर्थक लगातार दोबारा चुनाव कराने की माँग कर रहे हैं। इराक की मौजूदा सरकार ईरान के इशारों पर नाचनेवाली है, यह आरोप लगाकर अल-सद्र चुनाव कराने की माँग अधिक से अधिक प्रभावी तरीके से उठाने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ महीनें पहले इराक की संसद और अन्य अहम ठिकानों पर अल-सद्र के समर्थकों ने घुसपैठ करके वहाँ पर कब्ज़ा किया था। फिर भी इराक की सरकार दोबारा चुनाव कराने के लिए तैयार नहीं हो रही हैं, यह देखकर अल-सद्र ने राजनीति छोड़ देने का ऐलान किया। सोमवार को उन्होंने यह ऐलान करते ही इराक में सनसनी निर्माण हुई। अल-सद्र के समर्थकों ने इराक की राजधानी में कोहराम मचाकर, पूरे देश को बंधक बनाने की ताकद वे रखते हैं, यह दिखाया। इसकी गूंज सिर्फ इराक ही नहीं, बल्कि पूरे खाड़ी क्षेत्र में सुनाई दे रही हैं।

इराक की अस्थिरता की वजह से अपने देश में घुसपैठ होने से रोकने के लिए ईरान ने, इराक से जुड़ी अपनी सीमा बंद कर दी हैं। ऐसें में सऊदी अरब ने इराक के सभी राजनीतिक दलों को, साथ मिलकर इस समस्या का हल निकालने का आवाहन किया है। इसी बीच युरोपीय महासंघ ने इराक की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। लेकिन, इराक की ईरान समर्थक सरकार से हमारा जारी संघर्ष इतने में रुकेगा नहीं, ऐसा स्पष्ट संदेश अल-सद्र दे रहे हैं। देश में फिर से चुनाव करें और जनाधार प्राप्त सरकार ही इस देश की बागड़ोर संभालें, ऐसी अल-सद्र की प्रमुख माँग है। इराक की मौजूदा सरकार यह माँग स्वीकारने के लिए तैयार नहीं। साथ ही, अल-सद्र ने सामर्थ्य का प्रदर्शन करने पर बेचैन हुए ईरान समर्थक राजनीतिक दल और गुट, आनेवाले समय में अपनी ताकत का प्रदर्शन करके इराक को अधिक अस्थिर कर सकते हैं। इस वजह से इराक की स्थिति पर इतने में काबू होने के आसार नहीं हैं।

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