बायडेन प्रशासन अमरीका-पाकिस्तान संबंधों पर पुनर्विचार कर रहा है – अमेरिका के विदेश मंत्री अँथनी ब्लिंकन

वॉशिंग्टन – अफगानिस्तान में मिली असफलता के लिए अमरीका पाकिस्तान को ज़िम्मेदार करार देनेवाली होकर, अमरीका की वक्रदृष्टि पाकिस्तान की ओर मुड़ी है, ऐसी स्पष्ट चेतावनी पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों ने दी थी। यह चेतावनी सच होने के संकेत मिल रहे हैं। अफगानिस्तान से अमरीका को करनी पड़ी मानहानिकारक वापसी के बाद गुस्सा हुए अमरिकी सांसदों के सामने बात करते समय, अमरीका के विदेश मंत्री ऍन्थनी ब्लिंकन ने, पिछले बीस सालों से तालिबान समेत हक्कानी नेटवर्क को आश्रय देकर पाकिस्तान अपनी चाल चलता आया है, ऐसी कबूली भी दी। अफगानिस्तान में अमरीका और पाकिस्तान के हितसंबंध परस्परविरोधी होने की कबूली देकर, बायडेन प्रशासन अमरीका-पाकिस्तान संबंधों पर पुनर्विचार कर रहा है, ऐसा विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा है।

अँथनी ब्लिंकनसोमवार को अमरिकी संसद में विदेश मंत्री ब्लिंकन पर सवालों की बौछार की गई। तालिबान और तालिबान के नेताओं को कई सालों से आश्रय देनेवाले पाकिस्तान के साथ बने संबंधों पर क्या अमरीका ने पुनर्विचार नहीं करना चाहिए? ऐसा सवाल एक अमरिकी कॉंग्रेस के सदस्य ने किया । उसका ‘हाँ’ में जवाब देकर विदेश मंत्री ब्लिंकन ने यह मान्य किया कि पिछले बीस सालों से पाकिस्तान ने तालिबान समेत हक्कानी नेटवर्क को सुरक्षा प्रदान की है। इतना ही नहीं, बल्कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान के बहुत सारे हितसंबंध उलझे हुए हैं और यह देश अफगानिस्तान में अपनी चालें चल रहा होने का दावा ब्लिंकन ने किया।

अफगानिस्तान में अमरीका और पाकिस्तान के हितसंबंध परस्पर विरोधी हैं, ऐसा गौरतलब बयान इस समय विदेश मंत्री ब्लिंकन ने किया। इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका पाकिस्तान की हरकतों को बहुत ही बारीकी से देख रही है, यह बता कर ब्लिंकन ने यह स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ बने संबंधों का पुनरावलोकन किया जाएगा। इस समय तीखी आलोचना करना टालते हुए, ब्लिंकन ने पाकिस्तान को चेतावनी देने जितने ही अपने बयान मर्यादित रखे दिख रहे हैं। लेकिन अमरिकी सांसदों ने, ९/११ के हमले के बाद अमरीका ने अफगानिस्तान में छेड़े हुए आतंकवादविरोधी युद्ध में पाकिस्तान की दोगली भूमिका की कड़ी आलोचना की।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने ऐसे बयान किए थे कि तालिबान ने अफगानिस्तान की गुलामी की ज़ंजीरें तोड़ दी हैं। यह मुद्दा अमरिकी सांसदों ने उपस्थित किया। साथ ही, तालिबान का गुट होनेवाला हक्कानी नेटवर्क और पाकिस्तान का कुख्यात गुप्तचर संगठन आईएसआई की सांठगांठ है, इस पर भी अमरीका के संसद सदस्य बिल केटिंग ने गौर फरमाया। हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों ने अफगानिस्तान में भारी संख्या में लोगों की जानें लीं और उनमें अमरीका के सैनिकों का भी समावेश था, इस बात की ओर भी केटिंग ने ध्यान आकर्षित किया।

क्या इसमें से अमरीका कुछ भी सबक नहीं सीखेगी? ऐसा सवाल केटिंग ने किया था। वहीं, कॉंग्रेसमन जोआक्विन कॅस्ट्रो ने यह माँग की कि अमरीका पाकिस्तान को दिया हुआ ‘नॉन-नाटो अलाय’ का दर्जा ख़ारिज कर दें। इसी बीच, अमेरिकी संसद की ‘आर्म्ड सर्व्हिसेस कमिटी’ ने, अफगानिस्तान में अमरीका को मिली असफलता के लिए पाकिस्तान का विश्वासघात कारणीभूत होने का दोषारोपण कुछ महीने पहले किया था। ऐसे विश्वासघाती देश को सबक सिखाने की माँग अमरिकी जनप्रतिनिधि कर रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान को सबक सिखाने से पहले, क्या अमरीका ने पाकिस्तान के विश्वासघात से मिला हुआ सबक सीखा है? ऐसा सवाल भारत के एक पूर्व लष्करी अधिकारी ने किया है।

अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका पर असंतोष ज़ाहिर करते समय, अमरीका के विदेश मंत्री ने यह कहा है कि भारत की अफगानिस्तान विषयक भूमिका अमरीका के हितसंबंधों के लिए कुछ बार उपकारी साबित हुई है। लेकिन अभी भी, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के आतंकी अफगानिस्तान में करवा रहे हत्याकांड के लिए और मानवाधिकारों के हनन के लिए पाकिस्तान ही ज़िम्मेदार है, यह बायडेन प्रशासन खुलेआम मान्य करने के लिए तैयार नहीं है। ख़ासकर अमरिकी सांसदों का, लष्करी और गुप्तचर विभागों के विद्यमान-पूर्व अधिकारियों का और राजनयिकों का पाकिस्तान पर ज़ाहिर हो रहा गुस्सा और बायडेन प्रशासन की पाकिस्तान पर नाराज़गी इन दोनों के बीच बहुत बड़ा अंतर होने की बात स्पष्ट हो रही है।

पाकिस्तान के ज़ोर पर फिलहाल तालिबान पर नियंत्रण होनेवाले हक्कानी नेटवर्क ने अगर आनेवाले समय में अफगानिस्तान में हाहाकार मचाया, तो उसका झटका बायडेन प्रशासन को भी लग सकता है। क्योंकि पाकिस्तान ने अमरीका का विश्वासघात करने के बावजूद भी, पाकिस्तान को उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी ऐसी कार्रवाई अभी भी बायडेन प्रशासन ने शुरू नहीं की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.