अमरीका में पारित हुआ, हाँगकाँग के मुद्दे पर चिनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगानेवाला विधेयक

वॉशिंग्टन – अमरिकी संसद के वरिष्ठ सभागृह होनेवाले सिनेट ने, हाँगकाँग के सुरक्षा कानून के मुद्दे पर चिनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगानेवाला विधेयक पूरी सहमति से पारित किया। इस विधेयक में, हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को आड़े हाथें लिया गया गया है और आनेवाले दिनों में इससे भी अधिक कड़ी कार्रवाई करने के संकेत भी दिए गए हैं। अमरीका के ट्रम्प प्रशासन ने इससे पहले ही हाँगकाँग को प्रदान किया हुआ ‘स्पेशल स्टेटस्‌’ रद करके चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को तगड़ा झटका दिया था।America-senate passes hong kong bill

अमरिकी सिनेटर ख्रिस व्हॅन हॉलन और पॅट टूमी ने, हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन के विरोध में विधेयक पेश करने के लिए पहल की थी। इस विधेयक में, हाँगकाँग पर सुरक्षा कानून थोंपने में शामिल चिनी एवं हाँगकाँग के अधिकारियों के विरोध में प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है। साथ ही, इन अधिकारियों के साथ व्यवहार करनेवाले बैंकों के विरोध में प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई भी की जाएगी। गुरूवार के दिन सिनेट में पेश किया गया यह विधेयक आवाज़ी मतदान से पारित किया गया। संसद की दोनों पार्टीयों ने इस विधेयक का पूरी सहमति के साथ समर्थन किया होकर, जल्द ही प्रतिनिधिगृह में भी यह विधेयक पारित होगा, यह विश्‍वास व्यक्त किया।

‘अमरिकी सिनेट के लिए यह बड़ा अवसर है। चीन से हाँगकाँग पर थोंपे जा रहे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के विरोध में कड़ी भूमिका अपनाने में हम सफल हुए हैं। चीन का साम्राज्यवाद बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा, यह निर्णायक संदेशा हमने दिया है’ इन शब्दों में रिपब्लिकन पार्टी के सिनेटर जोश हाउनली ने अपनी प्रतिक्रिया दर्ज़ की। हाँगकाँग की जनता की आज़ादी छिन रही चीन की सरकार को उनकी हरकतों की क़ीमत अदा करनी ही होगी, इसका एहसास इस विधेयक ने दिलाया है, यह दावा सिनेटर ख्रिस व्हॅन हॉलन ने किया। वहीं, सिनेटर मार्शा ब्लैकबर्न ने, अब विश्‍व के सभी जनतांत्रिक देश हाँगकाँग की जनता के समर्थन में खड़े रहने का यही अवसर है, यह आवाहन किया।America-Hongkong

कोरोना की महामारी फैल रही थी कि तभी चीन ने हाँगकाँग की आज़ादी पर प्रहार करने की कोशिश शुरू करने से आंतर्राष्ट्रीय समुदाय बड़े गुस्से में हैं और अमरीका एवं ब्रिटेन समेत सभी प्रमुख देशों ने अलग अलग माध्यम से चीन को घेरने के लिए आवश्‍यक गतिविधियाँ शुरू की हैं। कुछ दिन पहले ही विश्‍व के प्रमुख देशों के ‘जी-७’ गुट ने हाँगकाँग के मुद्दे पर स्वतंत्र निवेदन जारी किया था। इस निवेदन में, चीन की हुकूमत इस कानून पर पुनर्विचार करें, यह भूमिका बड़ी आग्रहता के साथ रखी थी। इससे पहले ब्रिटन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, तैवान और युरोपिय महासंघ ने हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन पर दबाव बनानेवाले निर्णय भी किए हैं। इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका का नया विधेयक चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के लिए और भी कठिनाई खड़ी करनेवाला साबित होता है।

हाँगकाँग पर सर्वंकष नियंत्रण प्राप्त करना संभव हों इसलिए चीन के शासकों ने वर्ष २००३ एवं २०१४ और २०१९ में अलग अलग विधेयक पेश किए थे। वर्ष २०१४ में चीन के शासक हाँगकाँग पर दबाव बनाने में और अपना विधेयक थोंपने में सफल हुए थे। लेकिन, पिछले वर्ष हाँगकाँग की जनता ने, चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को कड़ी चुनौती देकर पीछे हटने के लिए मज़बूर किया था। इससे बेचैन हुई चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने, राष्ट्रीय सुरक्षा विधेयक लाकर हाँगकाँग पर पूरा कब्ज़ा करने की कोशिश शुरू की है।

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