‘यूएई’ की वजह से पर्शियन खाड़ी में अस्थिरता फैलेगी – ईरान के वरिष्ठ नेता की चेतावनी

तेहरान – पिछले कुछ महीनों से ईरान ने खाड़ी के अरब देशों के साथ नए से संबंध स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। बीते महीने ही ईरान ने यूएई के राष्ट्रप्रमुख को तेहरान आने का न्योता दिया था। इस बढ़ते सहयोग की वजह से खाड़ी में अमरीका, यूरोप और इस्रायल का प्रभाव कम होगा, ऐसा दावा ईरान ने किया था। लेकिन, अब उसी यूएई के कारण पर्शियन खाड़ी में अस्थिरता फैलेगी, ऐसी चेतावनी ईरान के वरिष्ठ नेता दे रहे हैं। पर्शियन खाड़ी के तीन द्वीपों पर यूएई ने दावा किया है। यही दावा इस क्षेत्र की अस्थिरता का कारण बनेगा, ऐसा इशारा ईरान दे रहा है।

ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी की विदेशी नीति के सलाहकार अली अकबर वेलायती ने एक साक्षात्कार के दौरान पर्शियन खाड़ी के विवादित द्वीपों को लेकर अपने देश की भूमिका रखी। ‘ग्रेटर तुंब’, ‘लेसर तुंब’ और ‘अबू मुसा’ नामक यह तीन द्वीप ईरान के इतिहास का हिस्सा होने का बयान वेलायती ने किया। ‘अन्य क्षेत्रों की तरह इन द्वीपों पर भी ईरान का सार्वभूम अधिकार हैं। लेकिन, यूएई ने इन तीन द्वीपों पर अधिकार जताने के कारण दो पड़ोसी देशों के बीच तनाव निर्माण हुआ है’, ऐसा आरोप ईरान के वरिष्ठ नेता ने लगाया।

‘ईरान को किसी भी पड़ोसी देश से युद्ध नहीं करना है। साथ ही किसी भी तरह से अपने क्षेत्र को लेकर समझौता किए बिना शांति से विवाद का हल निकालने के लिए भी ईरान तैयार हैं। लेकिन, यूएई ने इन द्वीपों को लेकर किया गलत दावा कभी भी सच साबित नहीं होगा। इन तीनों द्वीपों पर अधिकार जता रहे यूएई की इस भूमिका के कारण पर्शियन खाड़ी में अस्थिरता फैलेगी’, ऐसी चेतावनी वेलायती ने दी।

ईरान में सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी को सबसे अधिक अहमियत हैं। ईरान की राजनीति पर उन्हीं का प्रभाव हैं और ‘रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍’ जैसी सैन्य संगठन पर भी खामेनी का ही नियंत्रण हैं। उनकी अनुमति के बिना ईरान में कोई भी निर्णय नहीं होता। ऐसी स्थिति में खामेनी के विदेश नीति सलाहकार वेलायती ने पर्शियन खाड़ी के तीन द्वीपों के मुद्दे पर यूएई को दी हुई चेतावनी काफी गंभीर है।

इस साल के फ़रवरी महीने में चीन की मध्यस्थता से ईरान और सौदी अरब के बीच सहयोग स्थापित हुआ था। इसके बाद ईरान ने खाड़ी के अन्य अरब देशों से भी सहयोग बढ़ाने के लिए पहल की थी। इसमें यूएई के संबंधों को भी ईरान ने अहमियत दी थी। जून महीने में ईरानी विदेश मंत्री ने यूएई का दौरा किया। ऐसे में बीते महीने ईरान के राष्ट्राध्यक्ष रईसी ने यूएई के राष्ट्रप्रमुख को तेहरान आने का न्योता दिया था। यूएई ने इसपर सकारात्मक रिस्पान्स दिया था।

इसके बाद ईरान ने पर्शियन खाड़ी के देशों का स्वतंत्र सैन्य संगठन खड़ा करने का आवाहन किया था। इस संगठन की वजह से अमरीका और मित्र देशों ने खाड़ी क्षेत्र में की हुई सैन्य तैनाती कम हो जाएगी, ऐसा दावा ईरान ने किया था। इसके अलावा ईरान के सैन्य सामर्थ्य में इजाफा होगा, यह भी कहा जा रहा था। लेकिन, खाड़ी के देशों से संबंध सुधारने के लिए अहमियत देते हुए ईरान ने पर्शियन खाड़ी के विवादित मुों पर समझौता करने के लिए बिल्कुल भी तैयार न होने की भूमिका अपनाई है।

जुलाई महीने में रशिया ने ‘गल्फ को-ऑपरेशन कौन्सिल’ (जीसीसी) की बैठक के बाद तीनों विवादित द्वीपों के मसले का चर्चा से हल निकालने का ऐलान किया था। इसपर गुस्सा होकर ईरान ने रशियन राजदूत को समन थमाया था। उससे पहले चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने भी जीसीसी की बैठक में इन्हीं द्वीपों को लेकर किए बयान पर ईरान ने गुस्सा व्यक्त किया था। इसपर इन द्वीपों के मामले में किसी भी तरह से समझौता न करने के संकेत ईरान दे रहा हैं।

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