अफगानिस्तान में हुए बमविस्फोट में 30 लोगों की मौत – ‘आईएस’ ज़िम्मेदार होने का शक़

काबुल – अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के एक प्रार्थनास्थल में हुए शक्तिशाली बमविस्फोट में 30 लोगों की मृत्यु हुई होकर, 40 लोग घायल हुए हैं। इनमें अफगानिस्तान के एक प्रभावी धार्मिक नेता का भी समावेश होने का दावा किया जाता है। पिछले हफ़्तेभर में काबुल स्थित प्रार्थनास्थल पर हुआ यह दूसरा हमला है। इन विस्फोटों में तालिबान से जुड़े नेताओं को लक्ष्य किया गया होकर, इसके पीछे ‘आईएस’ यह आतंकी संगठन होने का दावा किया जाता है।

बुधवार शाम को उत्तर काबुल का सर-ए-कोताल खैरखाना इलाक़ा विस्फोट से दहल गया। यहां के प्रार्थना स्थल में भीड़ रहते समय यह विस्फोट हुआ। इसमें कम से कम 30 लोगों की मृत्यु होने की बात अफगानी माध्यमों ने कही है। लेकिन काबुल के अस्पताल में 27 लोगों के शव दाखिल हुए होकर, उम्र में 7 साल के बच्चे समेत अन्य 5 अल्पवयीन बच्चों का समावेश है। तालिबान के कमांडर ने अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी को , इस विस्फोट में 35 लोगों की मृत्यु हुई होने की जानकारी दी। इसमें एक धार्मिक नेता की भी मृत्यु हुई है। लेकिन उसका नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है।

पिछले सात दिनों में काबुल के प्रार्थना स्थल पर हुआ यह दूसरा बड़ा हमला है। इससे पहले 12 अगस्त को हुए विस्फोट में रहिमुल्ला हक्कानी इस धार्मिक नेता की मृत्यु हुई थी। तालिबान की हुकूमत में सबसे प्रभावी होने वाले हक्कानी गुट का प्रचारक ऐसी रहिमुल्ला की पहचान थी। तालिबान के अंतर्गत विवाद में से रहिमुल्ला हक्कानी को मारा गया होने की संभावना जताई जा रही थी। पाकिस्तान से जुड़े हक्कानी गुट के तालिबान में बढ़ते वर्चस्व के कारण नाराज़ हुए अन्य गुटों ने रहीमुल्लाह की हत्या की होने के दावे किए जा रहे थे। लेकिन अगले कुछ ही घंटों में ‘आईएस’ ने इस विस्फोट की ज़िम्मेदारी का स्वीकार किया था।

इस कारण तालिबान के कुछ कमांडर ने बुधवार के इस हमले के लिए भी आईएस पर शक ज़ाहिर किया है। वहीं, इस विस्फोट के कारण तालिबान और आईएस के बीच संघर्ष भड़कने की गहरी संभावना सामने आ रही है। अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापित होकर एक साल बीत चुका है। लेकिन अभी भी तालिबान अफगानिस्तान की सुरक्षा निश्चित करने में असफल साबित होने की आलोचना की जा रही है। अफगानिस्तान के ये हालात केवल इस देश के लिए ही नहीं, बल्कि नाटो सदस्य देशों के लिए भी चिंता का विषय बन रहे होने का दावा नाटो के प्रमुख जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने किया है।

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