अमरीका ने पाकिस्तान की मित्रता तोड़ने का अवसर आया है – अमरिकी विश्‍लेषक का इशारा

वॉशिंग्टन – ‘पाकिस्तान को कट्टर दुश्‍मनों के करीब धकेलने की इच्छा अमरीका नहीं रखती। लेकिन, यदि पाकिस्तान के नेताओं को ही चीन, ईरान के साथ तालिबान, अल कायदा और अन्य आतंकी संगठनों के साथ गृहस्थी बसानी है तो वह बेझिझक जाए। यह गठबंधन ज्यादा समय तक नहीं टिकेगा। अमरीका के लिए पाकिस्तान की मित्रता तोड़ने का यही अवसर है’, ऐसा इशारा अमरिकी विश्‍लेषक क्लिफर्ड मे ने दिया। पाकिस्तान के साथ जारी ताल्लुकात का पुनर्विचार करने की आवश्‍यकता होने का बयान अमरीका के विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन ने किया था। इस पृष्ठभूमि पर क्लिफर्ड का यह इशारा पाकिस्तान की धड़कने बढ़ानेवाला साबित होता है।

‘अफ़गानिस्तान से अमरीका की शर्मनाक वापसी के लिए किसे ज़िम्मेदार ठहराना है? अफ़गानिस्तान में फंसे अमरिकी और अफ़गान नागरिकों की जान के खतरे के लिए कौन ज़िम्मेदार है? राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन पर इस सबकी ज़िम्मेदारी आकर रुकती है। लेकिन, इस ऐतिहासिक अपमान के लिए ज़िम्मदार पाकिस्तान के प्रमुख नेताओं को बिल्कुल नजरअंदाज नहीं किया जा सकता’, ऐसे तीखे शब्दों में क्लिफर्ड ने पाकिस्तान को लक्ष्य किया।

वर्ष १९९० के दशक में पाकिस्तान की सेना और गुप्तचर यंत्रणा के प्रभावी गुटों ने तालिबान का निर्माण किया और उन्हें प्रशिक्षण देकर फंडिंग भी जारी रखी। अमरीका ने वर्ष २००१ में अफ़गानिस्तान में आतंकवाद विरोधी युद्ध का ऐलान करने के बाद पाकिस्तान ने अल कायदा, तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों की सहायता जारी रखी थी, इस ओर अमरिकी विश्‍लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया। अल कायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में आश्रय दिया गया, यह आरोप हमने काफी पहले लगाया था और यह आरोप सच भी साबित हुआ, इसकी याद क्लिफर्ड ने दिलाई।

तालिबान, अल कायदा और अन्य आतंकी संगठनो की रक्षा में हमेशा खड़े रहे पाकिस्तान को अमरीका ने नाटो के सहयोगी देश का दर्जा प्रदान किया था। वर्ष २००२ से २०१८ के दौरान अमरीका ने पाकिस्तान को ३३ अरब डॉलर्स की सहायता प्रदान की। लेकिन, इसका इस्तेमाल आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के लिए करने के बगैर आतंकियों को बढ़ावा देने के लिए ही किया गया, ऐसी तीखी आलोचना क्लिफर्ड ने किया। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान की आर्थिक सहायता रोककर अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन, राष्ट्राध्यक्ष बायडेन को अपनी गलतियाँ सुधारनी हों तो इससे बड़े कदम उठाने पड़ेंगे, ऐसा सुझावा क्लिफर्ड ने दिया।

अमरीका ने मित्रता तोड़ दी तो पाकिस्तान अमरीका के कट्टर दुश्‍मन चीन और ईरान की हुकूमत के साथ ही तालिबान, अल कायदा और अन्य आतंकी संगठनों की गोद में जा बैठेगा। लेकिन, इसके अलावा अन्य विकल्प नहीं है, इस बात का अहसास क्लिफर्ड ने अपने लेख से कराया है।

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