अमरीका और ब्रिटेन ने किए ‘अटलांटिक डिक्लरेशन’ पर हस्ताक्षर – आर्थिक क्षेत्र के साथ एआई, ऊर्जा और खनिज क्षेत्र का सहयोग बढ़ाने पर हुई सहमति

वॉशिंग्टन/लंदन – अमरीका और ब्रिटेन के ‘स्पेशल रिलेशनशिप’ की नींव अधिक मज़बूत करने के ‘अटलांटिक डिक्लरेशन’ पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए है। गुरुवार को अमरीका के व्हाईट हाउस में आयोजित समारोह में राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषी सुनाक उपस्थित थे। ‘अटलांटिक डिक्लरेशन’ के तहत अमरीका और ब्रिटेन के बीच आर्थिक क्षेत्र के साथ आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, सेमीकंडक्टर्स, क्वांटम प्रौद्योगिकी, हरित ऊर्जा, ‘क्रिटिकल मिनरल्स’ और रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति हुई हैं। दो देशों के बीच मुक्त व्यापारी समझौता करने में बाधाएं बन रही हैं और इसी बीच ‘अटलांटिक डिक्लरेशन’ पर हस्ताक्षर करना अहमियत रखता है। 

‘अटलांटिक डिक्लरेशन’चीन का बढ़ता खतरा और रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर अमरीका अपने मित्र एवं भागीदार देशों का गठबंधन अधिक से अधिक व्यापक करने की कोशिश कर रही है। इसी पृष्ठभूमि पर दो वर्ष पहले ब्रिटेन में आयोजित ‘जी ७’ बैठक से पहले राष्ट्राध्यक्ष बायडेन और उस समय के ब्रिटीश प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने ‘न्यू अटलांटिक चार्टर’ पर सहमति दर्शायी थी। इसके बाद दोनों देशों में विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए उच्च स्तरीय बैठकों का आयोजन हुआ था। गुरुवार को दोनों देशों के राष्ट्रप्रमुख की हुई बैठक और ‘अटलांटिक डिक्लरेशन’ पर हुए हस्ताक्षर उसी का फल समझा जाता है। 

‘अटलांटिक डिक्लरेशन’‘अटलांटिक डिक्लरेशन’ यह नए दौर के लिए नई आर्थिक भागीदारी है, इन शब्दों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सुनाक ने इसका समर्थन किया। ‘अटलांटिक डिक्लरेशन’ के तहत अमरीका ब्रिटेन के प्रौद्योगिकी क्षेत्र के साथ अन्य अहम क्षेत्रों में १७.५ अरब डॉलर्स निवेश किया जाएगा, यह जानकारी सुनाक ने साझा की। विश्व के बदलते माहौल में अमरीका और ब्रिटेन यह दोनों देश आगे रहें, इसके लिए हमारी भागीदारी को नई ऊंचाई प्रदान की गई है, ऐसा अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने कहा।

अमरीका और ब्रिटेन के बीच पिछले कुछ सालों से मुक्त व्यापारी समझौते पर चर्चा हो रही है। लेकिन, करों से हारत एवं कुछ क्षेत्र की सहुलियतों के मुद्दों पर दोनों देशों में तीव्र मतभेद हैं। इसी बीच ब्रिटेन ने यूरोपिय महासंघ से बाहर होने का किया निर्णय और ‘ब्रेक्ज़ीट डील’ के प्रावधानों को लेकर अमरीका का मौजूदा प्रशासन नाराज़ है। इस वजह से व्यापारी समझौते की चर्चा मुश्किलों से घिरी है और इस मुद्दे पर ब्रिटेन के विपक्ष ने शासक ‘कॉन्झर्वेटिव’ पार्टी को लगातार सवालों से घिरा है। ऐसे में ‘अटलांटिक डिक्लरेशन’ पर हुई सहमति सुनाक सरकार को राहत दे रही है।

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वर्ष १९४१ में अमरीका और ब्रिटेन के उस समय के राष्ट्रप्रमुख ने ‘रुझवेल्ट चर्चिल’ अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर किए थे। यह घटना दोनों देशों के ‘स्पेशल रिलेशनशिप’ की नींव समझी जाती है।

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