‘ब्रिक्स’ का आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रूख़

बाणावली, दि. १६ (पीटीआय) – ‘भारत का पड़ोसी देश ही आतंकवाद का जनक बन गया होकर, दुनियाभर में रहनेवाले आतंकवादियों के संगठन इसी देश के साथ जुड़े हुए हैं’ ऐसे कड़े शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ब्रिक्स’ सम्मेलन में अपने भाषण में पाकिस्तान पर हमला बोल दिया| ‘ब्रिक्स’ प्रस्ताव में आतंकवाद के खिलाफ ठोस भूमिका अपनायी गई है और यह भारत की राजनीतिक जीत है, ऐसा दावा किया जा रहा है| पाकिस्तान का सीधे सीधे ज़िक्र न करते हुए भी, ‘सरहद पार के आतंकवाद’ का संदर्भ पाकिस्तान की तरफ ही निर्देश करनेवाला होने के कारण, भारत ने पाकिस्तान को एकाकी बनाने के लिए ‘ब्रिक्स’ का सफलता से इस्तेमाल किया है, ऐसा सामने आ रहा है|

‘ब्रिक्स’भारत के पडोसी मुल्क से केवल आतंकवाद का उदय नहीं हो रहा, बल्कि आतंकी मानसिकता को भी बढावा दिया जा रहा है| राजनीतिक मक़सद को पूरा करने के लिए आतंकवाद के इस्तेमाल को जायज़ माननेवाले बड़े ही घातक विचारों का पुरस्कार इस देश में किया जा रहा है| आतंकवाद को उत्तेजन देनेवाले भी उतने ही घातक हैं| इसीलिए आतंकवादियों को की जानेवाली पैसों की आपूर्ति, हथियारों की सहायता और प्रशिक्षण एवं राजनीतिक समर्थन यह सब योजनाबद्ध तरीक़े से रोकने की ज़रूरत है, ऐसी आग्रही भूमिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनायी| इस भूमिका को ‘ब्रिक्स’ ने समर्थन दिया है और अब तक भारत की आतंकवादविरोधी भूमिका को समर्थन न देनेवाला चीन भी इस समय, ‘ब्रिक्स’  के संयुक्त निवेदन को विरोध नहीं कर पाया है|

‘ब्रिक्स’ के ‘गोवा डिक्लरेशन’ में भी आतंकवाद के खिलाफ़ कड़ी भूमिका अपनाई गई है| ‘ब्रिक्स’ के सदस्य देश अपना आपसी सहयोग अधिक से अधिक व्यापक बनाने के साथ ही, आंतकवाद का मुकाबला करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे, ऐसी घोषणा इस प्रस्ताव में की गई|

आतंकवाद, मूल तत्त्ववाद तथा कट्टरपंथीयता ये प्रादेशिक एवं आंतर्राष्ट्रीय स्थिरता और शांति के साथ ही, आर्थिक विकास के लिए भी ख़तरा हैं, इस बात को ‘ब्रिक्स’ के प्रस्ताव में मंज़ुरी दी गयी है| यही नहीं, बल्कि जो आतंकवाद और हिंसाचार को बढावा दे रहे हैं, वे भी आतंकवादियों जितने ही ख़तरनाक दुश्मन हैं, ऐसा ‘ब्रिक्स’ ने कहा। इस प्रस्ताव में आतंकवाद के खिलाफ जो कडे शब्दों का जो इस्तेमाल किया गया है, उसके पीछे भारत है, ऐसा सामने आ रहा है|

उरी में हुआ आतंकवादी हमला और उसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ हाथ में ली आक्रामक राजनीतिक मुहिम, इस पृष्ठभूमि पर ‘ब्रिक्स’ की अहमियत बढ़ गयी थी| गोवा में आयोजन की गयी इस परिषद में क्या भारत अन्य देशों को आतंकवाद के खिलाफ कडी भूमिका अपनाने के लिए मजबूर कर सकता है, इसकी चर्चा पिछले कुछ दिनों से हो रही थी| भारत यदि ऐसी कोशिश करता है, तो उन प्रयासों का चीन साथ देगा या उनका विरोध करेगा, इस पर भी काफ़ी चर्चा चल रही थी| लेकिन ‘ब्रिक्स’ का, ‘आतंकवाद की कठोर शब्दों में निर्भर्त्सना करनेवाला और आतंकवाद का समर्थन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करने को अहमियत देनेवाला’ प्रस्ताव जारी होने के बाद, भारत के इन प्रयासों को प्रतिसाद मिला है, ऐसा सामने आ रहा है|

इसी दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ब्रिक्स’ में किये अपने भाषण में, ‘भारत के पडोस में ही आतंकवाद की जननी है’ ऐसा कहते हुए पाकिस्तान पर निशाना साधा| साथ ही, जागतिक आतंकवाद के सूत्र इसी देश से संचालित किये जाते हैं, इस ओर भी ब्रिक्स के सदस्यदेशों का ध्यान खींचा| उसीके साथ, जागतिक स्तर पर ‘ब्रिक्स’ ने अपना खुद का स्थान निर्माण किया है, ऐसा कहते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसपर संतोष जताया| साथ ही, ‘ब्रिक्स’ की अगुआई में स्थापन किये गए ‘न्यू डेव्हलपमेंट बँक’ और आपातकालीन निधि की जो व्यवस्था की है उसकी उन्होंने तारीफ़ की|

भारत-चीन चर्चा में आतंकवाद का मुद्दा अहम  

आतंकवाद के मुद्दे पर भारत और चीन में रहनेवाले मतभेद दोनों देशों को महंगे पड़ सकते हैं, ऐसे स्पष्ट शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के सामने भारत की भूमिका प्रस्तुत की| विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इस बात की जानकारी दी| ‘जैश-ए-मोहम्मद’ का सरगना रहनेवाले ‘मौलाना मसूद अझहर’ पर सुरक्षा परिषद में कारवाई रोकनेवाले चीन को, इस संदर्भ में भारत को जो चिंता सता रही है उसका प्रधानमंत्री ने एहसास करा दिया, ऐसा स्वरूप ने स्पष्ट किया| 

प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के बीच होनेवाली द्विपक्षीय बैठक की ओर दोनों देशों के विश्‍लेषको का ध्यान लगा था| चीन ने, ‘अझहर’ पर सुरक्षा परिषद द्वारा की जानेवाली कार्रवाई को, ‘टेक्निकल वजह’ बताते हुए आगे धकेलने का निर्णय लिया है| इस पृष्ठभूमि पर, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के साथ की हुई चर्चा में आतंकवाद का मुद्दा उठाया| दोनों नेताओं की इसपर सफल चर्चा हुई, ऐसा दावा स्वरूप ने किया है| 

कोई भी देश अब आतंकवाद के ख़तरे से सुरक्षित नहीं है| इस वजह से, भारत और चीन जैसे प्रमुख देशों की, आतंकवाद के मसले पर दोराय होना दोनों देशों के लिए हानिकारक साबित होगा, ऐसा स्पष्ट करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने चीन के सामने भारत की भूमिका रखी| इस द्विपक्षीय चर्चा में, चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनाई भूमिका के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं आई है| लेकिन ‘ब्रिक्स’ सम्मेलन के एक दिन पहले चीन ने, ‘अझहर’ और भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता, इनके बारे में रहनेवाली चीन की भूमिका में बदलाव नहीं हुआ है, ऐसा कहा था|

 

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